पाकिस्तान का एक ही उद्देश्य है, अफ़ग़ानिस्तान में बड़े पैमाने पर हिन्दुओं का नरसंहार किया जाये

अब पाकिस्तान को ये अवसर मिल गया है!

अफगानिस्तान हिंदु नरसंहार

अमेरिका की अफ़गान से सैन्य वापसी के बाद यह देश धीरे-धीरे नर्क में बदल रहा है। यहां रहने वाले लोगों ने उस भयावह मंजर को अपनी आँखों से देखा है जब ये रक्षा सत्ता के सिंहासन पर बैठे थे। तब अफगानिस्तान में आज़ादी, अधिकार,उम्मीद, संरक्षण और लोकतन्त्र की कोई जगह नहीं थी, लेकिन, अफगानिस्तान में छद्म रूप से अपनी चाल चल रहे दुष्ट राष्ट्र पाकिस्तान की अलग ही मंशा है। पाकिस्तान के नापाक इरादों मे अफगानिस्तान का विध्वंस तो है ही लेकिन उससे भी बड़ी मंशा है हिंदु वृहद नरसंहार की। इतने बड़े, भयावह और क्रूर नरसंहार की अफगानिस्तान में जो भी थोड़ी बहुत हिंदु / सिख आबादी बची है वो पूर्णतः विलुप्त हो जाएँ।

हालिया खबर में एक पाकिस्तानी न्यूज चैनल पर पैनल डिस्कशन का एक पुराना वीडियो एक बार फिर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में, एक पाकिस्तानी ‘इस्लामिक बुद्धिजीवी’ ज़ैद हामिद को हिन्दुओं के खिलाफ नफरत उगलते और उनके नरसंहार का आह्वान करते हुए देखा जा सकता है। वीडियो में, ज़ैद हामिद को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह अल्लाह से प्रार्थना करता है कि अमेरिकी सेनाएँ अफगानिस्तान में भारतीयों को पीछे छोड़ दें और तब पाकिस्तानी सेना और तालिबान मिल कर समूहिक रूप से उनका कत्ल कर सकें। उसका कहना है कि अफगानिस्तान में हिंदु नरसंहार किए हुए बहुत समय बीत चुका है।

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जैद अहमद कहते हैं कि अतीत में ऐसा हिंदु नरसंहार अक्सर होता था इसीलिए अफगानिस्तान के पहाड़ों को हिंदू कुश कहा जाता है, यानी जहां हिंदुओं का वध किया गया है। उनका कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि अफ़ग़ानिस्तान  में इन ‘हिन्दू बनियाओं’ को छोड़ दिया जाएगा ताकि वे उनके साथ वह कर सकें जो उन्हें डराता है और अगले हज़ार सालों तक अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान की ओर आँख उठा कर न देख सके। यह स्पष्ट नहीं है कि वीडियो को ठीक से कब कैप्चर किया गया था, लेकिन आठ साल पहले से इस मुद्दे पर चर्चा चल रही थी। हालांकि, यह वास्तव में चौंकाने वाला है कि पाकिस्तान में प्रमुख समाचार चैनलों पर हिंदु सिख नरसंहार प्रवचन की अनुमति है।

अफगानिस्तान हिंदुओं की स्थिति का अंदाज़ा आप निम्नलिखित तथ्यों से लगा सकते हैं:

1) अफगानिस्तान में प्राचीन हिंदू/सिख सभ्यता विलुप्त होने के कगार पर है

कभी 3000 साल से भी अधिक समय पहले सिंधु घाटी सभ्यता में हिंदुओं (और बाद में सिखों) की संपन्न और प्राचीन आबादी का घर रहे अफगानिस्तान में अब 99.7% मुस्लिम है। रिपोर्टों से यह भी पता चलता है कि अफगानिस्तान में 2-4 गुरुद्वारे बचे हैं और एक ही हिंदू मंदिर है। बाकी या तो बामियान के बुद्ध प्रतिमाओं की तरह तोड़ दिये गए या मस्जिदों में परिवर्तित कर दिये गए।

2) अफगानिस्तान में अशांति और बढ़ा इस्लामीकरण

तालिबान का गठन 1990 के दशक की शुरुआत में अफगान मुजाहिदीन द्वारा किया गया था जो पाकिस्तान और अमेरिका की मदद से सत्ता में आया था। तालिबान शासन के तहत यह समय अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों के लिए सबसे काला समय था, जिन्हें उनके धर्मों का मामूली प्रदर्शन दिखाने के लिए पाकिस्तान की शह पर लगातार परेशान किया गया, सताया गया, मार डाला गया, और उनकी संपत्ति को जबरदस्ती ले लिया गया। हिंदुओं और सिखों के अपहरण और हत्याएं बड़े पैमाने पर हुई थीं। तालिबान ने हिंदुओं और सिखों को भी पहचान के लिए पीले रंग की पट्टी पहनने के लिए मजबूर किया, डेविड के पीले सितारे की याद ताजा करती है कि यहूदियों को नाजी जर्मनी में पहनने के लिए मजबूर किया गया था। पाकिस्तान समर्थित इस उत्पीड़न का अधिकांश भाग अभी भी अफगानिस्तान में जारी है।

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3) हिंदू और सिख आबादी तेजी से घट रही है

1970 के दशक में अफगानिस्तान में 700,000 हिंदुओं और सिखों की आबादी की रिपोर्ट है। 1980 के दशक के दौरान, अनुमान 2-3 लाख की तीव्र गिरावट दर्शाते हैं। TOLO समाचार की एक जांच में बताया गया है कि “पिछले तीन दशकों में लगभग 99% हिंदुओं, सिखों ने अफगानिस्तान छोड़ दिया।” यह खुलासा करते हुए न्यूज़ एजेंसी बताती है कि 1990 के युद्ध के दौरान जब मुजाहिदीन और तालिबान सत्ता में थे तब पाकिस्तान समर्थित नरसंहार से सिख और हिंदू आबादी 15,000 तक गिर गई और उस स्तर पर बनी रही। अब अनुमान है कि अफगानिस्तान में केवल 1350 हिंदू और सिख ही बचे हैं।

4) डर में जीना: हिंदुओं और सिखों के खिलाफ उत्पीड़न और भेदभाव

अफगानिस्तान ने इस्लाम को आधिकारिक धर्म के रूप में स्थापित किया है। अन्य धर्मों के अनुयायियों पर कई पाबंदियां हैं। पाबंदी का स्तर इतना है कि उन्होंने इस पाबंदी को स्वीकार भी कर लिया है लेकिन जान माल पर खतरा जस का तस कायम है। अफगानिस्तान में कानून गैर-मुसलमानों के साथ भेदभाव करते हैं। हनफ़ी सुन्नी न्यायशास्त्र अभी भी कुछ न्यायाधीशों द्वारा धार्मिक अल्पसंख्यकों से संबंधित मामलों में उपयोग किया जाता है। गैर-मुसलमानों को इस्लामी कानून से निपटने में एक अंतर्निहित नुकसान का सामना करना पड़ता है, क्योंकि वे इसकी सदस्यता नहीं लेते हैं या अपने दैनिक जीवन में इसके द्वारा नहीं जीते हैं।

पाकिस्तान विभिन्न तरीकों से अफगानिस्तान में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों को निशाना बना रहा है, और पिछले 12 वर्षों में विकास परियोजनाओं पर काम कर रहे कई भारतीयों पर हमला किया गया है या उनका अपहरण किया गया है, सरकार ने संसद को इस बारे में सूचित भी किया है। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि पिछले साल सितंबर से, पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत चार भारतीय नागरिकों को आतंकवादी के रूप में नामित करने का प्रयास किया है, जो पहले अफगानिस्तान में काम कर चुके थे।

इतिहास पाकिस्तान के खूनी हिंदु नरसंहार से भरा हुआ है, चाहे जिन्ना का डायरेक्ट एक्शन डे या फिर 1971 में हिंदु का नरसंहार । इस बात की शत-प्रतिशत सत्य रिपोर्ट है कि आनेवाले समय में पाकिस्तान हिंदु पर इस नरसंहार को और तेज़ कर सकता है जैसा उसने कराची के एक और “जातीय” दंगे में किया था जिसका नाम ‘क्लीन-अप’ था और जिसका नेतृत्व कराची के एक उपनगरीय क्षेत्र सोहराब गोथ में सेना ने किया था। इस दंगे मे पश्तूनों द्वारा 200 बिहारियों की हत्या की गयी थी। अगर समय रहते वैश्विक समाज सचेत नहीं हुआ तो इतिहास हमें हमेशा पाकिस्तान को इस निर्मम कृत्य की छूट देने का दोषी ठहराएगा।

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