हाल ही में विश्व को उसकी उसकी प्रथम आतंकवादी सरकार मिल चुकी है। इसके मंत्रियों में एक से बढ़कर एक आतंकी भरे पड़े हैं, जिनमें से अधिकतर अमेरिका से लेकर दुनिया भर के क्राइम पोर्टल्स जैसे इन्टरपोल के मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल है, लेकिन अब ये अफगानिस्तान की सत्ता की बागडोर संभालते हुए दिखाइ देंगे। परंतु इस कैबिनेट में महिलाओं के न होने से कुछ लोग बड़े अचंभित हैं; और हम इनकी इस प्रतिक्रिया से हैरान हैं कि ये लोग एक घोर महिला विरोधी तालिबानीयों से ये उम्मीद ही कैसे कर सकते हैं कि वो महिलाओं के महत्व देगा?
हालांकि, इसमें सबसे अस्वाभाविक निर्णय है गृह मंत्रालय का पदभार सिराजुद्दीन हक्कानी को देना भी है। अलकायदा के बाद के सबसे कुख्यात आतंकी संगठन में से एक हक्कानी नेटवर्क का अहम सदस्य है सिराजुद्दीन हक्कानी, जो काबुल में 2008 के आतंकी हमले, और भारतीय दूतावास पर हुए आतंकी हमले में भी शामिल रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने तो इस व्यक्ति की जानकारी देने पर 50 लाख अमेरिकी डॉलर के पुरस्कार का ऐलान किया था, और इसके संबंध अलकायदा से भी रहे हैं।
Globally designated terrorist of Haqqani Network Sirajuddin Haqqani is the new Interior Minister of Afghanistan. Let that sink in. pic.twitter.com/pCgWlcJIRW
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) September 7, 2021
इससे भी अचंभित करने वाली बात तो यह है कि वामपंथी गुट और अमेरिकी प्रशासन इस बात से अचंभित है कि तालिबानी सरकार में ‘महिलाओं की कोई हिस्सेदारी नहीं है’। वामपंथियों के लिए तालिबान के कैबिनेट में महिलाओं का न होना परेशान करने वाला है। इससे वे इतने अचंभित हो रहे हैं, मानो तालिबान सरकार में ‘महिलाओं की हिस्सेदारी’ न होना दुनिया का आठवाँ अजूबा है।
अमेरिका का स्टेट डिपार्टमेंट इस बात से चिंतित है कि तालिबान की नई सरकार में महिलाओं का प्रतिनिधित्व न होना उनके लिए हितकारी नहीं होगा। कुछ न्यूज रिपोर्ट्स की मानें, तो स्वयं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भी अफगानी सरकार में महिलाओं के नगण्य प्रतिनिधित्व से चिंतित है।
द टाइम्स के लिए कार्यरत क्रिस्टीना लैंब ने आश्चर्य जताते हुए ट्वीट किया, “कमाल है, तालिबान की नई सरकार में 33 मुल्ला और अमेरिकी प्रतिबंध का सामना कर रहे 4 व्यक्ति हैं, परंतु अन्य विभागों और महिला समुदाय से एक भी प्रतिनिधि नहीं। मुल्ला ओमर का बेटा रक्षा मंत्री है। वो कहते हैं कि वो बदल गए हैं परंतु ऐसा दिख नहीं रहा”।
The Taliban government has 33 mullahs and 4 people under US sanctions but zero women or people from other political groups. Son of late leader Mullah Omar is Defence Minister. They say they have changed but this is hardline
— christinalamb (@christinalamb) September 7, 2021
कमाल है, इन वामपंथियों को क्या लगा था, तालिबानी कोई छोटे बच्चे हैं कि उनसे कहो कि ये न करो तो वे वैसा नहीं करेंगे? सूर्य जैसे पश्चिम से नहीं उग सकता, वैसे ही तालिबान, जो महिलाओं पर बेतहाशा अत्याचार करने के लिए कुख्यात है, वो भला क्यों बदलेगा? असल में वामपंथी चाहते थे कि तालिबानी अपनी कैबिनेट में महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व देे, ताकि उदारवाद के नाम पर इस बर्बर शासन के हर कुकृत्य को उचित ठहराया जा सके, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। वैसे भी, जो आठ माह से गर्भवती महिला पुलिस अफसर को उसके परिवार के सामने ही गोलियों से भून दे, उनसे आप मानवता और उदारवाद की आशा कर भी कैसे सकते हैं?
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इसी बात पर TFI Post की प्रमुख संपादक शुभांगी शर्मा ने व्यंग्यात्मक ट्वीट डालते हुए पोस्ट किया, “अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात की नई सरकार की लिस्ट बड़ी हैरान भरी है। इसमें न कोई महिला है, न कोई अल्पसंख्यक, न कोई LGBTQ वाले, सिर्फ 33 विषैले पुरुष। हमें विविधता के लिए खड़ा होना ही होगा। हम वोक लोग तालिबान के इस धोखे से खफा हैं”।
The government of the Islamic Emirate of Afghanistan is shocking. Out of the 33 ministers there are:
No religious minorities
No women
No LGBTQ people
No birthing people 😡
Just 33 toxic men.We must stand up for diversity. We the woke, feel betrayed & let down by the Taliban
— Shubhangi Sharma (@ItsShubhangi) September 7, 2021
सच कहें तो तालिबान से विविधता और लोकतान्त्रिक सोच की आशा रखना माने औरंगज़ेब से धर्मनिरपेक्षता, जोसेफ स्टालिन से उद्यमिता को बढ़ावा देना और इंदिरा गांधी से पाकिस्तान में फंसे युद्धबंदियों को वापिस लाने की आशा रखने समान होगा। ऐसी सोच रखने वालों पर हंसी भी आती है और दुख भी।