UPA सरकार में भ्रष्टाचार के आरोपी रहे डॉ केतन देसाई अब तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के हैं सदस्य

देसाई के परिसर से बरामद हुआ था 1.5 किलो सोना और 80 किलो चांदी!

Ketan Desai, Tirumala

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यूपीए सरकार के दौरान जिस केतन देसाई को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था, उन्हें ही अब तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम का प्रमुख बना दिया गया है, जो एक आपत्तिजनक फैसला माना जा रहा है। खबरों के मुताबिक भारतीय चिकित्सा परिषद के पूर्व प्रमुख डॉ केतन देसाई को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के बोर्ड सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।  विडंबना यह है कि कभी 2 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किए गए केतन को उस मंदिर के बोर्ड सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है जो प्राप्त दान और धन के मामले में दुनिया का सबसे अमीर मंदिर है। ऐसे में अब बोर्ड में भ्रष्टाचार के नए मामलों की शुरुआत हो सकती है।

कई भ्रष्टाचार में शामिल हैं डॉ देसाई

इंडिया टीवी के पत्रकार निर्णय कपूर ने इस मामले की जानकारी देते हुए लिखा, “डॉ.  केतन देसाई को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के बोर्ड सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है। ख़ास बात ये है कि बोर्ड में शामिल होने वाले देसाई पहले गुजराती व्यक्ति हैं। ये वही केतन देसाई हैं, जो कि भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार हो चुके हैं, उन्हें दो करोड़ की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। उन्होंने रिश्वत लेकर एक मेडिकल कॉलेज को मान्यता देने की कोशिश की थी और उसी दौरान केंद्रीय जांच एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार किया था।“

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वहीं, इस मामले में सीबीआई ने नकद, मकान और गहनों के अलावा देसाई के परिसर से 1.5 किलो सोना और 80 किलो चांदी भी बरामद किया था। सीबीआई ने देसाई पर लखनऊ में भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में मामला दर्ज किया था, लेकिन उनके खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप हटा दिए गए थे। एक विशेष सीबीआई अदालत द्वारा सरकार ने उन पर मुकदमा चलाने के लिए अनिवार्य मंजूरी प्रदान नहीं की थी।

गौरतलब है कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के लिए बोर्ड के संबंध में इस महीने की शुरुआत में वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश सरकार ने 29 सदस्यों और 52 विशेष आमंत्रितों के साथ एक जंबो ट्रस्ट बोर्ड नियुक्त किया था। राज्य सरकार ने अब तक का सबसे बड़ा ट्रस्ट बोर्ड बनाते हुए कुल 82 सदस्य नियुक्त किए थे। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी के नेता भानु प्रकाश रेड्डी द्वारा दायर जनहित याचिकाओं के बाद आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने टीटीडी ट्रस्ट बोर्ड में 52 सदस्यों को विशेष रूप में नियुक्त करने के राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है।

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जगन मोहन रेड्डी हमेशा अपने हिंदू विरोधी मामलों के लिए बदनाम रहे हैं। रेड्डी की हिंदुओं के प्रति नफरत उन मंदिरों के प्रति घृणा में बदल गई है जिन पर अभूतपूर्व हमले हुए हैं। वाईएस रेड्डी का किसी भी मामले में स्पष्ट ईसाई समर्थक रुख, राज्य के हिंदुओं के लिए मुसीबत बना हुआ है। यही कारण है कि उनके शासन में आंध्र प्रदेश में धर्मांतरण एक प्रमुख मुद्दा बन गया है।

भाजपा नेताओं के दखल देने के बाद कोर्ट ने 52 सदस्यीय कमेटी के फैसले पर तो रोक लगा दी है, किंतु एक महत्वपूर्ण मुद्दा ये है कि केतन देसाई को सबसे धनवान मंदिर बोर्ड का सदस्य बनाना आने वाले समय में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकता है।

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