भारत में यदि कोई विरोध होता है, तो उसकी शुरुआत तो राजनीतिक और समाजिक लाभ के उद्देश्य से होती है, लेकिन बाद में कट्टरता और अलगाववाद का रुप ले लेती है। तथाकथित किसान आंदोलन इस अराजकता का एक सटीक उदाहरण है। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य तो केन्द्र द्वारा पारित कृषि कानूनों का विरोध कर उन्हें रद्द कराना था, और इसीलिए तथाकथित किसान संगठनों ने राजधानी दिल्ली की सीमाओं को घेर रखा था। इसके विपरीत अब इन्हें विदेशों से मिलने वाला समर्थन एक नई ही राह पर जा रहा है, क्योंकि किसानों के हित तो हवा हो गए हैं, लेकिन खालिस्तान का समर्थन करने से लेकर कश्मीर की आजादी के नारे लगाने वाले लोग ही किसानों के प्रति अपना प्रेम दिखा रहे हैं।
हम सभी ने देखा है कि किस तरह से 26 जनवरी 2021 को देश के गणतंत्र दिवस के दिन तथाकथित किसानों ने लाल किले से लेकर राजधानी दिल्ली की सड़कों पर अराजकता का तांडव किया था, जिसके बाद से ही इन लोगों के प्रति लोगों की सहानुभूति हवा हो गई थी। अमेरिका स्थित सिख फॉर जस्टिस जैसे संगठन तो पहले से ही इस किसान आंदोलन का समर्थन करते रहे हैं, किन्तु अब तो इन किसानों के समर्थन में ऐसे नारे लग रहे हैं, जो कि देश की संप्रभुता और अखंडता के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
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Latest farmers' protest in London:
1. Slogans, flags & posters of Khalistan & I stand with Farmers.
2. Poster of Terrorist Burhan Wani & Free Kashmir.
3. Poster of Free Yasin Malik.
4. 31st October is date of Khalistan Referendum.
This is so called Farmers' protest for you. pic.twitter.com/fH3cOiS1Bk
— Anshul Saxena (@AskAnshul) August 16, 2021
India is the best example of Secularism.
Sad to see how they are harming the reputation of India at International level on the basis of “Kashmir” and “Farmer’s Protest”. https://t.co/Brlbhy0YXW— Saksham Mahajan (@saksham_mahajan) August 16, 2021
सर्वविदित है कि किसान आंदोलन को लेकर तथाकथित किसान नेताओं को जितना समर्थन भारत से नहीं मिल रहा है, उससे ज्यादा विदेशों से मिल रहा है, और जांच एजेंसियों ने भी इससे संबंधित कुछ बड़े खुलासे किए थे। वहीं, अब एक वीडियो में सामने आया है कि कुछ सिख लोग लंदन की सड़कों पर खालिस्तानी झंडा लहराकर किसानों के प्रति अपना समर्थन जता रहे हैं। ये लोग खालिस्तान की आजादी के साथ ही कश्मीर की आजादी की मांग भी कर रहे हैं। इन लोगों के हाथों में किसानों के समर्थन के पोस्टर तो हैं ही, साथ ही ये लोग कश्मीर में आतंक फैलाने वाले आतंकी बुरहान वानी तक के पोस्टर लेकर घूम रहे हैं।
Anti CAA Protests were full of Pro Sharia Slogans which you guys supported, even Farmer Protests had posters of Free Sharjeel Imam, etc. and you guys tweet about Free Kashmir abusing Indian Army. You may not support Taliban directly, but you do support people who support them. https://t.co/poxlowMjaX
— broski (@kiritotwts) August 17, 2021
So whenever Rahul Gandhi or Sonia Gandhi travels to any other States or countries, some or the other mishap , farmers protests or toolkits take place.
Normally Rahul's attendance is either way neglible
So this was Kashmir pandit janeudhari visits for the manhandling and Ruckus https://t.co/xdacZFJlAW— Jyotilaxmi Raghavan 🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@JyotilaxmiK) August 11, 2021
किसानों का समर्थन करने के नाम पर ये लोग लंदन में अलगाववादी नेता यासीन मलिक की रिहाई की मांग कर रहें हैं, जो कि एक अप्रत्याशित है। वो लोग जो किसान हित के नाम पर देश में कथित आंदोलन चला रहे हैं, उन्हें ऐसे लोगों का समर्थन प्राप्त है, जो कि सदैव ही भारत को खंडित करने की साजिश रचते रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा से लेकर कथित आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत तक हमेशा ये कहते रहे हैं कि खालिस्तान से उनका कोई संबंध नहीं है, लेकिन पिछले एक साल में एक बार भी उन्होंने खालिस्तानियों और अराजकतावादियों की निंदा की हैं।
#किसान खालिस्तानी नहीं है,भारत का किसान भारत विरोधी, देशद्रोही हो ही नहीं सकता, लेकिन #किसान_आंदोलन के नाम पर भारत विरोधी ताकतें, भारत को तोड़ने वाली ताकतें सक्रिय हैं l तस्वीरें देखिए-किसान आन्दोलन के समर्थन में प्रदर्शन और पोस्टर किसान -खालिस्तान और आतंकी बुरहान वाणी के l pic.twitter.com/567btQzGHT
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) August 16, 2021
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भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पहले ही ये दावे करती रहीं हैं, कि ये कथित किसान आंदोलन मूल मुद्दों से विपरीत अब अराजकता की ओर जा रहा है, किन्तु वामपंथी इस बात को कतई मानने को तैयार नहीं थे। वहीं, अब जब किसान आंदोलन के समर्थन में लंदन से समर्थन दिखा रहे लोगों ने खालिस्तानी और कश्मीर की आजादी से लेकर यासीन मलिक की रिहाई की मांग की है, तो ये स्पष्ट हो गया है कि अब ये किसान आंदोलन अपने मूल मुद्दों से भटक चुका है। यही कारण है कि अब इस आंदोलन से लोगों को सहानुभूति नहीं बल्कि घृणा होने लगी है, और इसीलिए अब भारत सरकार इन्हें किसी भी प्रकार का तवज्जो देने के मूड में नहीं है।