अक्षरधाम मंदिर पर आतंकी हमला – वो क्षण जिसने पीएम नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व की नींव स्थापित की

19 वर्ष पहले आज ही के दिन गुजरात के गांधीनगर में प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर पर आतंकी हमला हुआ था!

इंडिया टीवी पर ‘आप की अदालत’ शो के दौरान जब मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी से प्रख्यात पत्रकार रजत शर्मा ने पूछा कि आतंकवाद जैसी समस्या का समाधान क्या है, तो नरेंद्र मोदी का दो टूक उत्तर था – “सबसे पहले तो ये पाकिस्तान को ये लव लेटर लिखना बंद करना चाहिए।” लेकिन नरेंद्र मोदी केवल बातों के ही शेर नहीं थे, अपितु उन्होंने अपने राज्य में ऐसी ही एक विकट परिस्थिति में सिद्ध भी किया था कि ऐसी समस्याओं से कैसे निपटा जाता है।

19 वर्ष पहले आज ही के दिन, गुजरात के गांधीनगर में प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर पर हुआ आतंकी हमला निस्संदेह भारत के लिए एक चुनौती थी, परंतु ये वो अवसर भी था, जिसने नरेंद्र मोदी के उस व्यक्तित्व की नींव स्थापित की, जिसके कारण आज वो देश के प्रधानमंत्री हैं, और हमारा देश काफी हद तक आतंकी हमलों से सुरक्षित है।

ये वो समय था जब भारत एक महत्वपूर्ण बदलाव के समय से गुज़र रहा था। देश में राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण था। एक ओर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए की गठबंधन सरकार गोधरा के पश्चात हुए सांप्रदायिक दंगों के कारण बैकफुट पर थी, तो वहीं दूसरी ओर भारतीय अर्थव्यवस्था कई वर्षों के बाद एक नई उड़ान भरने के लिए तैयार हो रहा था। इस समय गुजरात की कमान नरेंद्र मोदी के हाथ में थी, जिन्हें मीडिया गोधरा के पश्चात एक क्रूर प्रशासक के तौर पर स्थापित करने का अपना प्रोपेगेंडा आरंभ कर चुकी थी। नरेंद्र मोदी को सीएम बने एक वर्ष भी नहीं हुआ था, लेकिन पहले भुज में आए भूकंप से संबंधित राहत कार्य, और फिर 2002 के गोधरा कांड ने गुजरात को झकझोर के रख दिया था।

इसी बीच 24 सितंबर 2002 को शाम पौने पाँच बजे एक सफेद अंबेस्डर कार से चार आतंकी गांधीनगर में स्थित अक्षरधाम मंदिर के समक्ष उतरे। वे कंधों पर बस्ते टाँगे मंदिर में प्रवेश करने लगे, जब मंदिर के स्वयंसेवकों ने तलाशी लेने का प्रयास किया। इतने में दो आतंकियों ने ताबड़तोड़ गोलियां और ग्रेनेड बरसाने प्रारंभ कर दिए, और जल्द ही उन्होंने अक्षरधाम मंदिर के प्रांगण में त्राहिमाम मचा दिया। आतंकियों के इस खूनी तांडव में 25-30 निर्दोष दर्शनार्थी मारे जा चुके थे, और 80 से अधिक लोग घायल हो चुके थे।

इस हमले का उद्देश्य स्पष्ट था – 2002 के गुजरात दंगों का ‘इंतेकाम’ लेना, जिसके लिए आतंकियों को पाकिस्तान में विशेष प्रशिक्षण भी मिला था। आतंकियों का एक उद्देश्य और भी था – सोमनाथ के तर्ज पर अक्षरधाम मंदिर का विध्वंस करना। परंतु मंदिर के पर्यवेक्षकों में से एक खोड़सिंह जाधव ने खतरे को भाँपते हुए जोखिम उठाया और गोलियों की बौछार के बीच मुख्य मंदिर का प्रवेश द्वार बंद कर दिया

साभार: The Hindu

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इसी बीच ये खबर गुजरात सरकार और केंद्र सरकार, दोनों तक पहुंची, और दोनों ही धर्मसंकट में पड़ गए। 1999 के कुख्यात कांधार विमान हाइजैक कांड के बाद ये दूसरी ऐसी विकट परिस्थिति थी, जहां केंद्र सरकार के समक्ष करो या मरो जैसी स्थिति थी। यही स्थिति गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भी थी, जो गोधरा कांड के पश्चात वामपंथी मीडिया के निशाने पर निरंतर बने हुए थे। यदि इस समय उन्होंने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो कांधार से भी बुरा हश्र होना तय था।

परंतु वो कहते हैं न, विपत्ति में ही व्यक्तित्व की पहचान होती है, और इसी विपत्ति में नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व सामने निकलकर आया। उन्होंने बिना विलंब किये तत्कालीन उपप्रधानमन्त्री लालकृष्ण आडवाणी से NSG को तत्काल प्रभाव से गांधीनगर भिजवाने की अपील की। जल्द ही NSG नियुक्त की गई, और देखते ही देखते रात 10:30 तक गुजरात पुलिस और एनएसजी के संयुक्त नेतृत्व में अक्षरधाम मंदिर के प्रांगण मेन छिपे आतंकियों पर धावा बोला गया।

साभार: Scroll

एक तरफ घायलों और अन्य दर्शनार्थी को सकुशल बाहर निकाला गया, तो वहीं दूसरी ओर आतंकियों को ढूँढने का काम भी जारी रहा। आखिरकार प्रात: काल में 6:45 बजे दोनों आतंकियों को यमलोक भेज दिया गया। 24 घंटे से भी कम समय में अक्षरधाम मंदिर को आतंकियों के नियंत्रण से मुक्त करा लिया। इस पूरे प्रकरण पर हाल ही में कुछ माह पूर्व जी 5 पर एक फिल्म भी प्रदर्शित हुई थी, ‘State of Siege – Temple Attack’, जिसमें अक्षय खन्ना एनएसजी कमांडो मेजर हनूत सिंह की भूमिका में थे।

State of Siege – Temple Attack

अक्षरधाम मंदिर पर आए इस संकट का निवारण करने के कारण ही नरेंद्र मोदी को जनता का खोया प्यार पुनः प्राप्त हुआ। चुनावी विशेषज्ञों के दावों के ठीक उलट 2002 के विधानसभा चुनावों में उन्हें जनता का अपार समर्थन मिला, और 125 से भी अधिक सीटों के साथ भाजपा ने पूर्ण बहुमत सहित सरकार बनाई। यहीं से उन नरेंद्र दामोदरदास मोदी के मजबूत व्यक्तित्व को भी विश्व ने जाना था जिसका सम्पूर्ण स्वरूप आज भारत तथा विश्व भारत के प्रधानमंत्री के रूप में एक नए भारत की संरचना करते हुए देख रहा है। यह वही व्यक्तित्व है जो न केवल शत्रुओं को मुंहतोड़ जवाब देना जानता है, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर घर में घुसकर मारता भी है।

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