ट्विटर अब खुलेआम तालिबान के साथ गलबहियाँ करता दिखाई दे रहा है। रिपोर्ट के अनुसार ट्विटर ने तालिबान के अवैध अधिग्रहण के बाद अफ़ग़ानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह से संबंधित सभी ट्विटर अकाउंट को निलंबित कर दिया। जबकि अब भी तालिबानी प्रवक्ता का ट्विटर अकाउंट सक्रिय है। इससे न केवल ट्विटर द्वारा तालिबान के समक्ष आत्मसमर्पण को दर्शाता है बल्कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर उसका दोगला चरित्र भी जगजाहिर करता है।
दरअसल, ट्विटर ने ने अफगान राष्ट्रपति के आधिकारिक हैंडल @Afghanpresident और उनकी पार्टी अफगानिस्तान ग्रीन ट्रेंड (AGT) हैंडल – @AfgGreenTrend के संचालन को निलंबित कर दिया है। वर्तमान परिस्थितियों की बात करें तो अमरुल्ला सालेह आधिकारिक तौर पर राष्ट्रपति है तथा वो ही एकमात्र चेहरा हैं जो तालिबान के राज को स्वीकार करने से मना कर चुके हैं। यही नहीं सालेह तालिबान का मुकाबला करने के लिए सशस्त्र बलों को जुटाना शुरू कर चुके हैं। ज्ञात हो कि, कार्यवाहक राष्ट्रपति अफ़ग़ानिस्तान के पंजशीर प्रांत को गढ़ बनाए हुए हैं, जो अभी तक तालिबान के हाथों में नहीं आया है।
Twitter suspends Amrullah Saleh’s Office and his Party’s accounts, while Taliban spokespersons continue their propaganda on the platform. pic.twitter.com/B33RKh1zCe
— Shubhangi Sharma (@ItsShubhangi) August 19, 2021
तालिबानी प्रवक्ताओं के ट्विटर अकाउंट सक्रिय हैं
हास्यास्पद बात तो यह है कि, जहां ट्विटर ने सालेह से जुड़े अकाउंट को निलंबित कर दिया है, वहीं तालिबान के प्रवक्ताओं के खाते अभी प्रचुर मात्रा में सक्रिय है। दरअसल, कई तालिबानी नेताओं के अकाउंट ट्विटर पर उपलब्ध हैं। तालिबान का प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद, जो अपने ट्विटर अकाउंट पर 331,000 से अधिक फॉलोवर्स की संख्या रखता है।
एक और प्रवक्ता सुहैल शाहीन के भी 300,000 से अधिक फॉलोवर्स हैं, जबकि कारी यूसुफ अहमदी के ट्विटर पर लगभग 60,000 फॉलोवर्स हैं। इस संख्याबल का डिजिटल रूप में लाभ उठाते हुए वे तालिबान द्वारा शहरों पर कब्जा करने और समूह के नेताओं द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस के वीडियो साझा कर रहे हैं तथा अपने बार्बर शासन को स्वीकार्यता दिलाने का प्रयास कर रहे हैं। तालिबानियों द्वारा किए गए क्रूरता के हजारों वीडियो मौजूद हैं लेकिन बावजूद इसके ट्विटर ने इन तालिबानियों के अकाउंट को सस्पेंड करने से मना कर दिया है। ट्विटर का तर्क यह है कि ये प्रवक्ता किसी पॉलिसी का उलंघन नहीं कर रहे हैं इसलिए उन्हें नहीं हटाया जा सकता है। स्पष्ट तौर पर यह ट्विटर की तालिबान के लिए सहानुभूति ही कही जाएगी।
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ऐसा लगता है कि दोहरे मानदंडों वाले ट्विटर ने अब अफ़ग़ानिस्तान में आतंकी संगठनों को ही अपना आका मान लिया है। दिलचस्प बात यह है कि, अमरुल्ला सालेह से संबंधित सभी ट्विटर खातों को बिना जांचे-परखे निलंबित करने वाले ट्विटर ने तालिबान के अकाउंट के सन्दर्भ में यह कहा है कि उनके अकाउंटों की लगातार निगरानी की जा रही है, और अगर वे “सीमा का उल्लंघन करते हैं” तो वे तालिबानी अकाउंट के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। जैसे अब तक तो ट्विटर के माध्यम से तालिबान का सरगना अमन और शांति का पैगाम देता आया है, तभी तो ट्विटर द्वारा उसके और उससे जुड़े अकाउंट पर इतना प्रेम बरसाया जा रहा है।
अधिकांश सोशल मीडिया और टेक दिग्गज जैसे कि फेसबुक, व्हाट्सएप और अन्य ने तालिबान और उसके समर्थकों को अपने प्लेटफॉर्म का उपयोग करने से प्रतिबंधित करने के लिए तेजी से कदम बढ़ाया है। ट्विटर के विपरीत, फेसबुक ने तालिबान के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है और इस्लामी कट्टरपंथी समूह और उसके समर्थकों को अपने प्लेटफार्मों का उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया है। पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने एक बयान में कहा कि वह इस समूह को ‘एक आतंकवादी संगठन’ मानती है। इससे यह सिद्ध होता है कि ‘T’ से तालिबान और ‘T’ से ही ट्विटर हमजोली हो गए हैं और अपने हितों को साधने और अपने-अपने कानूनों से राज करने की कपोलकल्पना को वास्तविक मान बैठे हैं।