भारत की पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक मेंं ब्रॉन्ज मेंडल जीत लिया है।टीम इंडिया ने जर्मनी को 5-4 से हरा दिया है। भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक मेंं 41 साल बाद मेंडल हासिल किया है। टीम इंडिया ने कड़े मुकाबले मेंं ये मैच जीता है। सिमरनजीत सिंह ने दो गोल दागे। भारतीय हॉकी टीम आखिरी बार साल 1980 के मास्को ओलिम्पिक के फाइनल मेंं पहुंची थी।कांस्य पदक की बात की जाए तो भारत ने 1972 के म्यूनिख ओलंपिक मेंं नीदरलैंड्स को हराकर यह पदक जीता था। लेकिन इस जीत के सबसे बड़े नायक रहे पीआर श्रीजेश जिन्होने पूरे ओलिंपिक्स मेंं विरोधी दलो के 13 में से 9 मौकों को नाकाम कर दिया।
कौन है पीआर श्रीजेश?
35 साल के पीआर श्रीजेश भारतीय टीम के कप्तान होने के साथ ही एक उच्च कोटी के विश्वस्तरीय और अनुभवी गोलकीपर हैं। ओलिंपिक्स में इनके दमदार प्रदर्शन के कारण इन्हे भारतीय टीम की भरोसेमंद दीवार कहा जाने लगा है।
यूं ही नहीं कहते इन्हें ‘’दीवार’’
2006 में पदार्पण करने वाले पीआर श्रीजेश को 2008 में जूनियर एशिया कप में बेस्ट गोलकीपर का पुरस्कार मिला था। 2011 मेंं एशिया चैम्पियन ट्रॉफी के फ़ाइनल में दो पेनाल्टी बचाकर पीआर श्रीजेश ने जीत में अहम किरदार निभाया था, जिसके लिए 2013 में इन्हें एशिया कप के बेस्ट गोलकीपर का खिताब मिला। 2014 के एशियन गेम्स के फ़ाइनल में भी पीआर श्रीजेश ने 2 पेनाल्टी बचाए थे जिसके लिए इन्हें 2014-2016 मेंं चैम्पियन ट्रॉफी के बेस्ट गोलकीपर के अवार्ड से नवाजा गया।2021 मेंं अब उनके ख़ज़ाने मेंं एक और हीरा जुड़ गया है- ‘’कांस्य’’ पदक का। एक वो भी दौर था जब पीआर श्रीजेश को हॉकी इंडिया की अनुशासन समिति ने 12 महीने के प्रोबेशन पर रखा है। इस दौरान उन्हें हॉकी इंडिया की आचार संहिता का पालन करना था। इसके साथ ही पीआर श्रीजेश पर पिछले साल मुंबई मेंं एक सेलिब्रिटी चैरिटी फुटबॉल मैच खेलने पर 15 दिन का प्रतिबंध भी लगाया था। लेकिन श्रीजेश हर मुसीबत को पार करते हुए भारतीय टीम के भरोसेमंद दीवार बने रहे और अंततः ओलिंपिक्स में ‘कांस्य’ जीतने में अहम भूमिका निभाई।
पुरुष हॉकी टीम का ये मैच बहुत अहम था, कारण था कांस्य लड़ाई। भारत 21 साल बाद कोई पदक जीतने के करीब था। मैच के 48वें मिनट में लुकास विंड्फ़ेदर के द्वारा आखिरी मौके पर किए गए गोल से जर्मनी का पलड़ा भारी पड़ता हुआ दिख रहा था तब 54वें और 60वें मिनट पे दो शानदार गोल बचाकर पीआर श्रीजेश ने भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई और एक बार फिर ये साबित किया की क्यों इन्हे भारतीय टीम का दीवार कहा जाता है।