पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अभी स्नेहा दुबे के तमाचे से उबरे भी नहीं थे कि दूसरे गाल पर भी एक करारा तमाचा पड़ गया है और यह तमाचा इतना करारा है कि इसकी गूंज इमरान खान को बहुत लंबे समय तक परेशान करेगी। अंतरराष्ट्रीय पटल पर फासीवाद, आरएसएस और मोदी पर ज्ञान उड़ेलने वाले इमरान खान अपने देश की स्थिति पर नहीं बोलते हैं और यहीं उनकी डर को दिखाता है। खैर, इमरान खान भले ना बोले लेकिन तथ्यों को किसी बात का फर्क नहीं पड़ता है और पाकिस्तान से जुड़ा एक शाश्वत सत्य है कि वह आतंकवादी संगठनों का पालनहार है। यह बात हम नहीं कह रहे है, यह बातें अमेरिकी कांग्रेस रिपोर्ट में बोली गई है, जहां पाकिस्तान को 12 आतंकवादी संगठनों का घर बताया गया है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आया है जब पीएम मोदी अमेरिका से हो कर लौटे तथा अपने अमेरिकी यात्रा के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से भी मुलाक़ात की थी।
अमेरिकी कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस की रिपोर्ट ने पाकिस्तान को कम से कम 12 समूहों के घर के रूप में पहचाना है, जिन्हें ‘विदेशी आतंकवादी संगठन’ के रूप में नामित किया गया है। अमेरिकी कांग्रेस के द्विदलीय अनुसंधान शाखा द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान को कई सशस्त्र और गैर-राज्य आतंकवादी समूहों के संचालन या लक्ष्य के रूप में करार दिया गया है। इनमें से पांच संगठनों को (लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद) ‘भारत केंद्रित’ आतंकवादी समूह के रूप में पहचाना गया है, जो कश्मीर को निशाना बनाने के लिए समर्पित हैं।
पाकिस्तान में सक्रिय इन समूहों को व्यापक रूप से पांच प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है – विश्व स्तर पर काम करने वाले, अफगानिस्तान के विरुद्ध काम करने वाले, भारत और कश्मीर के विरुद्ध सक्रिय, घरेलू स्थिति के विरुद्ध और सांप्रदायिक (शिया विरोधी) संगठन।
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अमेरिकी अधिकारियों ने इमरान खान के नेतृत्व वाले राष्ट्र की पहचान कई सशस्त्र आतंकवादी समूहों के लिए एक घर के रूप में की है जो 1980 के दशक से अस्तित्व में हैं। इनकी पहचान मुख्य रूप से लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद, हूजी, इस्लामिक स्टेट फ़ॉर खोरासन प्रोविंस और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के रूप में की गई है। अमेरिकी कांग्रेस रिपोर्ट में हिज्बुल मुजाहिदीन को पाकिस्तान के सबसे बड़े इस्लामी राजनीतिक दल के आतंकवादी विंग के रूप में कहा गया है। अमेरिकी कांग्रेस रिपोर्ट में बताया गया है, “यह जम्मू-कश्मीर में सक्रिय सबसे बड़े और सबसे पुराने आतंकवादी समूहों में से एक है।” पाकिस्तान से संचालित होने वाले अन्य आतंकवादी समूहों में अल कायदा भी है, जो कराची के साथ-साथ अफगानिस्तान में भी काम कर रहा है।
भारत को लेकर क्या खबर है?
रिपोर्ट ने स्पष्ट रूप से लश्कर ए तैयबा को मुंबई में 2008 के प्रमुख हमलों के साथ-साथ भारत में कई अन्य हाई-प्रोफाइल हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। LeT के साथ, जैश ए मुहम्मद ( जिसे 2000 में कश्मीरी आतंकवादी नेता मसूद अजहर द्वारा स्थापित किया गया था) को अन्य कई हमलों के अलावा भारतीय संसद पर 2001 के हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
रिपोर्ट में आगे उल्लेख किया गया है कि हरकत-उल जिहाद इस्लामी (HUJI) का गठन 1980 में अफगानिस्तान में सोवियत सेना से लड़ने के लिए किया गया था। अमेरिकी कांग्रेस रिपोर्ट में बताया गया है, “एक गैर अनुमानित ताकत के साथ, HUJI आज अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत में काम कर रहा है और कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने के लिए काम कर रहा है।”
पाकिस्तान के आतंक विरोधी कदमों की भर्त्सना
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान जिसे “आतंकवादी सुरक्षित पनाहगाह” के रूप में मान्यता दी गई है, वह अपनी धरती पर आतंकी समूहों की मौजूदगी का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण उपाय करने में विफल रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि “भारत और अफगानिस्तान-केंद्रित आतंकवादियों के खिलाफ इस्लामाबाद ने अभी तक निर्णायक कार्रवाई नहीं की है” और “आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए 2015 की राष्ट्रीय कार्य योजना के तमाम पहलुओं पर प्रगति अधूरी है, विशेष रूप से सभी आतंकवादी संगठनों को बिना किसी देरी और भेदभाव के नष्ट करने का संकल्प सिर्फ एक कोरा वादा है।”
यह निष्कर्ष निकाला गया है कि पाकिस्तान की सरकार और सेना ने पूरे देश में आतंकवादी सुरक्षित पनाहगाहों के संबंध में “असंगत कार्य” किया है। अमेरिकी कांग्रेस रिपोर्ट में कहा गया है, “अधिकारियों ने कुछ आतंकवादी समूहों और व्यक्तियों को देश में खुले तौर पर काम करने से रोकने के लिए पर्याप्त कार्रवाई नहीं की है।”
यह बदलाव इस बात का संकेत भी हो सकता है कि मोदी और बाइडन के बीच पाकिस्तान का आतंकवाद में रोल स्पष्ट करने के लिए बातचीत हुआ हो। यह जगजाहिर है कि नरेंद्र मोदी के अमेरिका से वापस आने के बाद ही अमेरिका ने कहा कि वह जल्दी इमरान खान को फोन करके सम्पर्क नहीं करेगा। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे पर पाकिस्तान और आतंकवाद का सम्बंध बताने में सफल हुए थे और सँयुक्त राष्ट्र महासभा में भी स्नेहा दुबे ने इमरान खान को आतंकवाद का पालनहार बताते हुए खरी खोटी सुनाई थी। यह रिपोर्ट एक तरीके से भारत और अमेरिका का आतंकवाद के प्रति सामान्य रूप से प्रतिबद्धता दर्शाता है।
जिसका घर शीशे का होता है, उसे दूसरे के घर पर पत्थर नहीं मारना चाहिए। यह शाश्वत सत्य है कि पाकिस्तान आतंकवादियों का पालनहार है और जबतक उसके पास ये कुख्यात पहचान मौजूद है, वह शांतिदूत बनने का ढोंग बंद करे। भारत के खिलाफ सक्रिय सभी आतंकवादियों को निष्क्रिय करना पाकिस्तान की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। जहां तक बात है उसकी नैतिकता की, पाकिस्तान को समझना चाहिए कि बुरा आतंकवाद और अच्छा आतंकवाद कुछ नहीं होता है। उसे चुपचाप अपने घर में मौजूद सभी आतंकी संगठनों को नष्ट करना चाहिए लेकिन ऐसा करने में शायद ही इमरान खान सफल हो।