2020 में 20% से 2021 में 60%: चीनी Apps के बैन होने का भरपूर फायदा उठाया भारतीय Apps ने

भारत

भारतीय मार्केट से विदेशी कंपनियों का बोरिया बिस्तर उठना भारत के लिए हमेशा ही फायदेमंद साबित हुआ है, और ये बात एक बार फिर स्पष्ट होती दिखाई दे रही है, क्योंकि देश में मोदी सरकार द्वारा चीनी मोबाइल एप्स का बैन होना भारतीय एप्स के लिए सौगात लेकर आया है। ऐसे में न केवल भारतीय एप्स का सोशल मीडिया में दबदबा बढ़ा है, अपितु चीनी एप्स के मार्केट शेयर में भी बड़ी गिरावट आई है। इसके चलते ये कहा जा सकता है कि भारतीय एप्स ने चीनी एप्स की उठावनी  के बाद आए खालीपन को भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वहीं एक सच ये भी है कि चीनी एप्स के फीचर्स फेसबुक समेत इंस्टाग्राम जैसी कंपनियो ने भी अपने एप्स में दिए, जिससे उनका मार्केट शेयर भी बढ़ गया है, लेकिन इस पूरे खेल में भारत ने सबसे बड़ा सबक चीन एवं वहां के एप्स को सिखाया है।

भारत सरकार ने साल 2020 में ही सुरक्षा एवं संप्रभुता के मद्देनजर चाइनीज एप्स के विरुद्ध कार्रवाई करनी शुरु कर दी थी, वहीं गलवान में भारत चीन टकराव के बाद से तो चीन के प्रति देश के आम जनमानस में भी एक नकारात्मकता का माहौल आ गया था। भारत सरकार द्वारा उठाए गए उस कदम का फायदा अब देखने को मिल रहा है, क्योंकि अब देश में भारतीय एप्स का डंका बज रहा है। चीनी एप्स के बैन होने से पहले देश में भारतीय एप्स का मार्केट शेयर 20 प्रतिशत के करीब था, जिसमें  NIC और Aarogya setu aap  मुख्य थे, लेकिन चीनी एप्स के बैन होने के बाद ये आंकड़ा अब 60% हो गया है।

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इस मामले में ऐप एनी के आंकड़ों के अनुसार, प्रतिबंध से ठीक एक महीने पहले, मई 2020 में देश के शीर्ष 10 ऐप प्रकाशकों में से 50 प्रतिशत चीनी थे। भारतीय प्रकाशकों की हिस्सेदारी केवल 20 प्रतिशत थी और आरोग्य ऐप की बदौलत एनआईसी सबसे ऊपर था। वहीं चीनी  एप्स के बाहर होने के बाद भारतीय प्रकाशक एप्लिकेशंस रैंकिंग का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त करने में सक्षम हो गए थे। सितंबर से अब तक, ऐप एनी पर शीर्ष दस ऐप में से 60 प्रतिशत का स्वामित्व भारत के पास ही है।

टिक टॉक के बैन होने के बाद भारत में फेसबुक और इंस्टाग्राम में भी टिक टॉक के फीचर्स दिए गए, जिसके बाद वीडियों एवं सोशल एप्स में भारत ने अपना सिक्का जमा लिया। MX TakaTak, MoJ App, ShareChat, जोश और पब्लिक आदि एप्स ने भारत में अपना मार्केट शेयर बढ़ा लिया है। उनमें से अधिकांश ने शार्ट वीडियो ऑफ़र के साथ शुरुआत की और पिछले साल जून के बाद ही अपने ऐप लॉन्च किए जब सरकार ने टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाया था। उन्हें उस दौरान ही लॉन्चिंग का जबरदस्त फायदा भी देखने को मिला था, जो कि अब सामने भी आ रहा है।

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सोशल एप्स की तरह भारत में गेमिंग एप्स उतना इच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाईं है। टॉप 10 गेम्स में से मात्र एक गेम लूडो किंग ही जगह बना पाया किन्तु जिस तरह से गेमिंग को लेकर भारत में  कंपनियां सक्रिय हैं, वैसे में संभावनाएं हैं कि जल्द ही गेमिंग के क्षेत्र में भी भारतीय एप्स चाइनीज एप्स को पीछे छोड़ देंगी।  कुछ इसी तरह भारत में क्लब फैक्ट्री शॉपिंग एप्स के खात्मे के बाद भारतीय शॉंपिंग एप्स के यूजर्स में भी में भारतीय फ्लिपकार्ट जैसी एप्स का  दबदबा बढ़ा है।

ये दिखाता है कि जिस तरह से भारत में  मोदी सरकार ने चीनी मोबाइल एप्लिकेशंस पर डंडा चलाया है, उसके बाद से जो खालीपन आया था, जिसे भारतीय एप्स ने बड़ी ही आसानी से भर दिया है, और ये भारत के लिए सुरक्षा एवं आर्थिक क्षेत्र की दृष्टि से सकारात्मक है।

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