पंजाब की राजनीति में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की छवि को लेकर ये स्पष्ट कहा जाता है, कि कांग्रेस से अलग उनकी विशेष छवि है। यही कारण है कि पंजाब में पार्टी की जीत की मुख्य वजह कैप्टन अमरिंदर सिंह को माना जाता है। इन सब परिस्थितियों को जानने के बावजूद कांग्रेस आलाकमान ने राज्य में पार्टी का नेतृत्व नवजोत सिंह सिद्धू को देकर कैप्टन का अपमान किया, क्योंकि सिद्धू का सर्वाधिक विरोध कैप्टन ने ही किया। इन सबके चलते अचानक मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले कैप्टन को लेकर ये सवाल उठने लगे हैं, कि क्या कैप्टन अब अपने अपमान का बदला लेने के लिए भाजपा के साथ जा सकते हैं, क्योंकि अकालियों के नाम पर तो उन्होंने No never Akali कह दिया है, जिसके बाद सारा प्रश्न भाजपा के संबंध में ही खड़ा होता है।
लिखी जा चुकी है पटकथा
कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जो स्वयं अपने भरोसे के लोगों का अपमान करने में विश्वास रखती है। कैप्टन अमरिंदर सिंह का सिद्धू के कारण हुआ अपमान इसका सटीक उदाहरण हैं। इसके चलते कैप्टन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, कांग्रेस भले ही इसे साधारण घटनाक्रम मान रही है, लेकिन पंजाब कांग्रेस के दो बड़े नेताओं के बीच लंबे समय से चल रहे टकराव के कारण बर्बाद हो रही पार्टी के ताबूत में अंतिम कील का काम कर सकता है। कैप्टन के इस आक्रामक रुख की संभावनाएं उसी दिन बन गईं थीं, जब सोनिया गांधी से मिलने के बावजूद सिद्धू को पंजाब प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था। एक विशेष बात ये भी है कि सोनिया से मुलाकात करने के साथ ही कैप्टन की मुलाकात दिल्ली के उसी दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह से भी हुई थी।
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सिद्धू से नफ़रत
TFI ने उस दौरान ही ये संभावनाएं जता दी थीं, कि कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा में जा सकते हैं, लेकिन। अब स्थिति कुछ इसी दिशा में बढ़ चली है। कैप्टन अमरिंदर सिंह को घोर राष्ट्रवादी छवि का नेता माना जाता है।ऐसे में इस्तीफे के बाद जब उन्होंने TIMES Now पर इन्टरव्यू दिया तो भविष्य को लेकर समय तो मांगा, लेकिन उनकी बातों ने स्पष्ट कर दिया कि वो भाजपा की तरफ ही जा सकते हैं। अकाली या भाजपा इसको लेकर जब कैप्टन से सवाल हुआ तो वो बोले, “अकालियों के साथ कभी नहीं, और अभी मुझे अपने लोगों से बात करें का समय चाहिए।” अब दिलचस्प बात ये है कि कैप्टन ने भाजपा के सवाल से बड़ी ही चालाकी से किनारा कर लिया।
कैप्टन ने ये संकेत भी दे दिया है कि वो अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सिद्धू का कड़ा विरोध करते नजर आएंगे। उन्होंने कहा, “सिद्धू एक पाकिस्तानी समर्थक नेता हैं, अगर ये सीएम बन गया तो कांग्रेस अपनी राजनीति की सबसे बड़ी गलती कर बैठेगी, लेकिन मैं ऐसी गलती नहीं करने वाला हूं। मैं पूरे चुनाव भर में सिद्धू का सबसे अधिक विरोध करूंगा।” उन्होंने कहा, “हमारे पंजाब की सीमा पाकिस्तान के साथ लगती है, ऐसे में ये आदमी यदि सीएम बन गया, तो देश की सुरक्षा व्यवस्था को सबसे बड़ा ख़तरा हो सकता है।”
भाजपा सटीक विकल्प
स्पष्ट है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने अपमान का बदला लेने के लिए सिद्धू को इस पंजाब विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती दे सकते हैं। इसके विपरीत वो ये भी जानते हैं, कि इसके लिए उन्हें मुख्य धारा की राजनीति करनी होगी। उनके पास विकल्प है कि या तो वो पंजाब अकाली दल व भाजपा में जाएं या फिर अपनी नई पार्टी बनाएं। यक़ीनन वो एक बड़े नेता हैं, किंतु ये कहना गलत नहीं होगा कि कैप्टन एक नई पार्टी के साथ कांग्रेस को कोई बड़ा नुक़सान नहीं पहुंचा सकते हैं, और ये बात वो भी जानतें हैं, क्योंकि वो कुछ ऐसा ही प्रयोग 90 के दशक में करके विफल हो चुके हैं।
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वहीं अकाली दल से भी कैप्टन के संबंध अच्छे नहीं हैं, किंतु भाजपा को लेकर उनका रुख बेहद नर्म दिखता है। उन्होंने स्वयं कहा है कि उनके 53 वर्षीय राजनीतिक करियर में अनेकों दोस्त हैं, जो दलगत राजनीति से इतर निजी हैं। इसके विपरीत कैप्टन अमरिंदर सिंह की निजी छवि के संबंध में न प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ज्यादा कभी हमले करते दिखे, न गृहमंत्री अमित शाह और न ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इन दोनों पर कोई निजी हमला बोला। कैप्टन जानते हैं कि यदि उन्हें सिद्धू को बर्बाद करना है तो किसी मजबूत पार्टी का हाथ थामना होगा और इस मामले में उनके सामने सबसे बेहतरीन विकल्प भाजपा ही है।
इसके विपरीत कैप्टन की राष्ट्रवादी छवि के कारण भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से कैप्टन को हाथों-हाथ स्वीकार करना असहजता का मुद्दा नहीं रहेगा। अमरिंदर सिंह का राजनीतिक करियर एक साफ छवि वाला रहा है इसके कारण ही ये कहा जाता रहा है कि उनका वोट बैंक एक विशेष है, जिसका फायदा भाजपा उठा सकती है, ऐसे में TFI में भाजपा की बड़ी विजय की भविष्यवाणी सत्य हो सकती है।