पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के लिए चौतरफा परेशानियां आ रही हैं, जिनका सामना करना उनके लिए असंभव होता जा रहा है। कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब के किसानों के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी राजनीतिक शक्ति बढ़ाने के लिए किसान आंदोलन प्रायोजित किया। पार्टी के शीर्ष नेताओं के निर्णयों के आधार पर कैप्टन ने भी इसमें पूरा सहयोग दिया, एवं ये बात पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने ही कही थी। ऐसे में कैप्टन को उम्मीद थी, कि उन्हें इस किसान आंदोलन से राजनीतिक लाभ होगा, किन्तु अब उनकी परेशानियां बढ़ गईं हैं क्योंकि पंजाब में किसानों, उद्योगपतियों, व्यापारियों एवं श्रमिकों द्वारा एक नई ‘भारतीय आर्थिक पार्टी’ का गठन हुआ है, जो किसानों के हितों की बात कर रही है। यही नहीं पार्टी ने किसान नेता गुरुनाम सिंह चढ़ूनी को अपना सीएम उम्मीदवार तक घोषित कर दिया है।
पंजाब में उद्योगपतियों की नई पार्टी का उदय
पिछले करीब 10 महीनों से चल रहे तथाकथित किसान आंदोलन देश के कुल 32 किसान संगठन के नेता शामिल हैं, जिनमें एक नाम गुरुनाम सिंह चढ़ूनी का है। उन्हें पंजाब के किसान नेताओं के बीच एक लोकप्रिय चेहरा माना जाता है। ऐसे में किसान हितों के नाम पर पंजाब में एक नई राजनीतिक पार्टी खड़ी हो गई है, जिसके पीछे मुख्य भूमिका पंजाब के उद्योगपतियों की ही है। सबसे खास बात ये है कि इस नई पार्टी ने अपना सीएम उम्मीदवार किसान नेता गुरुनाम सिंह चढ़ूनी को बना दिया है, जिस वक्त पार्टी के नेताओं ने सीएम चेहरे का ऐलान किया, उस वक्त मंच पर चढ़ूनी भी मौजूद थे।
और पढ़ें- ‘अमरिंदर ने किसानों को भेजा था दिल्ली’ सुनील जाखड़ ने खोल दिया कांग्रेस का काला चिट्ठा
संयुक्त किसान मोर्चे के अंतर्गत किसान आंदोलन में महत्वपूर्ण भीमिका निभा रहे गुरुनाम सिंह चढ़ूनी किसान नेताओं से काफी नाराज हैं, उन्हें कई बार संयुक्त मोर्चे के विरोध में बात करने के कारण सस्पेंड भी किया गया। ऐसे में गुरुनाम सिंह चढ़ूनी पहले ही कह चुके हैं कि वो किसान मोर्चे की सभी बातों का समर्थन नहीं करेंगे। वो इस पार्टी के जरिए मिशन पंजाब यानी विधानसभा चुनावों में जीत की बात कर रहे हैं। भले ही वो ये कह रहे हों कि वो अभी भारतीय आर्थिक पार्टी में शामिल तक नहीं हुए हैं, इस कारण उनके सीएम बनने की संभावनाएं नहीं हैं, परंतु उनके क्रियाकलाप बताते हैं कि वो पंजाब में कांग्रेस के लिए एक नई मुसीबत खड़ी कर सकते हैं।
कुछ दिन पहले ही चढ़ूनी ने पंजाब में विधानसभा चुनाव लड़ने की बात की थी। उन्होंने कहा था कि पंजाब विधानसभा चुनाव में उन सभी संगठनों को चुनाव लड़ना चाहिए, जो कि किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा, “एक मॉडल पेश होगा कि तंत्र को कैसे बदला जाता है।” उन्होंने चुनाव लड़ने के अपने उद्देश्य पर कहा, “हमने पंजाब विधानसभा चुनाव–2022 में सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।” उन्होंने आगे बताया कि, “किसी राजनीतिक पार्टी ने अब तक एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के मुद्दे पर न तो कोई घोषणा की है और न किसानों को आश्वासन दिया है।”
कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत
स्पष्ट है कि संयुक्त किसान मोर्चा से आक्रामक रुख दिखाने वाले गुरुनाम सिंह चढ़ूनी पंजाब की भारतीय आर्थिक पार्टी को लेकर सकारात्मक हैं, और संभावनाएं हैं कि वो जल्द ही पार्टी के लिए प्रचार भी करते दिखेंगे। उनका ये रुख कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाने वाला है। कांग्रेस की प्लानिंग थी, कि किसान आंदोलन के जरिए पंजाब में पार्टी के लिए एक सकारात्मक माहौल होगा, जिससे विधानसभा चुनाव में किसानों का पूरा समर्थन मिलेगा, किन्तु अब कैप्टन का दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है।
और पढ़ें- किसान प्रदर्शन भड़का रहे अमरिंदर पर पड़ा किसानों का पंच, भूमि अधिग्रहण बिल पर पंजाब के किसान भड़के
गुरुनाम सिंह चढ़ूनी को राज्य में एक मुखर किसान नेता माना जाता है, जो कि इस वक्त बीजेपी और कांग्रेस दोनों को एक ही पाले में देखते हुए आक्रामक हैं। ऐसे में उनके समर्थन से भारतीय आर्थिक पार्टी का विधानसभा चुनाव में उतरना कांग्रेस और कैप्टन अमरिंदर सिंह दोनों को ही नुकसान पहुंचा सकता है। भले ही भारतीय आर्थिक पार्टी चुनावों में कुछ खास कमाल न कर सके, लेकिन यह पार्टी किसानों के वोट बैंक पर एक बड़ी सेंधमारी कर सकती है। ऐसे में इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को ही होगा।
इस पूरे राजनीतिक परिदृश्य के संबंध में कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में लाभ के लिए पंजाब से जो कृषि कानूनों के विरोध का एक प्रायोजित किसान आंदोलन छेड़ा था, वो किसानों के लिए ही मुसीबत बन गया है। किसानों के नाम पर एक नई पार्टीं का गठन होना , और गुरुनाम सिंह चढ़ूनी का उस पार्टी का मुख्य चेहरा कांग्रेस के ही एक बड़े वोट बैंक पर चोट हो सकता है; और कांग्रेस ने इन चुनौती के बारे निश्चित ही कुछ प्लानिंग नहीं की थी।