नेताओं की प्रशंसा करना कोई अस्वाभाविक बात नहीं है, लेकिन उन्हें देवतुल्य मानना स्वस्थ राजनीति का परिचायक नहीं है। अक्सर हमने देखा है कि वामपंथी कुछ दक्षिणपंथी नेताओं को लेकर जनता की ‘भक्ति’ पर तंज कसते हैं, उन्हें तरह तरह के उलाहने देते हैं और इसे ईशनिंदा तक का दर्जा देते हैं। लेकिन अभी बंगाल में जो हो रहा है, वो वास्तव में ईशनिंदा होते हुए भी किसी वामपंथी के मुख से ‘उफ़’ तक निकाल पाने में भी असमर्थ रहा है।
बंगाल में आगामी दुर्गा पूजा में वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसे दिखने वाली दुर्गा माँ की मूर्तियाँ निर्मित की जाएंगी। जी हाँ, आपने ठीक पढ़ा है। जिस व्यक्ति ने बंगाल में हिंदुओं के लिए जीवन नारकीय बना दिया हो, जिसने बंगाल में लोकतंत्र का उपहास उड़ाया हो, उस व्यक्ति को कुछ लोग माँ दुर्गा के रूप में पूजने जा रहे हैं।
कोलकाता के कुमारतुली में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मूर्ति बनाई जा रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसी माँ दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए 3 समितियों ने सहयोग किया है। नज़रूल पार्क उन्नयन समिति के उपाध्यक्ष पार्थ सरकार ने यहाँ तक कह दिया, “बंगाल में हर व्यक्ति उन्हें देवी दुर्गा के रूप में मानता है। उन्होंने लोगों को जो लाभ प्रदान किया, वह दुनिया में नहीं देखा गया।”
ये ईशनिंदा नहीं तो और क्या है? जिस व्यक्ति ने अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के नाम पर गैर मुसलमानों, विशेषकर हिंदुओं का जीवन बंगाल में नरक बना दिया, उनकी तुलना कल्याणकारी, शक्ति शिवानी, माँ दुर्गा से करना अपने आप में ही महापाप है। इसके पीछे सोशल मीडिया पर ऐसा नीच विचार रखने वाले लोगों के प्रति लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
एक यूजर ने स्पष्ट ट्वीट किया, “माँ का अपमान नहीं चलेगा।”
Maa ka apman nahi chalega
— NJ🇮🇳 (@inehajj) September 2, 2021
एक अन्य यूज़र ने लिखा, “भूतनी जैसी शक्ल है तो क्या हुआ, मेरी मूर्ति नहीं बन सकती?”
@ed1tvideobot tt=bhootni jaisi shakal hai to kya hua, bt=meri murti nhi BN skti
— harry / 🇮🇳 (@hariputtar2_0) September 2, 2021
https://twitter.com/ed1tvideobot/status/1433432871285374984
एक अन्य नेटिजन ने लिखा, “कृपया कोई उन जोकरों पर ईशनिंदा का मामला दर्ज करे, यह मेरे भगवान को बंगाल का कसाई बताकर धार्मिक भावनाओं को आहत करने से कम नहीं है”।
Someone please file a case for blasphemy on those jokers, this is nothing less than hurting religious sentiments by depicting my god as the butcher of Bengal.
— Vigilante➐ (@vigil_nte) September 2, 2021
बंगाल में हिन्दुओं की हालत इतनी खराब है कि वो असम जाने को मजबूर हो गए हैं
ममता बनर्जी का अल्पसंख्यकों के प्रति प्रेम और हिंदुओं के प्रति घृणा किसी से छुपी नहीं है, और ये आज की बात भी नहीं है, ये ममता तब से कर रही हैं जब 2016 में वह पुनः सत्ता में आई थी। पीएम नरेंद्र मोदी और उनके पार्टी के विचारधारा के विरोध के नाम पर तृणमूल काँग्रेस ने बंगाल को जिस प्रकार से जीते जागते नर्क में परिवर्तित किया है, वो हम सभी देख रहे हैं। जिस व्यक्ति की पार्टी प्रचंड बहुमत के बाद भी इतनी असहज है कि वह अपने से आधी से भी कम सीटें लाने वाली पार्टी के कार्यकर्ताओं की माताओं और बहनों के आत्मसम्मान के साथ खिलवाड़ करे, सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान करे, और जांच करने आए केंद्र एजेंसियों पर ही हमला करे, तो उसे तानाशाही न कहें तो क्या कहें।
ममता बनर्जी अक्सर रोना रोती हैं कि केंद्र सरकार तानाशाही है और पीएम मोदी की तुलना जर्मन तानाशाह एडोल्फ़ हिटलर से करती हैं। परंतु जो अभी बंगाल में देखने को मिल रहा है, उससे ऐसा लग रहा है कि ममता बनर्जी अपनी जी हुज़ूरी करवाने में एडोल्फ़ हिटलर को भी मात देने चली हैं, चाहे इसके लिए उन्हें साक्षात माँ भगवती को ही चुनौती क्यों न देनी पड़े।