ओडिशा का कुल GST Collection 3615 करोड़ है, ये 3 गुना बड़ी आबादी वाले बंगाल से भी अधिक है

पहले कम्युनिस्ट और अब ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल को गर्त में धकेल रही हैं!

ओडिशा का जीएसटी कलेक्शन

किसी राज्य की आर्थिक स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश के आर्थिक विकास में उसका योगदान कितना है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किए गए जीएसटी कलेक्शन के आंकड़े इसका सटीक प्रमाण हैं। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जारी किए वित्त वर्ष 2021 की जुलाई का जीएसटी कलेक्शन देश के आर्थिक विकास के लिए सकारात्मक संकेत लेकर आया है, क्योंकि इसमें 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन आंकड़ों के बीच सबसे बुरा प्रदर्शन किसी राज्य का रहा है, तो वो निश्चित रूप से ममता बनर्जी शासित पश्चिम बंगाल ही है। बंगाल के जीएसटी कलेक्शन में केवल 13 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है, जबकि बंगाल से छोटे राज्य ओडिशा का जीएसटी कलेक्शन 54 प्रतिशत की सर्वोच्च बढ़त प्राप्त करने वाला राज्य बन गया है, ओडिशा की ये प्रगति बंगाल सरकार की आर्थिक नीतियों पर प्रश्नचिन्ह लगाती है।

पश्चिम बंगाल का नाम सुनते ही लोगों के मन में सबसे पहले बंगाल हिंसा की तस्वीर बनती है। चुनाव से पहले हिंसा, चुनाव के दौरान हिंसा और चुनाव के बाद हिंसा। हिंसा ही हिंसा, जैसे बाजारों में होते हैं गद्दे ही गद्दे। बंगाल की इसी अराजकता का प्रतिबिंब अब उसके आर्थिक विकास पर भी दिखने लगा है। केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए राज्यों के जीएसटी कलेक्शन के आंकड़ों में, सभी का ध्यान बंगाल ने खींचा है। आंकड़ों के अनुसार बंगाल के जीएसटी कलेक्शन में मात्र 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

जुलाई 2021 में बंगाल का जीएसटी कलेक्शन 3,463 करोड़ रुपए था; जो प्रमुख राज्यों की सूची में सबसे निम्न स्तर का है। जुलाई 2020 में यही जीएसटी कलेक्शन करीब 3,010 करोड़ रुपए था। इसके विपरीत ओडिशा ने जीएसटी कलेक्शन के मामले में छोटा राज्य होने के बावजूद बंगाल को पछाड़ते हुए 54 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है।

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केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक ओडिशा ने जुलाई 2021 में 54 प्रतिशत की बढ़त बनाते हुए 3,615 करोड़ की वृद्धि हासिल की है, जोकि ओडिशा का प्रशासन और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की कार्यशैली पर सकारात्मक मुहर लगाता है। महत्वपूर्ण बात ये है कि जुलाई 2020 में यहां मात्र 2,348 करोड़ रुपए का ही जीएसटी कलेक्शन हुआ था।

आज की स्थिति में ओडिशा, महाराष्ट्र के बाद जीएसटी कलेक्शन में वृद्धि के मामले में दूसरे स्थान पर है। राज्य ने जुलाई में सीजीएसटी में 927 करोड़ रुपए, आईजीएसटी में 1,028 करोड़ रुपए और उपकर में 592 करोड़ रुपए एकत्र किए हैं जोकि ओडिशा जैसे एक छोटे राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

जीएसटी कलेक्शन की बात करें तो राज्यों द्वारा सामानों पर जो टैक्स लगाया जाता है, उसका एक हिस्सा केंद्र को भी दिया जाता है, जिसे जीएसटी कलेक्शन कहते हैं। आम तौर पर देश का सबसे ज्यादा जीएसटी कलेक्शन करने वाला राज्य महाराष्ट्र ही है, किंतु वर्तमान आंकड़ों से एक बात तो स्पष्ट है कि ओडिशा ने पश्चिम बंगाल की अपेक्षा बेहतरीन प्रदर्शन किया है।

बंगाल की ओडिशा से तुलना करें तो बंगाल की आबादी करीब 10 करोड़ की है, वहीं ओडिशा की मात्र साढ़े 4 करोड़ ही है। बंगाल संसाधनों के आधार पर भी ओडिशा से आगे ही है। इन सभी बिंदुओं पर आगे रहने के बावजूद यदि जीएसटी के मुद्दे पर बंगाल ओडिशा जैसे राज्य से पिछड़ रहा है तो ये ममता सरकार के लिए बड़े शर्म की बात है।

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बंगाल की इस दुर्गति की वजह उसका कम्युनिस्ट शासन का इतिहास तो रहा ही है, साथ ही पिछले दस वर्षों में ममता सरकार ने भी इसे बर्बाद करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राज्य की अराजकता और हिंसा का असर ये है कि यहां बड़े निवेश की संभावनाएं कम हैं, और जिन लोगों के छोटे निवेश हैं वो भी बंदी की कगार पर हैं, जिसके चलते राज्य आर्थिक क्षेत्र में तेजी से पिछड़ रहा है।

वहीं, अगर बात ओडिशा की करें तो ओडिशा एक ऐसा राज्य है जो तटीय राज्य होने के कारण साल में दो-तीन बार किसी बड़े तूफान की चपेट में आता है, और आधारभूत ढांचे की बर्बादी के बाद राज्य प्रशासन को इसके लिए दोबारा काम करना पड़ता है। ओडिशा सरकार निवेश के मुद्दों पर हमेशा ही बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए काम करती रहती है, जिसका नतीजा अब राज्य के जीएसटी कलेक्शन पर भी दिखता है।

स्पष्ट तौर पर कहें तो राज्य की आर्थिक स्थिति को बढ़ावा देने में राज्य प्रशासन की भूमिका अहम होती है, क्योंकि अंतिम सर्वेसर्वा राज्य में राज्य सरकार ही होती है। ममता सरकार इस मुद्दे पर विफल रही है।

ममता के दस साल के अनुभव के बावजूद राज्य पिछड़ रहा है, क्योंकि वो सारा ध्यान राजनीतिक नौटंकियों और वोट बैंक पॉलिटिक्स पर ही केंद्रित करके बैठीं हैं; दूसरी ओर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक अपने प्रशासनिक अनुभवों का फायदा उठाकर राज्य को आर्थिक क्षेत्र में प्रगति के मार्ग पर ले जाने के प्रयास कर रहे हैं, जिसमें सफलता भी दिखने लगी है।

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