जब तक अपराध को जाति-धर्म के चश्मे से देखा जाता रहेगा, तब तक देश में सांप्रदायिक अस्थिरता बनी ही रहेगी। कुछ राजनीतिक दल तथा लेफ्ट ब्रिगेड अपराधियों के जाति एवं धर्म को ही आधार बना कर निशाने पर लेते रहते हैं। ये काम राजनीतिक दल करें, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए किन्तु जब पत्रकार भी यही करने लगें, तो ये एक चिंताजनक बात है। राजधानी दिल्ली में 9 वर्षीय बच्ची के साथ हुए बलात्कार और हत्याकांड ने एक बार फिर लोगों को झंकझोर दिया है। इसके विपरीत, अब बहस इस बात पर छिड़ी हुई है कि उस बच्ची का रेप किसी हिंदू ने किया या मुसलमान ने। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने के प्रयास क्यों किया जा रहा है। अपराध को कानूनी श्रेणियों में रखकर मामले की जांच होनी चाहिए और अपराधियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। इस मामले को धर्म या जाति का एंगल देना न सिर्फ असंवेदनशीलता है बल्कि यह अमानवीय भी है।
दरअसल, राजधानी दिल्ली के छावनी इलाके के पास पुरानी नांगल में एक नौ वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार का मामला सामने आया है, जिसके बाद इस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है। ये मामला इसलिए भी अधिक तूल पकड़ रहा है क्योंकि बच्ची एक दलित परिवार से थी। ऐसे में विपक्ष इस मामले में भी राजनीतिक मौका देख रहा है, जिसके चलते कांग्रेस नेता राहुल गांधी स्वयं बच्ची के मां-बाप से मिलने पहुंचे। राजनीतिक मामलों से इतर इस रेप केस को सांप्रदायिक रंग देने के प्रयास भी शुरू किए जा रहे हैं, क्योंकि अब इसमें अपराधी का धर्म ढूंढकर हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति होनी शुरू हो गई है।
So it is Salim who is the main accused in Delhi cantt rape case but do kaudi reporters like @khanumarfa kept spreading false news of Hindu Pujari as only main accused.
Arfa Salim ko miss kyu kar diya ? https://t.co/K3dGeAUMX3 pic.twitter.com/NWdI9TxfI0— NEO (Only Truth) (@Infinity_Tarun) August 4, 2021
दरअसल, बच्ची के परिजनों ने इस रेप के लिए श्मशान घाट के एक पुजारी को अपराधी बताया है। परिवार जनों का कहना है कि बच्ची की मौत का कारण करंट लगने को बताकर उसके शव का जबरन अंतिम संस्कार करने की कोशिश की गई, जबकि इस मामले की जानकारी उन्हें थी ही नहीं। ध्यान देने वाली बात यह है कि पुलिस ने पुजारी समेत अन्य तीन लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर शुरू कर दिया है। इसके विपरीत पांचजन्य की एक रिपोर्ट बताती है कि बच्ची का रेप और हत्या करने वाला एक स्थानीय मुस्लिम युवक था, जिसका नाम सलीम बताया जा रहा है, और इन दोनों ही पहलुओं के सामने आने के बाद से ही इस मामले में हिन्दू-मुस्लिम एंगल लेकर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो चुका है।
Sanskari Brahmins first rape an 8 yo girl in Kathua and now a 9yo in Delhi. Long live Hindutva! https://t.co/STGwpa50gx
— Sujata Anandan (@sujataanandan) August 4, 2021
Salim is the main accused in the #JusticeForDelhiCanttGirl case. The so-called priest 'Radhey Shyam' works as a caretaker at the local "Mukti Dham".
— Shubham Sharma (@Shubham_fd) August 3, 2021
देश के कुछ बड़े कथित पत्रकार से लेकर बुद्धिजीवी तक इसे अपराध से न जोड़कर अपराधी के धर्म और उसके क्रिया-कलापों से जोड़ रहें हैं। उस रेप आरोपित पुजारी को ब्राह्मण बता ये दिखाने की कोशिश की जा रही है कि ब्राह्मण ने बच्ची के साथ कितनी अधिक क्रूरता की। इस मुद्दे को कठुआ में हुए रेप कांड तक से जोड़कर एक ऐसी छवि बनाई जा रही है, मानों सारे पुजारी ही बलात्कारी होते हैं, जो कि शर्मनाक है।
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वहीं, दूसरा धड़ा अपराधी को सलीम बता इसे मुस्लिम समुदाय पर आरोप लगाने का मौका समझ रहा है और दोनों ही धड़ों की इन नौटंकियों के बीच मूल मुद्दा मीलों पीछे छूट चुका है। मुख्य बिन्दु ये है कि अपराधी हिन्दू या मुस्लिम, कोई पुजारी हो या कोई सलीम, दोनों को ही उनके कुकर्म के अनुसार सजा होनी चाहिए, और इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर इस पर जातिवाद या सांप्रदायिक मानसिकता ढूंढना एक संकीर्णता का प्रतीक है।