गुजरात में कैबिनेट में हुआ बाद फेरबदल 2022 के चुनावों में भाजपा की राह और आसान करेगा

जातिगत रणनीति के विपक्षी चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए भाजपा ने सभी जाति वर्ग के अनुपात का विशेष ध्यान रखा है।

गुजरात भाजपा कैबिनेट की मीटिंग करते मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गृहराज्य गुजरात उनके राष्ट्रीय राजनीति में आने का मुख्य आधार रहा है। ऐसे में ये सर्वाधिक आवश्यक है कि गुजरात में भाजपा का प्रदर्शन सबसे बेहतरीन हो। इसके विपरीत पीएम मोदी के गुजरात छोड़ने के बाद से लोकसभा में तो पार्टी का सर्वोच्च प्रदर्शन रहा, किन्तु विधानसभा में पार्टी कमजोर होती हुई दिखी। वर्ष 2017 में तो 100 से भी नीचे 99 सीटों पर आ गई। ऐसे में विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा आलाकमान ने 2022 विधानसभा चुनाव से पहले ही गुजरात में भाजपा सरकार का पूरा कायाकल्प कर दिया है। मुख्यमंत्री समेत पूरी नई गुजरात कैबिनेट में विकास पर तो ध्यान दिया ही गया है, साथ ही जातिगत रणनीति के विपक्षी चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए भाजपा ने सभी जाति वर्ग के अनुपात का विशेष ध्यान रखा है। पाटीदार से लेकर ओबीसी सभी को गुजरात की भाजपा कैबिनेट में जगह दी गई है।

बदल दी पूरी सरकार

मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के कामकाज को लेकर तो गुजरात से लेकर केंद्रीय आलाकमान कोई प्रश्न चिन्ह नहीं ही उठाता था, किन्तु राज्य की राजनीति में चुनावी दृष्टिकोण से उनकी लोकप्रियता बेहद कम थी, जिसके चलते भाजपा आलाकमान ने उनकी कुर्सी भूपेन्द्र रजनीकांत पटेल को दे दी है। भाजपा के इस फैसले को एक सकारात्मक फैसले के रूप में देखा गया क्योंकि नए सीएम राज्य के पाटीदार वर्ग की आबादी से आते हैं, जो कि चुनावी वोट बैंक की आबादी से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसके साथ ही अब पटेल की पूरी गुजरात कैबिनेट को भी बदल दिया गया है। राज्यपाल के सामने सभी 22 मंत्रियों ने शपथ ले ली है, और गुजरात कैबिनेट के चुनावी गणित को समझना बेहद आवश्यक है।

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खास बात ये है कि सीएम पटेल की इस कैबिनेट में किसी भी पुराने मंत्री को कोई जगह नहीं दी गई है। इसमें भाजपा ने 2022 विधानसभा चुनाव का विशेष ध्यान रखा है। अगर पटेल के मंत्रियों पर नजर डालें, तो नई कैबिनेट में 7 पटेल, 2 क्षत्रिय, 6 ओबीसी, 2 अनुसूचित जाति, 3 एसटी, 1 जैन, 2 ब्राह्मण और दो महिलाओं को शामिल किया गया है। अब इसमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात ये है कि पटेल समुदाय से सर्वाधिक 7 मंत्री बनाए गए हैं। इसके बाद ओबीसी समुदाय के 6 मंत्री हैं, और ये दोनों गुजरात की राजनीति में सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। अब ये माना जा रहा है कि ये दोनों समुदाय ही भाजपा की 2022 की विधानसभा चुनाव में जीत की पटकथा लिखेंगे।

पाटीदारों का वर्चस्व

गुजरात की राजनीति में पाटीदार समुदाय बेहद ताकतवर माना जाता है, धन-बल दोनों से परिपूर्ण ये समुदाय राज्य में अपनी मजबूत पकड़ रखता है। यही कारण है कि ये कहा जाता है कि पाटीदार समुदाय जिसके साथ होगा, राज्य में उसकी ही सरकार बनेगी। दो दशकों से जारी भाजपा के विजय अभियान में इस समुदाय की बड़ी भूमिका है। 2016 में आनंदीबेन पटेल ने इस्‍तीफा दिया था। इसके बाद विजय रुपाणी को सीएम बनाने के बाद राज्य में भाजपा के प्रति पाटीदारों में नाराजगी आ गई, जिसका असर 2017 के चुनाव में भी दिखा। सौराष्ट्र जैसे पाटीदार बहुल इलाकों में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर था। ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले भूपेंद्र पटेल के हाथों में राज्‍य का नेतृत्‍व देकर भाजपा के आलाकमान ने पाटीदार कार्ड खेला है, जो कि सकारात्मक है। पाटीदार समुदाय की ताकत को इस बात से समझा जा सकता है कि यह राज्‍य में 70 से अधिक चुनावी सीटों का रुख बदल सकता है। ऐसे में ये माना जा रहा है कि भाजपा ने इन 70 सीटों पर कांग्रेस की अपेक्षा अपनी दावेदारी मजबूत कर ली है। पाटीदार समुदाय के नेतृत्व का ही कारण है कि गुजरात भाजपा ने सीएम के अलावा कैबिनेट स्तर पर सर्वाधिक ध्यान पाटीदार नेताओं पर ही दिया है।

पाटीदार की तरह ही गुजरात में ओबीसी समुदाय का भी विशेष महत्व है। पाटीदारों के बाद राज्य मे दूसरा सबसे बड़ा समुदाय ओबीसी की है, तथा इन्हें ही भाजपा का कोर वोट बैंक माना जाता है। भाजपा के 2017 में मिली कठिन जीत की वजह भी यही थी। पाटीदारों की नाराजगी के बीच ओबीसी समाज ने गुजरात भाजपा का साथ नहीं छोड़ा था। यही कारण है कि पटेल कैबिनेट में 6 ओबीसी मंत्री बनाए गए हैं। वहीं ओबीसी समुदाय के लिए राज्य में सबसे बड़ा चेहरा पीएम मोदी ही हैं, उनकी केंद्रीय कैबिनेट में हाल ही में शपथ लेने वाले 27 मंत्रियों का ओबीसी होना दर्शाता है कि कैसे राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा ओबीसी समुदाय को टारगेट कर रही है। यही कारण है कि गुजरात में भाजपा को इसका बड़ा फायदा मिल सकता है।

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पाटीदार-ओबीसी जीत का फॉर्मूला

पिछले विधानसभा चुनावों की बात करें तो राज्य में कांग्रेस ने हार्दिक पटेल के जरिए पाटीदारों एवं अल्पेश ठाकोर तथा जिग्नेश मेवानी के जरिए ओबीसी वोट बैंक को साधने की कोशिश की थी। पाटीदारों को साथ लाने में तो पार्टी सफल रही किन्तु ओबीसी वोट पीएम मोदी की छवि के कारण नहीं छिटका। ऐसे में अब भाजपा ने 2022 विधानसभा चुनाव से पहले ही दोनों बड़े समुदायों का लुभाने के साथ ही विपक्ष के लिए चुनावी व्यूह की रचना कर दी है।

भाजपा आलाकमान के इसी कदम के चलते ये माना जा रहा है कि भाजपा के लिए 2022 विधानसभा चुनावों के लिहाज से पार्टी पुनः सबसे मजबूत स्थिति में पहुंच गई हैं, और अब पार्टी के सामने कांग्रेस की किसी भी चुनौती का टिकना नामुमकिन है।

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