इन दिनों पाकिस्तान के सितारे एकदम गर्दिश में है। न उसे बाइडन प्रशासन घास डाल रहा है, न UN उसकी सुन रहा है। यूरोप में कोई उसकी सुनने को तैयार नहीं, और चीन केवल नाम का उसका मित्र है, क्योंकि भारत से पंगे लेना माने प्रलय को निमंत्रण देने के समान है। इसी बीच अब इमरान खान प्रशासन ‘ठुकराए सत्तू’ के भांति अमेरिका और यूके पर पाकिस्तान के अनदेखी के आरोप लगा रहे हैं, और ‘इंतकाम’ की धमकी भी दे रहा है। बाइडन प्रशासन द्वारा अनदेखी और UN सुरक्षा परिषद में अफ़गानिस्तान पर हुई बैठक में जानबूझकर भारत द्वारा नहीं बुलाए जाने के बाद पाकिस्तान को जोर का झटका लगा है I
लेकिन ये ठुकराए सत्तू का तात्पर्य क्या है? असल में पाकिस्तान को लगता है कि अमेरिका और यूके ने जानबूझकर उसे धोखा दिया है और कश्मीर के मुद्दे को अनदेखा किया है। इसके पीछे कई कारण है, जिसपर विस्तार से चर्चा करना आवश्यक है। सर्वप्रथम तो इमरान खान ने अमेरिका पर पाकिस्तान से धोखेबाजी करने का आरोप लगाया है। उनके अनुसार अमेरिका असल में भारत से साझेदारी कर रहा है और पाकिस्तान से वह अपना ‘कचरा साफ करवाता है’। इमरान खान को लगता था कि जो बाइडन के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से पाकिस्तान फिर से अमेरिका का राजदुलारा बन जाएगा और भारत की शामत आएगी, लेकिन भारत के कूटनीतिक कद को देखते हुए बाइडन प्रशासन भी ऐसा कुछ भी करने से पहले दस बार सोच रहा है। इसी बात से इमरान बौखलाए हुए हैं, और उन्होंने अमेरिका पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है।
हिंदुस्तान के रिपोर्ट के अंश अनुसार, “अमेरिका और भारत के करीब आने से पाकिस्तान बौखला गया है। दोनों देशों की नजदीकियों को देखकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपना दर्द छुपा नहीं पाए हैं, इसलिए उन्होंने कहा है कि अमेरिका अब भारत के साथ अपनी दोस्ती मजबूत कर रहा है, इसी वजह से वह पाकिस्तान के साथ अलग तरह का व्यवहार कर रहा है। भारत और अमेरिका की बढ़ती नजदीकियों से घबराए इमरान खान ने कहा है, “मुझे लगता है अमेरिकियों ने फैसला किया है कि भारत ही उनका रणनीतिक साझेदार है, इसलिए वे पाकिस्तान के साथ अलग तरह का व्यवहार करते हैं।” लेकिन यही एक कारण नहीं जिसके पीछे पाकिस्तान पगलाया हुआ है।
हाल ही में कोरोना से संबंधित तैयारियों को लेकर यूके ने अपनी यात्रियों से जुड़ी ‘रेड लिस्ट’ से भारत का नाम हटा दिया। इसका अर्थ है कि अब भारत के यात्रियों पर कम पाबंदियाँ लगेंगी। परंतु पाकिस्तानियों को यह सुविधा अभी नहीं मिली है, जिससे वह बुरी तरह बौखलाया हुआ है। बीबीसी के रिपोर्ट के अंश अनुसार, “इमरान ख़ान कैबिनेट में मानवाधिकार मामलों की मंत्री शिरीन मज़ारी ने ब्रिटेन आने वाले पाकिस्तानियों के लिए निर्धारित कोविड प्रोटोकोल को लेकर नाराज़गी जाहिर की है। उनकी शिकायत है कि ब्रिटेन ने भारत को रेड लिस्ट से हटा लिया है लेकिन पाकिस्तान को नहीं। दरअसल, ब्रिटेन ने संयुक्त अरब अमीरात, क़तर, भारत और बहरीन को रेड लिस्ट से हटाकर एम्बर लिस्ट में रखा है। पाकिस्तान को रेड लिस्ट में रखने पर नाराज़गी जताते हुए शिरीन मज़ारी ने कहा, “ये हास्यास्पद है!”
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ब्रिटिश सरकार में भारत से लगाव रखने वाले लोगों की चलती है। कोरोना महामारी को भारत ने जितने ख़राब तरीके से हैंडल किया है, वो दुनिया के सामने ज़ाहिर है लेकिन इसके बावजूद भारत को एम्बर लिस्ट में डाल दिया गया जबकि पाकिस्तान को रेड लिस्ट में ही रखा गया है। लेकिन जब विपक्षी सांसदों को दबाव पड़ा तो उन्होंने ये कमज़ोर सी दलील दी कि पाकिस्तान ने डेटा शेयर नहीं किया था।” असल में पाकिस्तानी प्रशासन में इस बात को लेकर कुंठा अधिक है कि उसके बजाए लोग भारत की ही क्यों सुन रहे हैं? इससे पहले UN सुरक्षा परिषद में अफ़गानिस्तान के बिगड़ते हालातों को लेकर भारत की अध्यक्षता में हुए बैठक में पाकिस्तान को जानबूझकर नहीं बुलाया गया, क्योंकि सभी जानते थे कि इस हालत के लिए वास्तव में कौन जिम्मेदार है। ऐसे में अब पाकिस्तानी प्रशासन अपनी अकर्मण्यता के पीछे जनता के विद्रोह से बचने के लिए अमेरिका और यूके पर अपनी कुंठा निकालकर अपनी इज्जत बचाना चाह रहे हैं, लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगना I