कोविड के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका का पहला विदेशी दौरा काफी सफल और प्रभावशाली रहा। जिस प्रकार से उन्होंने समस्त संसार का ध्यान भारत की ओर आकर्षित किया, भारत के मान सम्मान को अक्षुण्ण रखा, और साथ ही साथ क्वाड के प्रभुत्व को भी कायम रखा, उससे उन्होंने सिद्ध किया कि आज भी वैश्विक कूटनीति में उनका कोई सानी नहीं। इसी बीच संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही एक कूटनीतिज्ञ ने अपने वक्तव्य से पूरे देश का हृदय जीत लिया, परंतु उनसे बात करने आई एक पत्रकार ने अपने आचरण से एक बार फिर सिद्ध किया कि आखिर क्यों मेनस्ट्रीम मीडिया भारत के लिए अभिशाप बनता जा रहा है।
अंजना ओम कश्यप से भला कौन परिचित नहीं है? आज तक की यह चर्चित पत्रकार दो बातों के लिए बेहद चर्चित हैं – मोदी सरकार के प्रति अपनी ‘निकटता’ के लिए और हर विषय पर अपने हस्तक्षेप के लिए। इसी परिप्रेक्ष्य में अंजना संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के खोखले दावों की ताबड़तोड़ धुलाई करने वाली आईएफ़एस अधिकारी स्नेहा दुबे से उनके विचार जानने पहुंची, परंतु उनके आचरण ने एक बार फिर से भारतीयों को शर्म से अपना मस्तक झुकाने पर विवश कर दिया –
https://twitter.com/MJ_007Club/status/1441798162721607696?s=20
इस वीडियो क्लिप में आप स्पष्ट देख सकते हैं कि जहां पर स्नेहा दुबे ठहरी हुई थी, वहाँ पर अंजना ओम कश्यप बिना किसी परमीशन के बेधड़क अंदर घुसी चली आईं और उन्होंने ताबड़तोड़ प्रश्नों की बौछार लगा दी। स्नेहा दुबे ने बड़ी ही विनम्रता से कहा कि उन्होंने जवाब पहले ही दे दिया है और बातों ही बातों में उन्हें जाने को कहा। परंतु जिस प्रकार से अंजना ओम कश्यप ने न आचरण का ध्यान रखा, न प्रोटोकॉल का, उस परिप्रेक्ष्य में हम प्रशंसा करते हैं कि स्नेहा दुबे ने अपना धैर्य यथावत रखा।
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परंतु ये अंजना ओम कश्यप ने ऐसा पहली बार नहीं किया है, अपितु ये एक प्रकार से उनका तरीका है। 2019 में एक बार नहीं, अपितु दो बार उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय पत्रकारिता को अपनी कृत्यों से लज्जित किया है। प्रथम अवसर जून में आया था, जब बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार अपने चरम पर था, जिससे कई बच्चों की असामयिक मृत्यु हो रही थी।
तो इसका अंजना ओम कश्यप से क्या संबंध है? असल में मुजफ्फरपुर में इस बुखार का असर सर्वाधिक था, जहां की स्थिति कवर करने के लिए स्वयं अंजना ओम कश्यप पहुंची थी। एक अस्पताल में इलाज के दौरान वह डॉक्टर से प्रश्न करने के नाम पर इतना आक्रामक हुई कि वह पत्रकारिता कम और गुंडागर्दी अधिक प्रतीत हो रही थी।
TFI Post के ही तत्कालीन रिपोर्ट के अनुसार, “ऐसी गंभीर स्थिति में अंजना ओम कश्यप आज तक की तरफ से स्पेशल रिपोर्टिंग करने श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज पहुंची। अस्पताल के आईसीयू में पहुंचकर वो डॉक्टर से सवाल कर रही थीं कि आखिर, आप एक बेड पर दो तीन मरीजों को क्यों रख रहे हैं, बच्चा कबसे इलाज के लिए आपका इन्तेजार कर रहा है। आप उसे क्यों नहीं देख रहे। अस्पताल में अगर सुविधा नहीं है तो बीमार बच्चों को भर्ती ही क्यों ले रहे हैं। डॉक्टर उनके हर सवाल का जवाब दे रहा था वो कह रहा था कि एक-एक करके वो मरीजों को देख रहा है और ध्यान रख रहा है ..फिर भी अंजना ओम कश्यप चीख-चीख कर सवाल पर सवाल कर रही थीं। क्या उन्हें इस बात का ध्यान नहीं था कि आईसीयू में तेज चिल्लाने से मरीजों को परेशानी होगी? इस दौरान वो भूल गयीं कि इस तरह की पत्रकारिता करते हुए उन्होंने डॉक्टर का न सिर्फ समय बर्बाद किया बल्कि बीमार बच्चों के इलाज में और ज्यादा विलंब का कारण भी बनी।”
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परंतु ये तो कुछ भी नहीं था। जब भाजपा विधायक की बेटी साक्षी मिश्रा का अपने विवाह को लेकर अपने पिता से विवाद जरूरत से ज्यादा बढ़ गया, तो उसमें मीडिया भी इनवॉल्व हुई। लेकिन साक्षी मिश्रा के मामले को लेकर अंजना ओम कश्यप ने जो विचार बिना सोचे समझे व्यक्त किए, उसके लिए किसी भी प्रकार की निंदा कम पड़ेगी। अपने पिता से आपसी मनमुटाव को अंजना ने ऑनर किलिंग से लाकर ब्राह्मण बनाम दलित तक का मुद्दा बना दिया, जिसके कारण राजेश मिश्रा को काफी अपमान का सामना करना पड़ा। अभी तो हमने एनडीटीवी और सैन्य बेस को लेकर उसकी रिपोर्टिंग के विवादित मामलों को लेकर चर्चा भी नहीं की है।
लेकिन स्नेहा दुबे वाले मामले में जिस प्रकार से अंजना के घटिया कवरेज को बिना लाग लपेट के स्नेहा ने अपने आचरण से दर्पण दिखाया है, उससे स्पष्ट होता है कि मेनस्ट्रीम मीडिया किस प्रकार से अपने आचरण से भारतीय पत्रकारिता को दुनिया भर में हास्य का पात्र बना देता है। यदि अंजना ओम कश्यप जैसे पत्रकारों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो हमें आगे भी ऐसे लज्जित होना पड़ेगा।