‘नीरज चोपड़ा को पीएम मोदी से नहीं मिली मदद’ लिबरल लॉबी ने इसे साबित करने के लिए ख़ूब फ़ेक न्यूज़ फैलाईं

असल में वामपंथी ये मानने को तैयार ही नहीं है कि नीरज चोपड़ा राष्ट्रवादी विचारधारा के हैं।

टोक्यो ओलंपिक में भारतीय अभियान का भव्य समापन सूबेदार नीरज चोपड़ा ने किया। पुरुष भाला फेंक की स्पर्धा में नीरज चोपड़ा ने 87.58 मीटर तक भाला फेंकते हुए एथलेटिक्स में स्वतंत्र भारत के लिए न केवल प्रथम ओलंपिक पदक, अपितु प्रथम ओलंपिक स्वर्ण पदक भी प्राप्त किया। देश भर में खुशियाँ मनाई जाने लगी लेकिन नीरज चोपड़ा के राष्ट्रवादी विचारों से जैसे ही वामपंथी अवगत हुए, मीराबाई चानू की भांति वे नीरज चोपड़ा के खिलाफ अपने प्रोपोगेंडे को शुरू कर दिया। यही अब लिबरल ब्रिगेड ये सिद्ध करने करने के प्रयत्न में लगा हुआ है कि केंद्र सरकार ने नीरज चोपड़ा की कोई सहायता ही नहीं की।

दरअसल, वामपंथी वेबसाइट द क्विंट के लिए आम तौर पर फिल्म रिव्यू पोस्ट करने वाली पत्रकार स्तुती घोष ने 16 जून 2021 को द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक लेख का लिंक शेयर किया, जिसमें उसने दावा किया कि जर्मन कोच ऊवे ऑन [Uwe Hohn] ने इंटरव्यू के दौरान बताया था कि कैसे ओलंपिक के लिए AFI द्वारा कराई जा रही ट्रेनिंग एकदम घटिया थी, और जो डायट थी, वो एलीट एथलीटों के लिए उपर्युक्त नहीं थी।

उसने द इंडियन एक्सप्रेस के इस पुराने लेख को ट्वीट करते हुए ट्विटर पर लिखा, “ये नीरज चोपड़ा के कोच ऊवे ऑन [Uwe Hohn] ने AFI और SAI के लिए लिखा था। क्या अब कुछ बदलेगा?”

फिर क्या था, वामपंथियों को मानो केंद्र सरकार को निशाने पर लेने का अवसर मिल गया। उनके इस ट्वीट को खूब प्रसारित किया गया तथा कई लोगों ने इसी लिंक को शेयर करते हुए केंद्र को नीचा दिखाने का प्रयास किया।

ऐसे ही एक ‘स्वतंत्र पत्रकार’ विद्या वेंकट ने ट्वीट किया, “मैं हैरान हूँ ये जानकर कि यह सरकार खिलाड़ियों को आवश्यक nutritional सप्लीमेंट भी नहीं देती थी।” राहुल मेहरा ने भी कुछ इसी तरह का ट्वीट किया।

लेकिन वामपंथियों के इस प्रोपगैंडा को ध्वस्त होने में अधिक समय नहीं लगा। अंकुर सिंह नामक यूजर ने ट्वीट किया और बताया कि, “आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नीरज के वर्तमान कोच Klaus Bartoneitz हैं। 2019 से ही नीरज चोपड़ा ने Uwe Hohn से ट्रेनिंग लेनी बंद कर दी थी। यहाँ तक कि उनके सानिध्य में प्रशिक्षण ले चुके साथी भाला फेंक एथलीट शिवपाल सिंह और अन्नू रानी ने बताया कि Uwe Hohn पक्षपाती हैं, जो ट्रेनिंग के दौरान पक्षपात करते थे, और वे AFI से अपने वेतन में कुछ ज्यादा ही पैसे मांग रहे थे।”

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मजे की बात तो यह भी है कि जिस दिन इंडियन एक्सप्रेस ने ये भ्रामक लेख प्रकाशित किया था, उसी दिन नीरज चोपड़ा ने स्वयं ये प्रोपगैंडा ध्वस्त करते हुए कहा था कि उनके सभी सुविधाओं में सरकार से लेकर दूतावास और फेडरेशन कोई कमी नहीं होने दे रहा है, जिसके लिए वे बेहद आभारी हैं।

 

असल में वामपंथी ये मानने को तैयार ही नहीं हैं कि नीरज चोपड़ा राष्ट्रवादी विचारधारा के हैं। नीरज चोपड़ा के राष्ट्रवादी विचारों से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। इसके पीछे तो कई वामपंथियों ने अमेरिका के ‘Cancel Culture’ की तरह नीरज को ‘Cancel’ करने का प्रयास भी किया था, परंतु जन समूह के अपार समर्थन के आगे उन्हें मुंह की खानी पड़ी। अब वे इस तरह के भ्रामक लेखों से मोदी सरकार को नीचा दिखाना चाहते हैं। परंतु इससे केवल उनकी कुंठा जगजाहिर हो रही है, और उनकी सार्वजनिक बेइज्जती के अलावा उन्हें कुछ प्राप्त नहीं होगा।

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