राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला मध्य प्रदेश दूसरा राज्य बना

पहले कर्नाटक और अब MP!

जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता…यही ज्ञान अर्जित करने के लिए छात्र जीवन को सबसे पहली कड़ी कहा जाता है। भारत में शिक्षा प्रणाली को निस्संदेह अंग्रेज़ी व्यवस्थाओं ने यदि कुछ दिया है तो साथ ही भारत की इसी व्यवस्था ने शिक्षण परंपरा का सर्वाधिक दोहन भी किया है। विडंबना की बात तो यह है कि इतने दशक बीत जाने के पश्चात आज भी सरकारें इस मंत्रणा तक नहीं पहुंच पाई थीं जिससे देश में एक सबल और कुशल शिक्षा नीति का सुशासन हो। हाल ही में भारत सरकार ने विचार-विमर्श और विशेषज्ञों की राय के अनुरूप भारत को नई शिक्षा नीति को प्रस्तुत किया था जिसको अब राज्य विगत वार अपने-अपने राज्यों में अनुसरण करने में जुट गए हैं। इसी क्रम में कर्नाटक के बाद अब मध्य प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को राज्य में लागू करने का गुरुवार को औपचारिक शुभारंभ किया।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 12 साल की स्कूली शिक्षा का प्रावधान किया गया है। अब तक शिक्षा प्रणाली से दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को भी स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाया जाएगा। उनके लिए विशेष पाठ्यक्रम लांच किया जाएगा। इस व्यवस्था को पूरी दुनिया में बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है। 4 वर्षों पश्चात् आई इस नई शिक्षा नीति का उद्देश्य सभी छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है जिसका लक्ष्य 2025 तक पूर्व-प्राथमिक शिक्षा (3-6 वर्ष की आयु सीमा) को सार्वभौमिक बनाना है। हाल ही में दिल्ली यूनिवर्सिटी ने अगले शैक्षणिक वर्ष से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लागू करने का फैसला किया है।

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नई शिक्षा नीति छात्रों के व्यावहारिक ज्ञान को रट्टा या रट्टू तोता की भांति धकेलने के बजाय सीखने की ओर महत्व देगी।

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मध्य प्रदेश नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला देश का दूसरा राज्य बन गया है। राज्यपाल मंगुभाई पटेल और सीएम शिवराज सिंह चौहान ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मध्य प्रदेश में लागू करने का गुरुवार को औपचारिक शुभारंभ किया गया।  इससे पूर्व कर्नाटक ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू कर दिया और सोमवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया था। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि सरकार इस नई शिक्षा नीति को लागू करने में मदद करने के लिए डिजिटलीकरण और अनुसंधान एवं विकास की दो नीतियों को शुरू करेगी।

ज्ञात हो कि, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सबल बनाने के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण निर्णय ले गए हैं जिसकी परिकल्पना इस दौर में किसी ने कि भी नहीं थी। 34 वर्ष बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है। निश्चित तौर पर एक गहन परिचर्चा के बाद निकले निष्कर्ष के तहत बनी यह एक अच्छी नीति है क्योंकि इसका उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को 21 वीं सदी और 2030 सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Gross Development- SGD) आवश्यकताओं के अनुरूप, समग्र, लचीला, बहु-विषयक बनाना है।

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सारगर्भित बात यह है कि प्राचीन काल में नालंदा और तक्षशिला जैसे संस्थान हमारे यहां थे। तब विदेश से पढ़ने के लिए विद्यार्थी हमारे यहां आते थे। आज हमारे यहां के लोग विदेश पढ़ने जा रहे हैं। काफी चिंतन के बाद नई शिक्षा नीति बनी है। यदि इसका क्रियान्वयन नैतिक सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए त्वरित किया जाता है तो इससे हमारा देश ज्ञान आधारित सुपर पावर अवश्य बनेगा।

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