नेतन्याहू-मोदी का संबंध ख़ास है, इन्हें दोस्ती के लिए किसी कुर्सी की आवश्यकता नहीं

"ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे"

मोदी नेतन्याहू दोस्ती

कुछ चीजें पद और प्रतिष्ठा को नहीं देखती। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिद्ध किया, जब उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर बेंजामिन नेतन्याहू की शुभकामनाएँ स्वीकार की। इससे यह सिद्ध होता है कि दोनों की दोस्ती किसी पीएम के कुर्सी की मोहताज़ नहीं है।

हाल ही में बेंजामिन नेतन्याहू ने पीएम मोदी को भारत के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शुभकामनाएँ दी, जिसके प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपना आभार प्रकट करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया। आज भी पीएम मोदी और नेतन्याहू के बीच अच्छी दोस्ती बनी हुई हैं। यह मोदी के उस जवाब से स्पष्ट था जिसमें उन्होंने इज़रायल के पूर्व प्रधानमंत्री को फिर से “मेरे दोस्त” के रूप में संबोधित किया।

तो इसमें कौन सी खास बात है? दरअसल, बेंजामिन नेतन्याहू अब इज़राएल के प्रधानमंत्री नहीं है, बल्कि एक प्रमुख विपक्षी नेता है। ऐसे में पीएम मोदी द्वारा बेंजामिन नेतन्याहू को ट्वीट कर उनके के लिए आभार प्रकट करने के अपने ‘राजनीतिक दुष्परिणाम’ भी हो सकते हैं।

लेकिन नरेंद्र मोदी उन नेताओं में से नहीं है, जो केवल इसलिए किसी व्यक्ति से संपर्क करना बंद कर देंगे, क्योंकि वो उक्त देश के प्रधानमंत्री नहीं हैं। वैचारिक रूप से इज़राएल के पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और नरेंद्र मोदी में बहुत समानताएँ हैं। एक बात और भी ध्यान देने योग्य है – पीएम मोदी उन नेताओं के प्रति अधिक मुखरता से अपनी बात रखते हैं, जो वैचारिक रूप से समान हों, जैसे कि पीएम नेतन्याहू रहे हैं। दोनों ही वामपंथियों के धुर विरोधी हैं। दोनों के लिए राष्ट्र से ऊपर कुछ नहीं है, और दोनों के लिए सांस्कृतिक उत्थान बेहद आवश्यक है। ये पहली बार मुखर तौर पर तब सामने आया, जब पीएम मोदी ने वर्ष 2017 में इज़राएल का दौरा किया। यही कारण है कि उनके सत्ता से हटने के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी ने नेतन्याहू के साथ अपनी दोस्ती बनाए रखी है।

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आज के समय में इज़राएल के राजनीतिक संकट के कारण बेंजामिन नेतन्याहू भले ही देश के प्रधानमंत्री नहीं हो, परंतु पीएम मोदी और उनके बीच दोस्ती बिल्कुल भी कम नहीं हुई हो, और पीएम मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर किया गया ट्वीट इसी बात का सूचक है। लेकिन इस श्रेणी में पीएम नेतन्याहू अकेले नहीं है। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिनज़ो आबे से भी पीएम मोदी के संबंध काफी उतने ही घनिष्ठ हैं, जितने पहले थे। जापान के नए प्रधानमंत्री योशिहिदे सूगा से भी पीएम मोदी के संबंध काफी घनिष्ठ माने जाते हैं

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जापानी प्रधानमंत्री शिनज़ो आबे के लिए भी जापान का सांस्कृतिक उत्थान सर्वोपरि है, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों। ऐसे में नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर सिद्ध किया कि बेंजामिन नेतन्याहू जैसे अच्छे और सच्चे मित्रों से दोस्ती के लिए पीएम की कुर्सी आड़े नहीं आ सकती।

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