TFIPOST English
TFIPOST Global
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    अस्थिरता के साये में बांग्लादेश

    हिंसा और अस्थिरता के साये में बांग्लादेश: चुनाव से पहले बढ़ता संकट

    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    अटल मोदी

    आंध्र प्रदेश में भाजपा का विस्तार अभियान: अटल–मोदी सुपारिपालन यात्रा की शुरुआत

    कनाडाई सांसद ने संसद में उठाया बांग्लादेशी हिंदुओं पर हमलों का सवा

    कनाडाई संसद में गूंजा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ताइवान को बलपूर्वक कब्ज़ा करने की तैयारी में चीन

    पेंटागन की रिपोर्ट: 2027 तक ताइवान को बलपूर्वक कब्ज़ा करने की तैयारी में चीन

    कनाडाई सांसद ने संसद में उठाया बांग्लादेशी हिंदुओं पर हमलों का सवा

    कनाडाई संसद में गूंजा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा

    रूस की पुतिन सरकार ने भारतीय छात्रों के लिए एक बड़ा और राहत भरा फैसला लिया है

    पुतिन सरकार की बड़ी सौगात: भारतीय छात्रों को बिना प्रवेश परीक्षा रूसी विश्वविद्यालयों में मिलेगा दाखिला

    nick fluentes

    कौन हैं निक फ्यूएंटेस और क्यों अमेरिका के लिए ख़तरा है उनका यहूदी-विरोध

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    इतिहास को मिथक से मुक्त करने वाला संघर्ष

    बौद्धिक योद्धा डॉ. स्वराज्य प्रकाश गुप्त: इतिहास को मिथक से मुक्त करने वाला संघर्ष

    21 दिसम्बर 1909 : नासिक में ब्रिटिश अत्याचार का प्रतिकार — क्रांतिवीर अनंत कान्हरे द्वारा जिलाधीश जैक्सन का वध

    21 दिसम्बर 1909 : नासिक में ब्रिटिश अत्याचार का प्रतिकार — क्रांतिवीर अनंत कान्हरे द्वारा जिलाधीश जैक्सन का वध

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
tfipost.in
  • राजनीति
    • सभी
    • चर्चित
    • बिहार डायरी
    • मत
    • समीक्षा
    अस्थिरता के साये में बांग्लादेश

    हिंसा और अस्थिरता के साये में बांग्लादेश: चुनाव से पहले बढ़ता संकट

    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    अटल मोदी

    आंध्र प्रदेश में भाजपा का विस्तार अभियान: अटल–मोदी सुपारिपालन यात्रा की शुरुआत

    कनाडाई सांसद ने संसद में उठाया बांग्लादेशी हिंदुओं पर हमलों का सवा

    कनाडाई संसद में गूंजा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा

    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • सभी
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
    खनन क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने धामी सरकार की तारीफ की

    खनन सुधारों में फिर नंबर वन बना उत्तराखंड, बेहतरीन काम के लिए धामी सरकार को केंद्र सरकार से मिली 100 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    तेल, हीरे और हिंदुस्तान की नई भू-राजनीति: जब अफ्रीका की धरती पर एक साथ गूंजेगी भारत की सभ्यता, रणनीति और शक्ति की आवाज

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    80% खेती सिंधु पर, तालाब भी नहीं बचे! भारत की जल-नीति और अफगानिस्तान के फैसले ने पाकिस्तान को रेगिस्तान में धकेला, अब न पानी होगा, न रोटी, न सेना की अकड़

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    हमसे दुश्मनी महंगी पड़ेगी: भारत की सतर्कता और बांग्लादेश की गलती, जानें बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर कैसे पड़ रही चोट

    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • सभी
    • आयुध
    • रणनीति
    16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था

    ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

    शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है

    पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

    ऑपरेशन सिंदूर 2:0

    दिल्ली धमाका और PoK के नेता का कबूलनामा: क्या भारत के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर 2.0’ का समय आ गया है?

    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • सभी
    • AMERIKA
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
    ताइवान को बलपूर्वक कब्ज़ा करने की तैयारी में चीन

    पेंटागन की रिपोर्ट: 2027 तक ताइवान को बलपूर्वक कब्ज़ा करने की तैयारी में चीन

    कनाडाई सांसद ने संसद में उठाया बांग्लादेशी हिंदुओं पर हमलों का सवा

    कनाडाई संसद में गूंजा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा

    रूस की पुतिन सरकार ने भारतीय छात्रों के लिए एक बड़ा और राहत भरा फैसला लिया है

    पुतिन सरकार की बड़ी सौगात: भारतीय छात्रों को बिना प्रवेश परीक्षा रूसी विश्वविद्यालयों में मिलेगा दाखिला

    nick fluentes

    कौन हैं निक फ्यूएंटेस और क्यों अमेरिका के लिए ख़तरा है उनका यहूदी-विरोध

    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • सभी
    • इतिहास
    • संस्कृति
    23 दिसम्बर  बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    23 दिसम्बर बलिदान-दिवस: परावर्तन के अग्रदूत — स्वामी श्रद्धानन्द

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    श्रीनिवास रामानुजन: वह प्रतिभा, जिसने संख्याओं को सोच में बदल दिया

    इतिहास को मिथक से मुक्त करने वाला संघर्ष

    बौद्धिक योद्धा डॉ. स्वराज्य प्रकाश गुप्त: इतिहास को मिथक से मुक्त करने वाला संघर्ष

    21 दिसम्बर 1909 : नासिक में ब्रिटिश अत्याचार का प्रतिकार — क्रांतिवीर अनंत कान्हरे द्वारा जिलाधीश जैक्सन का वध

    21 दिसम्बर 1909 : नासिक में ब्रिटिश अत्याचार का प्रतिकार — क्रांतिवीर अनंत कान्हरे द्वारा जिलाधीश जैक्सन का वध

    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • सभी
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    The Rise of Live Dealer Games in Asia: Why Players Prefer Real-Time Interaction

    शोले फिल्म में पानी की टंकी पर चढ़े धर्मेंद्र

    बॉलीवुड का ही-मैन- जिसने रुलाया भी, हंसाया भी: धर्मेंद्र के सिने सफर की 10 नायाब फिल्में

    नीतीश कुमार

    जेडी(यू) के ख़िलाफ़ एंटी इन्कंबेसी क्यों नहीं होती? बिहार में क्यों X फैक्टर बने हुए हैं नीतीश कुमार?

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    क्यों PariPesa भारत रोमांचक एविएटर क्रैश गेम्स का अनुभव लेने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है

    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
tfipost.in
tfipost.in
कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • रक्षा
  • विश्व
  • ज्ञान
  • बैठक
  • प्रीमियम

1965: हाजी पीर पास का वो युद्ध जो भारत जमीन पर जीत कर भी टेबल पर हार गया

ये कथा है हाजी पीर के उस विजयगाथा की, जिसमें भूमि पर विजय तो भारत ने प्राप्त की, पर कूटनीति के क्षेत्र में इस ‘कोहिनूर’ जैसी विजय को अपने हाथों से गंवा दिया! 

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
27 August 2021
in रक्षा, रणनीति
हाजी पीर पास
Share on FacebookShare on X

आप यह कल्पना कीजिये कि आपने ने काफी कठिनाइयों के पश्चात टोक्यो ओलंपिक में जर्मनी के विरुद्ध हॉकी के स्पर्धा में कांस्य पदक का मैच खेला। आप प्रारंभ में पिछड़े, परंतु आपकी जीवटता और टीम के अदम्य साहस के कारण देश ने वर्षों बाद ओलंपिक में पदक का सूखा खत्म किया। परंतु जब पदक समारोह का समय आया, तो आपने ‘मानवीय आधार’ पर अपना कांस्य पदक जर्मनी को सौंप दिया। लोगों के मस्तिष्क में सर्वप्रथम यही प्रतिक्रिया आएगी – पागल हो क्या?

ऐसा ही कुछ हमारे इतिहास में भी हुआ था। दशकों पहले हमारी सेना ने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देते हुए एक ऐसी विजय प्राप्त की, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भी थी, क्योंकि इस क्षेत्र पर विजय पाने से भारत सामरिक तौर पर पाकिस्तान पर प्रभुत्व प्राप्त कर सकता था। परंतु, कूटनीति के मंच पर हमने एक ऐसी गड़बड़ की, जिसका दुष्परिणाम आज भी पूरा भारत भुगत रहा है। ये कथा है हाजी पीर पास के उस विजयगाथा की, जिसमें भूमि पर विजय तो भारत ने प्राप्त की, पर कूटनीति के क्षेत्र में इस ‘कोहिनूर’ जैसी विजय को अपने हाथों से हमने गंवा दिया।

संबंधितपोस्ट

बाँध कर नदी में खड़ा कराते, बहती थी गोलियों से भूनी हुई लाशें… भारत ने न बचाया होता तो बांग्लादेश कैसे मनाता ‘विजय दिवस’?

ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

और लोड करें

सबसे पहले यह समझते हैं कि ये हाजी पीर पास है क्या, और इसकी रणनीतिक विजय एवं कूटनीतिक पराजय से आज भी हम भारतीयों को इसके दुष्परिणाम क्यों भुगतने पड़ते हैं? हाजी पीर पास पाक अधिकृत कश्मीर में LOC से 8 किलोमीटर की दूरी पर, समुद्र तल से 8652 फुट की ऊंचाई पर एक पास है। ये दर्रा [Mountain Pass] उरी से पुंछ वाले क्षेत्र के निकट पड़ता है, और सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। आज भी आतंकियों के भारत में प्रवेश करने हेतु ये सबसे सरल और सुगम लॉन्चपैड में से एक माना जाता है।

इस कथा का प्रारंभ हुआ 1965 में। भारत को चीन से पराजय मिले ढाई वर्ष से अधिक हो चुके थे, और आर्थिक एवं कूटनीतिक मोर्चों पर भारत क्षत विक्षत पड़ चुका था। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हुए एक वर्ष से अधिक हो चुका था। उनका स्थान लाल बहादुर शास्त्री ने अवश्य लिया था, लेकिन न तो उन पर काँग्रेस के अधिकतम नेताओं को विश्वास था, और न ही देश की अधिकांश जनता को।

इसी बीच पाकिस्तान एक बार कश्मीर को हथियाने के लिए एक नया षड्यन्त्र रचने लगा, जिसके लिए उसने 1963 में हजरतबल मज़ार को लेकर उत्पन्न विवाद को आधार बनाया। आपको बता दें कि तब का पाकिस्तान आज के पाकिस्तान की भांति न तो भिखमंगा था, और न ही वह ऐसा देश था, जिसे भारत जब मन चाहता, तब पटक सकता था। कूटनीतिक, औद्योगिक और आर्थिक तौर पर पाकिस्तान मजबूत था, जिसका शासन फील्ड मार्शल अयूब खान के हाथों में था।

अप्रैल 1965 के आसपास कच्छ में पाकिस्तान ने सीज़फायर लाइन का उल्लंघन किया, और प्रत्युत्तर में भारत ने भी उचित उत्तर दिया। रणनीतिक रूप से भारत को कुछ लाभ प्राप्त हुआ, परंतु कूटनीतिक रूप से पाकिस्तान इस मोर्चे पर विजयी सिद्ध हुआ।

Pakistan was also superior in diplomatic terms, which proved harmful for India during the Rann of Kutch conflict, which ended in a diplomatic victory for Pakistan – https://t.co/apPgSjuLZc

— Animesh Pandey (Modi Ka Parivar) 🇮🇳 (@PandeySpeaking) August 15, 2021

इस कूटनीतिक विजय से उत्साहित होकर पाकिस्तान ने एक ‘नया षड्यन्त्र’ रचा – ऑपरेशन जिब्राल्टर। जब मध्य एशिया, विशेषकर मिडिल ईस्ट में इस्लाम की स्थापना हो चुकी थी, तो अरब आक्रमणकारियों ने 8 वीं सदी में Hispania peninsula पर आक्रमण किया और अपना आधिपत्य जमाया, जिसमें वर्तमान पुर्तगाल और स्पेन भी सम्मिलित है। इसी भांति पाकिस्तान कश्मीर पर आधिपत्य स्थापित कर भारत को एक ऐसा घाव देना चाहता था, जिससे वह कभी न उबर सके। यही कारण था कि इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन जिब्राल्टर रखा गया, जिसके अंतर्गत कश्मीरियों को ‘जिहाद’ के नाम उकसाया जाता, और उन्हें भारतीय फौजों का सर्वनाश करने के लिए प्रेरित किया जाता। इस काम के लिए मेजर मालिक मुनव्वर खान अवान जैसे अफसर भी चुने गए, जिन्होंने कभी नेताजी की आजाद हिन्द फौज को अपनी सेवाएँ दी थी।

Do you know why Pakistan chose the codename Operation Gibraltar?

In 8th century, the Islamists had conquered the Iberian peninsula , that comprised the likes of modern Portugal and Spain. As such, Pakistan wanted to repeat the success of the 'holy mission' of Gibraltar.

— Animesh Pandey (Modi Ka Parivar) 🇮🇳 (@PandeySpeaking) August 15, 2021

परंतु इस पूरे प्रकरण में उन्होंने न तो भारतीयों की शक्ति को आँकने की सोची, और न ही ये जानने का प्रयास किया कि भारतीयों का सेनाध्यक्ष कौन है। उस समय भारत की थलसेना की कमान जनरल जयंतो नाथ चौधुरी थे, जिन्होंने मेजर जनरल के तौर पर न सिर्फ हैदराबाद में निज़ाम शाही और उसके रजाकारों के छक्के छुड़ाने में एक अहम भूमिका निभाई थी, अपितु भारत का तीसरा विभाजन होने से भी बचाया था।

https://twitter.com/LaffajPanditIND/status/1426877378173706241

इसके अलावा कश्मीरियों ने भी पाकिस्तान की योजना में उनका कोई साथ नहीं दिया, और उलटे वे जहां भी गए, उन्होंने खुलकर भारतीय सेनाओं की सहायता की और उन्हें पाकिस्तानी सेनाओं एवं मुजाहिद्दीनों के बारे में आवश्यक जानकारी दी। ऑपरेशन जिब्राल्टर न केवल असफल हुआ, अपितु भारत एक बार फिर एक बहुत बड़ी त्रासदी का शिकार होने से बच गया। परंतु ये इस कहानी का एक भाग था, क्योंकि असली युद्ध तो अभी बाकी था।

जब प्रधानमंत्री को स्थिति का आभास हुआ, तो उन्होंने आपातकालीन बैठक बुलाई। उन्होंने स्पष्ट कहा, “भारत केवल घुसपैठियों [पाकिस्तानियों] को अपने भूमि से हटा नहीं सकता। घुसपैठ यदि जारी रहती है, तो हमें भी अपनी लड़ाई दूसरी ओर मोड़नी होगी।” शेखर कपूर और एबीपी न्यूज द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित वेब सीरीज़ ‘प्रधानमंत्री’ में लालबहादुर शास्त्री के किरदार इसी बात को स्पष्टता से रेखांकित करते हैं।

आखिरकार 15 अगस्त 1965 को भारत ने सीमा रेखा पार करते हुए पाकिस्तान के नियंत्रण में आए कुछ क्षेत्रों पर पुनः नियंत्रण प्राप्त किया, जहां से वे श्रीनगर से लेह जाने वाले राजमार्ग पर बाधा डाल रहे थे। परंतु भारत इतने पे नहीं रुका। ब्रिगेडियर ज़ोरावर चंद बख्शी के नेतृत्व में एक बेहतरीन युक्ति निकालते हुए भारत ने हाजी पीर पास को पाकिस्तान के नियंत्रण से स्वतंत्र करने का निर्णय किया।

यह मिशन कतई सरल नहीं था, क्योंकि कारगिल की भांति शत्रु ऊंचाई पर आधुनिक शस्त्रों के साथ सुसज्जित था। हमारे जवानों के पास परंतु .303 राइफल को 7.62 mm सेमी ऑटोमैटिक L1A1 राइफल ने पूर्णतया रिप्लेस नहीं किया था। इसके बावजूद हमारे योद्धा हर स्थिति में जूझने को तैयार थे।

19 वीं Infantry Division को हाजी पीर पास को स्वतंत्र कराने का दायित्व दिया गया, जिसके अंतर्गत 1 Para Regiment, 4 Rajput Regiment, 19 Punjab Regiment, 6 Jammu and Kashmir Light Infantry Regiment, 4 Sikh Light Infantry Regiment, 164 Field Regiment इत्यादि की टुकड़ियों को इस मिशन के लिए चयनित किया गया था। शत्रु को सीधे मुंह जवाब देने के स्थान पर Pincer Movement रणनीति के अंतर्गत धावा बोलने की रणनीति तैयार की गई, यानि शत्रु को दो तरफ से घेरकर उनके पलटकर वार करने की संभावना को क्षीण करने पर ध्यान देने को सुनिश्चित किया गया। इस पूरे प्रकरण में सबसे आगे रही 1 Para Regiment, जिसके कमांडिंग अफसर मेजर रंजीत सिंह दयाल ने अदम्य साहस का परिचय दिया।

आखिरकार युद्ध का दिन आया – 25 अगस्त 1965। इस दिन की संध्या को 19 Infantry Division, विशेषकर 1 Para Regiment की टुकड़ी ने साँक के रास्ते पाकिस्तानी खेमे पर धावा बोला। भारतीयों ने भोजन के ऊपर गोला बारूद को प्राथमिकता दी, इसलिए भोजन में केवल शक्कर पारे और सूखे बिस्कुट साथ लेकर गए। तीन दिनों तक चले भीषण युद्ध में भारतीयों ने काफी कुछ खोया, परंतु अंत में 28 अगस्त को साँक में विजय प्राप्ति के साथ ही हाजी पीर पास पर तिरंगा लहराया गया। 10 सितंबर आते आते सम्पूर्ण हाजी पीर पास पाकिस्तान के चंगुल से मुक्त हो चुका था।

1971 के विजय से पूर्व, 1999 के कारगिल के अभूतपूर्व विजय और हाल के सर्जिकल स्ट्राइक्स एवं एयर स्ट्राइक्स से बहुत पहले ये एक ऐसी विजय थी, जिसके बारे में आज भी हमारा आधा देश अनभिज्ञ है। हम बड़े चाव से मुगलों का इतिहास पढ़ाते हैं, परंतु यह पढ़ाने में क्यों सांप सूंघ जाता है कि कैसे मेजर रंजीत सिंह दयाल ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए हाजी पीर पास जैसे क्षेत्र को पाकिस्तान के चंगुल से मुक्त कराया, कैसे हवलदार उमराव सिंह ने इस युद्ध में अपना सर्वस्व अर्पण करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी, परंतु माँ भारती का मस्तक नहीं झुकने दिया? मेजर रंजीत सिंह को जहां उनकी सेवा के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च वीरता सम्मान [युद्धकाल], महावीर चक्र से सम्मानित किया गया, तो वहीं हवलदार उमराव सिंह को मरणोपरांत भारत के तीसरे सर्वोच्च वीरता सम्मान, वीर चक्र से सम्मानित किया गया।

परंतु हमारे देश का अहो दुर्भाग्य देखिए, जिस युद्ध में रणनीतिक कौशल एवं अदम्य साहस से भारत ने विजय प्राप्त की, उसे हमने कूटनीति की मेज पर गंवा दिया। ताशकंद में हुए समझौते के अंतर्गत भारत और पाकिस्तान ने जो भी क्षेत्रों पर कब्ज़ा जमाया था, वो उन्हे जस का तस छोड़ना था, यानि युद्ध से पूर्व वाली स्थिति में। यानी भारत ने हाजी पीर पास को जो पुनः स्वतंत्र कराया था, और जो भारत सियालकोट और लाहौर को लगभग पुनः स्वतंत्र कराने की स्थिति में पहुँच चुका था, उसे इन दोनों ही मोर्चों से पीछे हटना पड़ा। आज इसी भूल के कारण भारत को कश्मीर में आतंकवादियों के उत्पात का सामना करना पड़ता है। कल्पना कीजिए यदि हमने हाजी पीर पास को अपने नियंत्रण में ही रखा होता, तो आज भारत कहाँ होता?

 

Tags: 1965ऑपरेशन जिब्राल्टरपाकिस्तान
शेयर166ट्वीटभेजिए
पिछली पोस्ट

PM मोदी के डर से चीन की उडी नींद, “वुहान लैब लीक थ्योरी” की जांच करने वाले भारतीय शिक्षक के खिलाफ Global Times ने छापा लेख

अगली पोस्ट

कैप्टन अमरिंदर सिद्धू के स्वभाव से भली भांति परिचित थे, बस सिद्धू की एक गलती की प्रतीक्षा कर रहे थे

संबंधित पोस्ट

16 दिसंबर को पाकिस्तान के पूर्वी मोर्चे के कमांडर जनरल ए के नियाजी ने 93,000 सैनिकों के साथ सरेंडर किया था
इतिहास

ढाका सरेंडर: जब पाकिस्तान ने अपने लोगों की अनदेखी की और अपने देश का आधा हिस्सा गंवा दिया

16 December 2025

16 दिसंबर 1971 को ढाका में भारतीय और बांग्लादेशी कमांडरों की मौजूदगी में एक शांत लेकिन ऐतिहासिक दृश्य सामने आया, जब पाकिस्तान की ईस्टर्न कमांड...

संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 
चर्चित

संसद हमले की बरसी: आपको कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी याद हैं? 

13 December 2025

13 दिसंबर 2001—वह तारीख जिसे भारत कभी नहीं भूल सकता। आज से 24 वर्ष पहले ठीक इसी दिन देश की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था- संसद भवन...

शिप बेस्ड ISBM लॉन्च के पाकिस्तान के दावे में कितना दम है
आयुध

पाकिस्तान जिस SMASH मिसाइल को बता रहा है ‘विक्रांत किलर’, उसकी सच्चाई क्या है ?

28 November 2025

पाकिस्तान ने हाल ही में अपनी “शिप-लॉन्च्ड एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल (ASBM)” का परीक्षण किया है। पाकिस्तान की तरफ़ से SMASH नाम की इस एंटीशिप मिसाइल...

और लोड करें

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

I agree to the Terms of use and Privacy Policy.
This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

इस समय चल रहा है

Captured Turkish YIHA drone Showed by the Indian Army |Defence News| Operation Sindoor

Captured Turkish YIHA drone Showed by the Indian Army |Defence News| Operation Sindoor

00:00:58

A War Won From Above: The Air Campaign That Changed South Asia Forever

00:07:37

‘Mad Dog’ The EX CIA Who Took Down Pakistan’s A.Q. Khan Nuclear Mafia Reveals Shocking Details

00:06:59

Dhurandar: When a Film’s Reality Shakes the Left’s Comfortable Myths

00:06:56

Tejas Under Fire — The Truth Behind the Crash, the Propaganda, and the Facts

00:07:45
फेसबुक एक्स (ट्विटर) इन्स्टाग्राम यूट्यूब
टीऍफ़आईपोस्टtfipost.in
हिंदी खबर - आज के मुख्य समाचार - Hindi Khabar News - Aaj ke Mukhya Samachar
  • About us
  • Careers
  • Brand Partnerships
  • उपयोग की शर्तें
  • निजता नीति
  • साइटमैप

©2025 TFI Media Private Limited

कोई परिणाम नहीं मिला
सभी परिणाम देखें
  • राजनीति
    • चर्चित
    • मत
    • समीक्षा
  • अर्थव्यवस्था
    • वाणिज्य
    • व्यवसाय
  • रक्षा
    • आयुध
    • रणनीति
  • विश्व
    • अफ्रीका
    • अमेरिकाज़
    • एशिया पैसिफिक
    • यूरोप
    • वेस्ट एशिया
    • साउथ एशिया
  • ज्ञान
    • इतिहास
    • संस्कृति
  • बैठक
    • खेल
    • चलचित्र
    • तकनीक
    • भोजन
    • व्यंग
    • स्वास्थ्य
  • प्रीमियम
TFIPOST English
TFIPOST Global

©2025 TFI Media Private Limited