आकाश प्राइम का परीक्षण सफल, स्वदेशी Iron Dome की ओर भारत का पहला कदम

रक्षा बलों और क्षमताओं के स्वदेशीकरण की दिशा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है!

भारत का रक्षा स्वदेशीकरण कार्यक्रम दिन प्रतिदिन प्रगति कर रहा है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भारत की बढ़ती रक्षा जरूरतों को पूरा करने में एक अभूतपूर्व नेतृत्व किया है। यह देश को नई और उन्नत प्रणालियों को बना रहा है, जो निकट भविष्य में, देश को सुरक्षित करने में अहम भूमिका निभाएंगे।

21वीं सदी अपने साथ सशस्त्र UAV का आगमन लेकर आई है। ये मानव रहित सशस्त्र ड्रोन न केवल गेम-चेंजिंग साबित हुए हैं, बल्कि दुनिया भर के हालिया संघर्षों में भी निर्णायक साबित हुए हैं -उदाहरण के लिए अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच नागोर्नो कराबाख युद्ध के दौरान तुर्की ने ड्रोन का इस्तेमाल कर युद्ध को प्रभावी ढंग से जीता था।

भारत को मिसाइलों और रॉकेटों से भी खतरा है। कहा जाता है कि चीन ने विशेष रूप से भारत-तिब्बत सीमा पर कई मिसाइल बैटरी स्थापित की हैं, जिन्हें वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के रूप में भी जाना जाता है। इस तथ्य को देखते हुए कि चीन भारत पर मिसाइल दाग सकता है तथा भारतीय वायु सेना को ऐसी बैटरी और लॉन्चिंग ग्राउंड से तबाह कर सकता है। इसके लिए भारत खुद को उच्च तकनीक और सटीक-तथा निर्देशित वायु रक्षा प्रणाली से लैस करना आवश्यक था। DRDO ने इस मोर्चे पर काम किया है, और भारत Iron Dome जैसी अभेद्य वायु रक्षा प्रणाली विकसित करने की राह पर है।

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आकाश प्राइम मिसाइल सिस्टम

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने सोमवार को ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से आकाश के एक नए संस्करण आकाश प्राइम मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। मौजूदा आकाश प्रणाली की तुलना में, आकाश प्राइम बेहतर सटीकता के लिए एक स्वदेशी सक्रिय रेडियो फ्रीक्वेंसी से लैस है। अन्य विशेषता में यह कम तापमान के वातावरण में तथा ऊंचाई पर अधिक विश्वसनीय तरीके से काम करेगा। DRDO के एक बयान में कहा गया है, “मिसाइल ने सुधार के बाद अपने पहले उड़ान परीक्षण में दुश्मन के विमान की नकल करते हुए एक मानव रहित हवाई लक्ष्य को रोका और नष्ट कर दिया।”

DRDO ने बताया कि उड़ान परीक्षण ने स्वदेशी रूप से विकसित आरएफ सीकर, लॉन्चर, मल्टी-फंक्शन रडार और कमांड, कंट्रोल एंड कम्युनिकेशन सिस्टम के साथ मिसाइल से युक्त संपूर्ण हथियार प्रणाली के कामकाज को सुनिश्चित किया है। बता दें कि खराब मौसम की स्थिति के बीच परीक्षण किया गया था जिससे हथियार प्रणाली की सभी मौसम क्षमता को साबित किया जा सके।

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू) को बधाई देते हुए कहा कि सफल उड़ान परीक्षण ने विश्व स्तरीय मिसाइल प्रणालियों के डिजाइन और विकास में DRDO की क्षमता को साबित कर दिया है।

भारत का Iron Dome तैयार हो रहा है?

विश्व के अन्य देश इजरायल की अपने पड़ोस से उसके खिलाफ किए गए लगभग सभी हवाई हमलों को विफल करने के जबरदस्त क्षमता से ईर्ष्या करते हैं। चाहे वह हमास द्वारा नियंत्रित गाजा पट्टी से हो, या हिजबुल्लाह के प्रभुत्व वाले लेबनान से इजरायल के उत्तर में हो। Iron Dome राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स द्वारा विकसित एक प्रभावी, ट्रक-टोड, मल्टी-मिशन मोबाइल एयर डिफेंस सिस्टम है। इस सिस्टम ने अब तक 90% से अधिक की सफलता दर के साथ 2,500 से अधिक आने वाले लक्ष्यों को इंटरसेप्ट किया है। भारत का आकाश प्राइम सिस्टम भारत को अपने स्वयं के Iron Dome जैसी वायु रक्षा प्रणाली के करीब ले जात दिखाई रहा है, जो दुश्मन के हवाई हमलों से भारतीय लोगों और संपत्तियों की निर्बाध रूप से रक्षा करेगा।

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हाल ही में, भारतीय नौसेना ने भारत की पहली स्वदेशी एंटी-ड्रोन प्रणाली के लिए भारत इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। एक एंटी-ड्रोन सिस्टम मूल रूप से मानव रहित हवाई वाहन का पता लगा सकता है और उसे उड़ा सकता है। यह ड्रोन रोधी प्रणाली भारतीय जहाजों और हवाई स्थानों को पाकिस्तान और चीन के दुश्मन ड्रोन से सुरक्षित रखेगी। इससे पहले, जम्मू में वायु सेना बेस पर हमले के आलोक में, भारत ने तत्काल आधार पर इजरायली एंटी-ड्रोन SMASH 2000 प्लस सिस्टम खरीदने का फैसला किया था।

हाल ही में, भारत ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मानिर्भर भारत पहल के तहत स्वदेशी ड्रोन विकसित करने के लिए स्टार्ट-अप और यूनिकॉर्न के लिए अधिक अवसर प्रदान करते हुए, अपने ड्रोन नियमों और विनियमों को उदार बनाने का निर्णय लिया है।

भारत संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ UAV और ड्रोन विकसित करने पर भी सहमत हो गया है, जिसे एक विमान से लॉन्च किया जा सकता है। DRDO का वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान, एयरोस्पेस सिस्टम निदेशालय, भारतीय वायु सेना और अमेरिकी वायु सेना इस परियोजना के लिए सहयोग करेंगे।

भारत अपने रक्षा बलों और क्षमताओं के स्वदेशीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। स्वदेशीकरण और आधुनिकीकरण को साथ-साथ चलना चाहिए ताकि सशस्त्र बल कई सीमाओं से भारत के सामने आने वाले सभी खतरों से हमारी सेना तेजी से और निर्णायक रूप से निपट सकें।

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