कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दिया CM पद से इस्तीफा
देश के राजनीतिक गलियारों से बड़ी खबर आ गई है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में साथ-साथ अपना इस्तीफा पंजाब के राज्यपाल को दे दिया है। इसके साथ ही लंबे समय से चले आ रहे नवजोत सिंह सिद्धू और अमरिंदर सिंह के खेमे के बीच तनातनी का दौर भी खत्म हो गया। यह इस्तीफा तब दिया गया है जब 4 महीनों में पंजाब विधानसभा चुनाव है।
शनिवार की सुबह से ही खबरें आ रही थी कि शाम पांच बजे होने वाली कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व वाला खेमा पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर सकता है। सिद्धू खेमे के विधायक पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सुनील जाखड़ का नाम पंजाब के मुख्यमंत्री पद के तौर पर रख सकते हैं। सुनील जाखड़ का नाम सामने रखने का कारण राजनीतिक है। वह एक हिंदू सिख मुख्यमंत्री हो जाएंगे और पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष जाट सिख होंगे, जिससे एक बढ़िया संयोजन बैठ सकता है। हालांकि, सुनील जाखड़ विधायक नहीं हैं तो एक और नाम जो सिद्धू का खेमा मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ा सकता है, वह खुद नवजोत सिंह सिद्धू का है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह इस्तीफे के बाद गवर्नर हाउस से बाहर आए। उन्होंने मीडिया से कहा, “मैंने कांग्रेस अध्यक्ष से बात करने के बाद सुबह फैसला लिया है, मैंने उनसे कहा था कि मैं इस्तीफा दे दूंगा।” कारण स्पष्ट ना बताते हुए भी उन्होंने बताया कि “यह तीसरी बार विधायकों की बैठक है और बार-बार ऐसी बैठकों से मैं अपमानित महसूस करता हूं।”
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क्या है इस्तीफे के पीछे का कारण?
कई लोगों का यह भी मानना है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के हटाये जाने के पीछे का कारण उनकी घटती लोकप्रियता है। एक लंबे समय से नवजोत सिंह सिद्धू और अमरिंदर सिंह के बीच ताकत के लिए तनातनी चल रही थी। शुक्रवार को ही इस राजनीतिक संकट का हल ढूंढने के लिए हरीश रावत ने ट्वीट करके विधायकों को मीटिंग हेतु बुलाया था। चंडीगढ़ में हुए पार्टी विधायक दल की बैठक में पंजाब सरकार के मंत्री तृप्त रजिंदर सिंह बाजवा, चरणजीत सिंह चन्नी, सुखजिंदर सिंह रंधावा और विधानसभा स्पीकर पार्टी ऑफिस पहुंचे थे।
इस राजनीतिक फेरबदल के लिए नवजोत सिंह सिद्धू को बड़ा कारण बताया जा रहा है। शुक्रवार को ही नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार मोहम्मद मुस्तफा ने अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए ट्वीट कर किया कि 2017 में पंजाब ने हमें 80 विधायक दिए, लेकिन दुखद यह है कि कांग्रेस पार्टी एक अच्छा मुख्यमंत्री पंजाब को नहीं दे पाई। पंजाब के दुख और दर्द को समझते हुए अब समय आ गया है कि मुख्यमंत्री का चेहरा बदला जाए।
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कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा जिस अपमान की बात की जा रही है, सम्भवतः वह सिद्धू खेमे के चलते हुआ है। बहुत लंबे समय से कांग्रेस पार्टी के ही नवजोत सिंह ने अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। जिस हिसाब से अजय माकन, हरीश रावत और कांग्रेस का आलाकमान सिद्धू की बात मान रहा है, ऐसा लगता है कि वह कांग्रेस के हाथ से निकल चुके है और कांग्रेस अब उनकी मुट्ठी में है।