एक समय था जब कांग्रेस पार्टी में चिंतकों-विचारकों और नेतृत्वकर्ताओं की एक लंबी कड़ी थी, पर आज वही कांग्रेस ‘शून्य’ पर खड़ी है। कांग्रेस पार्टी के पास अब ना ही वो प्रबुद्ध और बुद्धिजीवी वर्ग बचा है। ना ही कोई हाज़िरजवाब वक्ता बचा है। ना ही कोई बड़े चिंतक, विचारक बचे हैं। जो नेता बचे थे उनको राहुल गाँधी की ही भाषा “बाय-बाय, टाटा, खत्म” कर घर पर शांति से बैठा दिया गया या फिर वो अपना वजूद बचाने के लिए दूसरी पार्टी में चला गया।
कांग्रेस एक ‘गांधीवादी’ पार्टी है. इसका आशय यह है कि कांग्रेस का अध्यक्ष ‘गांधी- नेहरू’ परिवार से ही होता है। बिना ‘गांधी’ के कांग्रेस चल नहीं पाती। अब इस वक्त गांधी परिवार में राहुल गांधी हैं जिनके पास अपनी राजनीतिक अपराजयों का एक पूरा शीलालेख है। प्रियंका गांधी हैं जोकि राजनीति को लेकर पूरी तरह से अनिच्छुक दिखती हैं। सोनिया गांधी की अब उम्र हो गई है, वो किसी तरह से कांग्रेस पार्टी की कुर्सी को छोड़ना चाहती हैं। ऐसे में कांग्रेस को कौन संभालेगा? कौन बनेगा कांग्रेस का अध्यक्ष, इसकी अटकलें पिछले कई दिनों से लगाई जा रही हैं।
अटकलें हैं कि इस बार कांग्रेस किसी गैर-गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बना सकती है। ऐसे में गांधी परिवार ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। ऐसी तैयारियां जिससे कि अगर कोई गैर-गांधी पार्टी का अध्यक्ष बन जाए, तब भी पार्टी की असली शक्ति उन्हीं के पास रहे। इसलिए अब ख़बरें हैं कि कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद यानी NAC की स्थापना कर सकती है।
इससे पहले भी 4 जून 2004 को भी NAC की स्थापना कांग्रेस ने की थी। उस वक्त मनमोहन सिंह भले ही प्रधानमंत्री हों लेकिन निर्णायक फैसले NAC ही लेती थी यानी कि रिमोट कंट्रोल से सरकार चलती थी। भाजपा ने इसे उस दौरान ‘सुपर कैबिनेट’ बता इसके अस्तित्व और मंशा पर कई आरोप जड़े था। अब वैसा ही रिमोट कंट्रोल से पार्टी भी चलेगी। अब कांग्रेस पार्टी NAC 2.0 बनाने पर विचार कर रही है।
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इस नए परिषद की संरचना में गांधी परिवार जुट चुका है। यह स्पष्ट नहीं है कि राहुल गांधी जल्द ही कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालेंगे या नहीं, लेकिन पार्टी में ताजा खबर यह है कि उनके लिए राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की तरह की समिति की योजना बनाई जा सकती है। इसी के तहत संभावित समिति के सदस्यों के नामों पर भी चर्चा की जा रही है। जिसमें चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके), अर्थशास्त्री कौशिक बसु और रघुराम राजन जैसे नाम शामिल हैं। विभिन्न विपक्षी दलों के बीच सेतु के रूप में काम करने की बात के बीच पीके ने हाल ही में दिल्ली में गांधी परिवार से मुलाकात की थी।
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NAC 2.0 की सुगबुगाहट के साथ ही, नए कांग्रेस अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया में इसकी भूमिका भी अहम होने के आसार हैं। फ़िलहाल कांग्रेस सत्ता में नहीं है इसी कारण उसे पार्टी को दोबारा से खड़ा करने के लिए NAC की ज़रुरत दिखाई पड़ रही है। वहीं इस बार गैर-गाँधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने की बातों पर गाँधी परिवार की सहमति बनती दिखने लगी है।
यही कारण है कि इंदिरा से लेकर राजीव गाँधी और अब सोनिया गाँधी के अहम विश्वासपात्र, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, जिन्होंने हाल ही में सोनिया से उनके दिल्ली आवास पर आकर मुलाकात भी की थी, उनको पार्टी संगठन की कमान देने की बातें बाहर आने लगी हैं। वहीँ NAC में 2004 की भांति सोनिया अध्यक्ष नहीं बनेंगी ऐसा भी तय माना जा रहा है और तो और NAC में सोनिया का कोई हस्तक्षेप मामूली सदस्य का भी नहीं होगा।
इन बातों पर मुहर लगती दिखने लगी है कि देश में जिस प्रकार कांग्रेस के ऊपर परिवारवादी होने का ठप्पा लगते आया है, उसी TAG को मिटाने की कवायद में कांग्रेस के शेष सभी नेता और गाँधी परिवार जुट चुका है। सोनिया गांधी NAC 2.0 की सदस्य नहीं होंगी इस वजह से इस बार उनका वो प्रभुत्व नहीं रहेगा जो मनमोहन के समय वाली NAC में था।