सितंबर माह की शुरुआत में भारत में कोरोना के ताजा मामले लगभग 7500 प्रतिदिन सामने आ रहे हैं जबकि वैक्सीनेशन की दर लगभग एक करोड़ प्रतिदिन है। इसका सीधा प्रभाव आर्थिक गतिविधियों पर देखने को मिल रहा है। केरल के अतिरिक्त देश के लगभग हर राज्य में वुहान वायरस को नियंत्रित कर लिया है। यही कारण है कि पहली तिमाही में ( अप्रैल 2021 से जून 2021 ) भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 20.1% रही। यह एक रिकॉर्ड है। पिछले वर्ष इसी तिमाही में लॉकडाउन के कारण भारत की जीडीपी में 24.4% की गिरावट देखने को मिली थी। यही नहीं जापान के आर्थिक इंडेक्स में भी भारत में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। Nomura Indian Business Index जो भारत केंद्रित आर्थिक इंडेक्स है उसमें भारत का परसेंटेज पॉइंट 102.7 रहा, जो पिछले हफ्ते 101.3 था। बता दें महामारी से पूर्व यह इंडेक्स 100 के आस पास था। इंडेक्स भारत की कोविड पूर्व की स्थिति से आज की स्थिति की तुलना करता है। साथ ही हर क्षेत्र में हो रही वृद्धि को अपने सर्वेक्षण में सम्मिलित करता है।
इससे पता चलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोनावायरस के विनाशकारी प्रभावों से उबर चुकी है, और आने वाले सप्ताह और महीनों में विकास के लिए पूरी तरह तैयार है। इसके अनुसार भारत में लेबर पार्टिसिपेशन, ऊर्जा उपभोग सभी में वृद्धि हुई है जो बताता है कि आर्थिक गतिविधियां पुनः बड़े पैमाने पर शुरू हो चुकी है। इंडेक्स में आर्थिक गतिविधियों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मानक में भारत ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया वह है कोरोना के मामलों का नियंत्रण। यद्यपि कोरोना के मामले बढ़े हैं लेकिन यह केवल केरल तक ही सीमित है इस कारण इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर नहीं पड़ा है।
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महत्वपूर्ण बात यह है कि इस वर्ष भी दूसरी कोरोना वेव के बाद भी भारत का आर्थिक विकास प्रभावित नहीं हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रदर्शन भारत की वास्तविक क्षमता से कम है क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था जिस प्रकार पुनर्जीवित हो रही है जीडीपी ग्रोथ रेट का स्तर और ऊंचा होने की संभावना है। आरबीआई ने भी भारत की ग्रोथ रेट 21.4 होने की संभावना व्यक्त की थी।
कोटक महिंद्रा बैंक में वरिष्ठ अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा “पहले तिमाही की भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट हमारे आशा से थोड़ी कम रही। हालांकि अब आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू हो रही है और जुलाई महीने से इसमें तेजी आई है। जैसे-जैसे वैक्सीनेशन की दर तेज होगी हमें उम्मीद है की आर्थिक गतिविधियों में थी तेजी आएगी हालांकि यह सब डेल्टा वेरिएंट के नए मामलों पर भी निर्भर करता है।”
महत्वपूर्ण बात यह है कि कोरोना की दूसरी लहर में भी राज्यों द्वारा आर्थिक गतिविधियों को पूर्णता बंद नहीं किया गया जिस कारण भारत की अर्थव्यवस्था संभल रही। प्रथम तिमाही में कृषि क्षेत्र में 3.5 से 4.5%, कंस्ट्रक्शन में 49.5 से 68.3%, माइनिंग में 17.2 से 18.6%, इलेक्ट्रिसिटी, वाटर सप्लाई और अन्य उपभोग आपूर्ति में 9.9 से 14.3% की वार्षिक वृद्धि दर देखने को मिली है। वहीं होटल, टूरिज्म और अन्य सर्विस सेक्टर में भी वृद्धि, 34.3 से 48.1%, हुई है। फाइनेंस, रियल स्टेट और प्रोफेशनल सर्विस सेक्टर में 3.7 से 5.0% की वृद्धि हुई है।
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महामारी के दौरान, मोदी सरकार ने स्थिति को बहुत अच्छी तरह से प्रबंधित किया और इस अवसर का उपयोग कृषि, श्रम और पूंजी पर संरचनात्मक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए किया। इसके अलावा, demand-side की भ्रांति में पड़ने और लोगों के हाथों में पैसा डालने के बजाय, सरकार ने पूंजीगत व्यय के लिए राजकोषीय संसाधनों का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया कि एक चक्र विकास हो।
जैसे ही महामारी ने अपना रौद्र रूप धरण किया, सरकार तत्काल लॉकडाउन के लिए मजबूर हो गयी लेकिन इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ के बड़े राहत पैकेज की घोषणा की, जो कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 10 प्रतिशत था।
महामारी के बीच, भारत ने विकास के लिए एक नई रणनीति बनाई और इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ नाम दिया। आत्मानिर्भर भारत अभियान के तहत, मोदी सरकार भारतीय फर्मों और स्थानीय व्यवसायों के निजीकरण, उदारीकरण और प्रचार पर जोर दे रही है। सरकार ने यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां केवल रणनीतिक क्षेत्रों में मौजूद रहेंगी, वह भी चार या पांच से अधिक क्षेत्रों में नहीं। नवीनतम सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़े और पूर्व-महामारी स्तर से ऊपर की व्यावसायिक गतिविधि का पुनरुद्धार मोदी सरकार के प्रयासों और रणनीति का एक संकेत है और उम्मीद है कि यह देश को बहु-वर्षीय दोहरे अंकों के growth trajectory दिखेगा।