इन दिनों चीन भारत को किसी भी प्रकार से युद्ध के लिए उकसा रहा है। इसी क्रम में वह निरंतर भारत तिब्बत सीमा पर भड़काऊ गतिविधियों में संलिप्त पाया जा रहा है। अभी हाल ही में उत्तराखंड के बाराहोती में स्थित भारत-तिब्बत सीमारेखा को पार करते हुए चीन के 100 PLA ने पाकिस्तानियों की शैली में छीछालेदर करने का प्रयास किया, और एक पैदल पुल समेत कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर को ध्वस्त किया। अब सूत्रों के अनुसार ऐसे संकेत दिखाई दे रहे हैं कि चीन भारत के साथ एक शीतकालीन युद्ध के लिए तैयारी कर रहा है, लेकिन यदि ऐसा करने की चीन सोच भी रहा है, तो यह चीनी तानाशाह शी जिनपिंग के जीवन की सबसे बड़ी भूल होने वाली है।
चीन कर रहा तैयारी
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी लद्दाख के आसपास चीन ने अपने सैनिकों के लिए मॉड्यूलर कंटेनर आधारित अकॉमोडेशन आठ महत्वपूर्ण लोकेशन पर निर्मित किए हैं। ये लोकेशन उत्तर में काराकोरम दर्रे के निकट वहाब ज़िलगा नामक क्षेत्र में निर्मित किए गए हैं। इसके अलावा रिपोर्ट यह भी कहती है कि 16,000 फुट की ऊंचाई पर शिंजियांग क्षेत्र में चीन ने रात्रि युद्ध अभ्यास भी किया है, जिससे भारत को स्पष्ट संकेत मिल जाए कि उनकी PLA किस ‘योग्य है’।
भारत है दो कदम आगे
परंतु शायद चीन ये भूल रहा है कि भारत इस मोर्चे के लिए पहले से ही तैनात है। भारत ने चीन पर ही इस समय अपना सर्वाधिक ध्यान केंद्रित किया हुआ है। एक और टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट बताती है कि भारत ने इस समय पूर्वी लद्दाख में अपने सबसे तीव्र और विध्वंशक आर्टिलेरी को तैनात किया है, जिसमें 105 मिलीमीटर के फील्ड गन से लेकर बोफोर्स के तोप, रॉकेट सिस्टम, एवं अत्याधुनिक एम 777 अल्ट्रा लाइट Howitzers भी शामिल हैं। Howitzers के साथ सबसे लाभदायक बात तो यह है कि इन्हें अत्याधुनिक चिनूक हेलिकाप्टर द्वारा एयरलिफ्ट भी किया जा सकता है, तथा BRO यानि बॉर्डर रोड संगठन द्वारा सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर पर युद्धस्तर के निर्माण के कारण इन्हें सड़क मार्ग से भी आवश्यकता पड़ने पर तुरंत युद्धभूमि तक पहुंचाया जा सकता है।
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17,000 फुट की ऊंचाई पर भारत कर चुका है युद्धाभ्यास
भारत चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए एक वर्ष से अधिक की समयावधि से तैयारी कर रही है। 2020 से ही 14,000 से 17,000 फुट की कमरतोड़ ऊंचाई पर भारत ने सशस्त्र रेजीमेंट्स सहित Operation Snow Leopard युद्ध अभ्यास किया है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर शत्रु को किसी भी स्थिति में मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। दोनों पक्ष इस समय भारत-तिब्बत बॉर्डर पर भारी मात्रा में सैनिक तैनात किए हुए हैं, भले ही उन्होंने पैंगोंग त्सो झील और गोग्रा जैसे कुछ स्थानों से मोर्चाबंदी हटा ली हो।
वहीं सीमा पर चीन का मुकाबला करने के लिए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में चार नए हवाई अड्डे और 37 हेलीपैड बना रहा है। भूमि की पहचान और प्रारंभिक चर्चा की प्रक्रिया समाप्त हो गई है और अगला चरण DGCA, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और भारतीय वायु सेना जैसे प्रमुख हितधारकों की एक संयुक्त रिपोर्ट होगी।
इस समय चीन की PLA भले ही भारत को यह दिखाना चाहती हो कि वह शीतकालीन युद्ध के लिए तैयार है, परंतु उसकी पोल पिछले ही वर्ष खुल चुकी थी। 1962 के ठीक विपरीत चीन के ‘नन्हे मुन्हे’ PLA सैनिक ताश के पत्तों की सितंबर में ही बिखरना शुरू हो गए थे, जब सर्दी का असर विवादित क्षेत्र में प्रारंभ भी नहीं हुआ था।
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चीनी सैनिक ऊंचाई पर होते हैं बीमार
इस विषय पर TFI ने एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में बताया था, “LAC पर भारत और चीन के बीच तनातनी जारी है, और ऐसा लग रहा है मानो चीन युद्ध पर आमादा है। परंतु चीन के PLA सैनिकों की हालत देखकर ऐसा नहीं लगता कि वे युद्ध लड़ने की हालत में भी है, जीतना तो बहुत दूर की बात है। अभी सर्दियाँ शुरू भी नहीं हुई है, लेकिन अभी से ऊंचे इलाकों में तैनात चीनी सैनिकों की सांसें फूलने लगी हैं और उन्हें ऊंचाई संबन्धित बीमारियों ने घेरना शुरू कर दिया है।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार रेजांग ला के फिंगर 4 क्षेत्र में तैनात PLA सैनिकों की हालत पतली होनी शुरू हो गई है। रिपोर्ट के एक अंश के अनुसार, “भारतीय सेना से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सैनिकों ने LAC के उस पार PLA के सैनिकों को पैंगोंग त्सो के उत्तरी छोर पर स्थित फिंगर 4 क्षेत्र से स्ट्रेचर पर नीचे जाते देखा है। उन्हें फिंगर छह से आगे स्थित चीनी मेडिकल फैसिलिटी पर भेजा गया, क्योंकि PLA के सैनिकों को ऊंचे इलाकों में काम करने के कारण तकलीफ़ें महसूस हो रही हैं। ये प्रकरण पिछले तीन-चार दिनों से जारी है।”
अब आप स्वयं अनुमान लगाइए, जो सैनिक तब नहीं टिक पाए, जब सर्दियाँ बस प्रारंभ हुई, वे एक वास्तविक शीतकालीन युद्ध में कितने दिन एक पेशेवर भारतीय सेना का सामना कर पाएंगे? यदि अब भी शी जिनपिंग का भारत से युद्ध करने का बुखार नहीं उतरा, तो जो अपमान माओ ने 1967 में भारतीय सैनिकों के हाथों सहा था, उससे भी बुरा अपमान शी जिनपिंग को अपनी सनक के कारण सहने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।