‘ग्रैंडपा’ जिनपिंग चीनी छात्रों को नीचा दिखा रहे हैं ताकि वे उनके प्रति अधिक वफादार हो सकें

चीनी विद्यार्थियों को नए स्कूली पाठ्यक्रम से परिचित करवाया गया है जिसमें ‛जिनपिंग के विचार’ का संस्करण जोड़ा गया है

चीन की शिक्षा नीति

Foreign Policy illustration/Getty Images

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन पर अपना सर्वकालिक आधिपत्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से स्कूली शिक्षा में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। वैसे तो, पहले भी चीन की शिक्षा नीति का मुख्य अवयव सरकार समर्थित विद्यार्थियों को तैयार करना था लेकिन पूर्व में चीन की विद्यालय शिक्षा कुशल व्यक्तित्व के निर्माण और आधुनिक चीनी युवा पीढ़ी को तैयार करने के लिए समर्पित थी। इसी कारण चीन ने दुनिया को बड़ी संख्या में विद्वान वैज्ञानिकों, अर्थशास्त्रीयों आदि दिए।

आज विदेशों में, विशेषतः पश्चिम देशों में चीनी नागरिकों की अच्छी संख्या उपस्थित है, तो इसके पीछे चीन की शिक्षा नीति का ही योगदान है, जिसने कुशल और  विशेषीकृत श्रम तैयार किया। किन्तु अब चीन की शिक्षा नीति, चीन के लोगों को आधुनिक विश्व में प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने के स्थान पर कम्युनिस्ट पार्टी के लिए समर्पित मानसिक दासों की सेना तैयार करने में लगी है।

चीन की नई शिक्षा नीति का अधिक ध्यान कम्युनिस्ट विचारधारा के लिए समर्पित विद्यार्थियों को तैयार करने में है। बुधवार से चीन में स्कूली शिक्षा ऑफलाइन अवस्था में शुरू हुई है। इसी समय विद्यार्थियों को नए स्कूली पाठ्यक्रम से परिचित करवाया गया है जिसमें ‛जिनपिंग के विचार’ का संस्करण जोड़ा गया है।

इस नए पाठ्यक्रम में जिनपिंग को ‛ग्रैंडपा जिनपिंग’ कहा गया है। “ग्रैंडपा शी जिनपिंग अपने कार्य में बहुत व्यस्त हैं किंतु वह अपने कार्य में कितने ही व्यस्त हो वह हमारे क्रियाकलापों में सम्मिलित होते हैं और हमारे विकास का पूरा ध्यान रखते हैं।” नई स्कूली किताबों में छपे यह शब्द छोटे बच्चों के दिमाग में जिनपिंग की छवि उनके अपने दादा जैसी बनाने के लिए लिखे गए हैं। बच्चों में यह भावना भरी जा रही है कि जिनपिंग अपनी व्यस्तता के बाद भी छोटे बच्चों का वैसे ही ध्यान रखते हैं जैसे घर में हमारे आपके माता-पिता, दादा-दादी आदि लोग ध्यान रखते हैं।

चीन की नई शिक्षा नीति के नए स्कूली पाठ्यक्रम में शिक्षकों के लिए स्पष्ट आदेश है कि उन्हीं विद्यार्थियों में कम्युनिस्ट पार्टी उनके अपने देश और समाजवाद के विचार के प्रति प्रेम का बीज बोना है। शिक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि जिनपिंग के विचारों को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने का उद्देश्य समाजवाद के उत्तराधिकारीयों और भावी निर्माताओं का नैतिक, बौद्धिक, शारिरिक और सौंदर्यपरक चौतरफा विकास करना है।

स्कूली पुस्तकों में जिनपिंग की मुस्कुराती हुई तस्वीर छपी हुई है। बच्चों को चीनी सभ्यता की उपलब्धि, गरीबी हटाने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा किए गए परिश्रम और कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए हुए प्रयासों का वर्णन किया गया है।

प्राथमिक स्तर की शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों को राष्ट्रप्रेमी बनना और कम्युनिस्ट पार्टी के लिए समर्पित करना है। माध्यमिक शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों में अवधारणात्मक अनुभव की शिक्षा का विकास करना है। अर्थात विद्यार्थियों को अपने अनुभव के आधार पर अवधारणा बनाने के लिए तैयार करना और उसी अवधारणा के आधार पर सही और गलत का निर्णय करने की समझ पैदा करना है।

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कहने का अर्थ यह है कि जहां एक और प्राथमिक शिक्षा विद्यार्थियों को कम्युनिस्ट विचारधारा के प्रति आकर्षित करेगी वही माध्यमिक शिक्षा के स्तर तक उनमें कम्युनिस्ट विचारधारा को इतना पोषित कर देना है कि वह सही और गलत का निर्णय उसी विचारधारा को आधार बनाकर करें। वहीं कॉलेज स्तर की शिक्षा का उद्देश्य परिपक्व राजनीतिक सोच का विकास करना है।

अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम से चीनी युवा पीढ़ी में स्वतंत्रता, लोकतंत्र और बहुदलीय व्यवस्था का विचार ना जन्म ले सके इसलिए निर्णय किया है। साथ ही चीनी युवकों/युवतियों को विदेशों की यात्रा करने से भी रोका जा रहा है जिससे वह विदेशों से इन विचारों को आयात ना कर सके।

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