राजतंत्र की यही कहानी, राजनीति के इस कुचक्र में गेहूं के साथ घुन भी पीस जाता है अर्थात नेताओं के झमेले और लोभ-प्रलोभन में आकर जनता और मजदूर वर्ग के ऊपर गाज गिरती है। किसान आंदोलन ने कुछ ऐसा ही श्रमिकों और असल किसानों के साथ किया है। किसान आंदोलन के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे कुछ तथाकथित किसान कल्याण निहित संगठन और पार्टियां, इन सभी ने उस गरीब तबके को बरगलाकर भीड़ तो जुटा ली थी, पर आज उसी क्षणभर के उत्पात और गैर-कानूनी कृत्यों की भेंट असल किसान और मजदूर चढ़ गया जो न अब इधर का रहा न ही ऊधर का। इसकी एक बड़ी वजह और ताजा उदहारण अडानी समूह की सहायक कंपनी अडानी लॉजिस्टिक्स सर्विसेज के साथ दहने को मिली। अडानी लॉजिस्टिक्स सर्विसेज कंपनी ने लुधियाना जिले के किला रायपुर में अपने अंतर्देशीय कंटेनर डिपो या ड्राई पोर्ट को बंद करने का फैसला किया है क्योंकि किसानों के धरने के कारण जनवरी से अडानी कंटेनर डिपो का संचालन बंद है।
अब उन सभी श्रमिकों और किसानों का परिवार चलाना और दो दौर की रोटी जुटा पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है जो अडानी कंटेनर डिपो के माध्यम से अपनी जीविका चला राहे थे। 500 से अधिक लोग अब बेरोजगार हो चुके हैं। निस्संदेह इसका एकमात्र कारण यह नकली किसान और आंदोलनजीवी ही हैं जिनके कारण ऐसी स्थितियां उत्पन्न हो चुकी हैं।
दरअसल, इस क्षेत्र में 1 जनवरी से, केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने ट्रैक्टर-ट्रेलर लगाकर ड्राई पोर्ट के मुख्य द्वार को बंद कर दिया था, जिससे वहां परिचालन पूरी तरह से ठप हो गया है। एक अधिकारी ने बताया कि अडानी कंटेनर डिपो के बंद होने से कंपनी को प्रतिदिन 50 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। उनके अनुसार, “सरकार को माल और सेवा कर (जीएसटी), सीमा शुल्क और अन्य करों के रूप में ₹700 करोड़ का नुकसान हुआ और कुल मिलाकर ₹7,000 करोड़ का आर्थिक प्रभाव पड़ा जिसके चलते काम ठप्प हुआ और अब अडानी कंटेनर डिपो बंद करने के अतिरिक्त और कोई हल सामने दिख नहीं रहा है।“ इन सभी असहाय श्रमिकों और किसानों को यह पूरा परिणाम उस किसान आंदोलन के परिणामस्वरूप झेलना पड़ा है जिसका मूल उद्देश्य सिर्फ राजनीति करना था।
A logistics park owned by Adani in Ludhiana has been blocked by farmers since farm laws were passed.
It is estimated that Adani is losing INR 30-40 Lakhs per day per site coz of this blockade by farmers.#WeSaluteWomenFarmers https://t.co/YhlMzpOM13 pic.twitter.com/O81EXs8owi— Sahil Duggal (@SahilDuggal0023) March 8, 2021
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जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक राकेश कंसल ने मीडिया को बताया कि उन्होंने अडानी कंटेनर डिपो संचालन प्रमुख रविंदर सिंह से बात की थी, जिन्होंने 450 ड्राई पोर्ट कर्मचारियों को बर्खास्तगी नोटिस दिए जाने की पुष्टि की थी। कंसल ने कहा, ” यह भी पुष्टि हुई है कि कंपनी ने सड़क और रेल से जुड़े डिपो में व्यावसायिक संचालन को समाप्त कर दिया है।” इस 450 कर्मचारियों की बर्खास्तगी ने जिस विकराल और विस्फोटक रूप में प्लांट से सटे आसपास और दूर दराज के क्षेत्रों में बेरोज़गारी के साथ श्रमिकों की आर्थिक रूप से कमर तोड़ी है उसकी भरपाई राकेश टिकैत जैसे तथाकथित किसान नेता उर्फ़ कुछ दलों का पिट्ठू सात जन्म में नहीं कर सकते।
अडानी समूह ने 2017 में लुधियाना में उद्योगों को रेल और सड़क के माध्यम से कार्गो सेवाएं प्रदान करने के लिए 80 एकड़ से अधिक भूमि पर 700 करोड़ रुपए की लागत से इस प्लांट को स्थापित किया था। सूखे बंदरगाह के प्रवेश द्वार से धरना हटाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा किए गए प्रत्येक प्रयास विफल रहे। प्रदर्शनकारी किसानों ने तर्क दिया कि आंदोलन का उद्देश्य कृषि कानूनों को निरस्त करना था और यह कोई स्थानीय मुद्दा नहीं था जिसे स्थानीय प्रशासन के साथ बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता था। परंतु उनके इस आंदोलन से कितने परिवारों को अब समस्या का सामना करना पड़ेगा इसका तो कोई आंकड़ा ही नहीं है।
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सौ बात की एक बात 2021 में ही इस आंदोलन के चलते इतने अमानवीय घटनाक्रम देखने को मिले हैं जिससे यह आंदोलन कम कोरोना महामारी के साथ-साथ और कष्ट बढ़ाने का प्रायोजित षड्यंत्र बनकर रह गया है। कारोबार वैसे ही कोरोना के चलते ठप्प चल रहे थे, आमदनी शुन्य थी, और जब लॉकडाउन खुलने के साथ इन सभी के कपाट पुनः खुलने की आस जगी तब यह षड्यंत्रकारी बॉर्डर और सीमावर्ती क्षेत्रों में कुंडली मारकर बैठ गए जिसका एक प्रतिफल अडानी समूह के प्लांट का बंद होना है।
दुःख ही बात तो यह भी है कि कुछ नीच और तुच्छ मानसिकता के लोग इस प्लांट के बंद होने के कदम पर जश्न मन रहे हैं और तो और इसे किसान आंदोलन की जीत से जोड़ रहे हैं।
Continuous #FarmersProtest outside Adani's logistics park in ludhiana has made him shut it down!
Great win!#7DaysOf_FarmersParliament #FarmersProtest pic.twitter.com/UmZP258xnG
— ਉਪਦੇਸ਼ ਕੌਰ Updesh Kaur (@updeshkb) August 2, 2021
इन सभी से विपक्षी दलों का हेतु सिद्ध हो या न हो परन्तु गरीब और असहाय वर्ग का जीवन अवश्य लचर हो जायेगा।