टोक्यो ओलंपिक में भारत ने अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए पहली बार अंतिम 50 में जगह बनाई। बजरंग पुनिया और पी०वी० सिंधु जैसे कुछ खिलाड़ी गोल्ड से चूक गए साथ ही वीनस फोगाट भी दुर्भाग्य से हार गईं अन्यथा मेडल टैली में भारत और अच्छा प्रदर्शन करता। हालांकि आज अगर भारत का प्रदर्शन सुधरा है तो इसके पीछे सबसे बड़ा कारण केंद्र की TOP योजना है। TOP अर्थात टार्गेटिंग ओलंपिक पोडियम योजना के तहत ऐसे खिलाड़यों को स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया द्वारा चयनित कर लिया जाता है जो पिछले 3 सालों में खेल में उत्कृष्ट प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हों। फिर इन खिलाड़ियों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है, हर प्रकार की सुविधा दी जाती है जिससे यह लोग अगले ओलंपिक खेल की तैयारी कर सकें।
इस समय टार्गेटिंग ओलंपिक पोडियम (TOP) योजना के अंतर्गत 100 से अधिक खिलाड़ियों की ट्रेनिंग का पूरा खर्च भारत सरकार उठा रही है। इन खिलाड़ियों को इनकी जरूरत की हर सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है। टार्गेटिंग ओलंपिक पोडियम (TOP) योजना में चयनित खिलाड़ियों को व्यक्तिगत कोच के साथ ही विश्वस्तरीय सुविधाओं वाले इंस्टिट्यूट में ट्रेनिंग की व्यवस्था दी जाती है। अगर खिलाड़ी भारत में ही रहकर ट्रेनिंग करते हैं तो उन्हें हर आवश्यक उपकरण विदेशों से भी मंगवाकर दिया जाता है। इसके अलावा एक खिलाड़ी को उसका व्यक्तिगत स्टाफ भी मिलता है, जिसमें फिजियोथेरेपिस्ट, जिमट्रेनर, अन्य सहयोगी के साथ ही स्पोर्टसाइकोलॉजी अर्थात खेल मनोविज्ञान का एक विशेषज्ञ और मेंटल ट्रेनर दिया जाता है, जिससे खेलों की तैयारी में होने वाले मानसिक संघर्ष के लिए खिलाड़ीयों को तैयार किया जा सके। खिलाड़ियों को खेलते समय घर परिवार की आर्थिक तंगी की चिंता न हो इसलिए टार्गेटिंग ओलंपिक पोडियम (TOP) योजना में खिलाड़ियों को 50 हजार रुपये मासिक खर्च देने की व्यवस्था है।
इसके अलावा देश विदेश में आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं में भाग लेने की व्यवस्था भी सरकार करती है। जब भारत की महिला तीरंदाजी टीम को नीदरलैंड जाना था, तो वहाँ की परिस्थितियों के अनुकूल ढलने के लिए खिलाड़ियों को पर्याप्त समय मिल सके, इसलिए भारत सरकार ने उन्हें टूर्नामेंट शुरू होने के 10 दिन पहले ही नीदरलैंड भेज दिया था। पूर्व खेलमंत्री किरेन रिजिजू स्वयं सभी तैयारियों का निरीक्षण करते थे।
टार्गेटिंग ओलंपिक पोडियम (TOP) योजना 2014 में लागू की गई थी। 2016 रियो ओलपिंक में तो नहीं लेकिन उसके बाद आयोजित हुए कॉमनवेल्थ खेल 2018 में इस योजना का प्रभाव दिखने लगा। भारत के लिए 70 पदक जीतने वाले खिलाड़ियों में 47 खिलाड़ी वे थे जो टार्गेटिंग ओलंपिक पोडियम (TOP) योजना के तहत ट्रेन हो रहे थे। गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज को यूरोप में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था। उनके लिए जर्मनी के कोच की व्यवस्था की गई थी।
इसी प्रकार मीराबाई चानू को ट्रेनिंग और घायल होने पर इलाज के लिए अमेरिका भेजा गया था। प्रधानमंत्री ने स्वयं भी उनके इलाज के दौरान उनकी सेहत की जानकारी ली थी। इसके अतिरिक्त बजरंग पुनिया और वीनस फोगाट को यूरोप में ट्रेनिंग मिली। वीनस को हंगरी के कोच से ट्रेनिंग भी मिली यही। दीपक पुनिया और रवि दहिया के लिए विदेशों के कोच रखे गए। PV सिंधु की ट्रेनिंग पर 4 करोड़ रुपये खर्च हुए, जबकि नीरज की ट्रेनिंग पर 1.61 करोड़ रुपये खर्च हुए। ऐसे ही अन्य खिलाड़ियों को तैयार किया गया है।
ऐसा नहीं है कि सरकार की टार्गेटिंग ओलंपिक पोडियम (TOP) योजना केवल इसी ओलंपिक तक थी। 2016 में खराब प्रदर्शन के बाद सरकार ने अगले तीन ओलपिंक के लिए अलग अलग टास्क फोर्स तैयार किया था। 2020 ओलपिंक के टास्क फोर्स का काम बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे खिलाड़ियों की तैयारी करवाने का था। लेकिन जिस टास्क फोर्स को 2024 और 2028 ओलंपिक की तैयारी करवानी है, उसे देशभर से प्रतिभाओं को खोजना है।
खेलो इंडिया योजना की शुरुआत का उद्देश्य भारत में खेल संस्कृति को बढ़ावा देना और नई प्रतिभाओं की तलाश करना है। खेल मंत्रालय और स्पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने अब 250 ऐसे खिलाड़ियों को पहचान लिया है, जिन्हें 2024 और 2028 ओलंपिक के लिए अभी से तैयार किया जाएगा। ऐसे में पूरी उम्मीद की जा सकती है कि इस बार ओलपिंक में गया 126 खिलाड़ियों का दल जल्द ही 200 से अधिक खिलाड़ियों का दल बन जाएगा, साथ ही मेडल ताली में भी भारत अंतिम 20 या अंतिम 15 तक में जगह बना लेगा।