भारत रक्षा क्षेत्र में Manufacturing Hub बनने जा रहा है, UP और तमिलनाडु कर रहे हैं अगुवाई

"सच पूछो, तो शर में ही बसती है दीप्ति विनय की, सन्धि-वचन संपूज्य उसी का जिसमें शक्ति विजय की!"

रक्षा गलियारा योजना

वैश्विक महाशक्ति बनने का सपना रक्षा क्षेत्र के गलियारे से होकर गुज़रता है। जब तक हम रक्षा क्षेत्रों में स्वावलंबी और आत्मनिर्भर नहीं होंगे, वैश्विक पटल पर वर्चस्व स्थापत्य में बढ़ाएँ उत्पन्न होती रहेंगी। अतः राष्ट्र शक्ति संसाधन हेतुक भारत रक्षा गलियारे का निर्माण कर यूपी और तमिलनाडु को अंतरिक्ष और रक्षा उपकरणों के निर्माण केंद्र के रूप में उभार रहा है। इसी क्रम में हम तमिलनाडु और उत्तरप्रदेश में हुए रक्षा गलियारा योजना प्रगति का अन्वेषन करेंगे।

तमिलनाडु

अंतरिक्ष और रक्षा उपकरणों के निर्माण और उत्पादन हेतु केंद्र ने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारा स्थापना की योजना पर कार्यरत है। रक्षा औद्योगिक गलियारों का उद्देश्य रक्षा और एयरोस्पेस से संबंधित वस्तुओं के स्वदेशी उत्पादन को उत्प्रेरित करना और निजी घरेलू निर्माताओं, एमएसएमई और रक्षा क्षेत्र में स्टार्टअप के विकास को बढ़ावा देना है। लेकिन महामारी के प्रकोप सहित कई कारणों से रक्षा गलियारा योजना की प्रगति सीमित थी। परंतु, तमिलनाडु चुपचाप अपने अवसरों की पहचान कर एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्रों में मजबूत रूप से उभरने हेतुक सतत प्रयासरत है। रक्षा गलियारा योजना का उद्देश्य तमिलनाडु को देश में एयरोस्पेस और रक्षा उद्योगों के लिए विनिर्माण और सेवा केंद्र के रूप में उभारना है।

तमिलनाडु में रक्षा गलियारा योजना के विकास हेतु चेन्नई, त्रिची, सलेम, होसुर और कोयंबटूर का चयन हुआ है। राज्य ने 2019 में एक विशेष एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग नीति का भी अनावरण किया।

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निवेश

नीति का अनावरण करने के बाद, राज्य को अब तक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से लगभग 961 करोड़ रुपये और निजी क्षेत्र से लगभग 1,150 करोड़ रुपये इकाइयों की स्थापना के लिए प्राप्त हुए हैं। कोयंबटूर के पास सुलूर में 400 एकड़ में एक रक्षा पार्क बनेगा, जबकि चेन्नई के पास स्थापित 250 एकड़ के एयरोस्पेस पार्क के अलावा, उलुंदुरपेट, सलेम और त्रिची में ऐसी और विशेष सुविधाएं स्थापित की जाएंगी।

बीईएल अब तमिलनाडु एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (टीईएल) यूनिट को पुनर्जीवित करेगा। एन मुरुगनंदम, प्रमुख सचिव, उद्योग विभाग ने कहा- “केपीएमजी ने पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा बनने के लिए 300 अन्य कंपनियों के अलावा लगभग 40 टियर -1 और टियर -2 कंपनियों की पहचान की है। कुल प्रतिबद्ध निवेश 10,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है, जबकि लगभग 2,000 करोड़ रुपये पहले ही आ चुके हैं। कम से कम 140 और मध्यम और छोटी औद्योगिक इकाइयों ने संपर्क किया है तथा कोडिसिया रक्षा इकाइयों के घटकों की आपूर्ति करने में सक्षम कंपनियों की पहचान की प्रक्रिया में है। अगले साल ये इकाइयां रक्षा क्षेत्र के लिए कलपुर्जों का निर्माण और आपूर्ति शुरू करेंगी।”

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश भी रक्षा उपकरणों के निर्माण में आत्मनिर्भर बनने हेतु आतुर है। जब से तमिलनाडु के साथ साथ यूपी डिफेंस कॉरिडोर के स्थापना की घोषणा की गई, राज्य सरकार को रक्षा क्षेत्र की लगभग 55 बड़ी कंपनियों के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। राज्य सरकार द्वारा 4 अगस्त, 2021 को जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) ने 19 फर्मों को 55 एकड़ भूमि आवंटित की है। ये कंपनियां 1,245 करोड़ रुपये की लागत से अपनी विनिर्माण इकाइयां स्थापित करेंगी और हजारों लोगों को रोजगार प्रदान करेंगी।

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2020 में लखनऊ में DefExpo के मौके पर रक्षा क्षेत्र में घरेलू और विदेशी कंपनियों द्वारा 50,000 करोड़ रुपये के MoU पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह MoU डिफेंस कॉरिडोर में निवेश के लिए ही था। अधिकांश समझौता ज्ञापन गलियारे के अलीगढ़ के अंडाला क्षेत्र के अंतर्गत है, जो खैर रोड पर स्थित है। इसके साथ साथ लखनऊ नोड में भी निवेशकों की रुचि रही है।

निवेश

जय साई अनु ओवरसीज नामक कंपनी 100 करोड़ रुपये की लागत से अपनी इकाई स्थापित करने की योजना बना रहा है। उनको 4.5 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है। मिल्कर डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड 98.25 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है और अपनी इकाई स्थापित करने के लिए चार हेक्टेयर भूमि का आवंटन प्राप्त करने कोशिश कर रही है। ट्रैक्टर्स ऑटो डायनेमिक्स को अपनी इकाई स्थापित करने के लिए दो हेक्टेयर आवंटित किया गया है और इसने 40 करोड़ रुपये का निवेश किया है।

इसके अलावा, पी-2 लॉजिटेक, कोबरा इंडस्ट्रीज, वेरिविन डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड, एलन एंड एल्वेन, नित्या क्रिएशन इंडिया, पीबीएम इंसोलेशन प्राइवेट लिमिटेड, डीप एक्सप्लो इक्विपमेंट प्राइवेट लिमिटेड, एडवांस फायर एंड सेफ्टी, और क्रिमसन एनर्जी एक्सपोर्ट्स को अपने कारखाने स्थापित करने के लिएजमीन आवंटित की गई है। अलीगढ़ नोड में भूमि आवंटन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और 10.21 करोड़ रुपये की लागत से 4 लेन की सड़क,बिजली घर और चारदीवारी का निर्माण किया जा रहा है।

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राष्ट्रकवि दिनकर के प्रासंगिक कथनानुसार- “सच पूछो तो शर में ही बसती है दीप्ति विनय की, संधि वचन संपूज्य उसी का जिसमें शक्ति विजय की।” समकालीन समय और भारत के परिपेक्ष्य में इसकी प्रासंगिकता निरंतर बनी हुई है। सर्वदा स्मरण रहें भारत जब तक स्वयं को सैन्य महाशक्ति के रूप में नहीं परिवर्तित करेगा तब तक वैश्विक वर्चस्व का स्वप्न अधूरा रहेगा। वैश्विक महाशक्ति बनाने का रास्ता सैन्य स्वावलंबन के गलियारे से होकर ही गुजारेगा। अत्यंत आह्लादित और हर्ष का विषय है कि मोदी और योगी सरकार मिलकर इस स्वप्न को मूर्त रूप देने में जी जान से जुटे हैं। रक्षा गलियारे का निर्माण और तमिलनाडु, यूपी की प्रगति यही प्रदर्शित करती है।

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