प्रशासनिक स्तर पर बैठे अधिकारियों से ये अपेक्षा की जाती है, कि वो सामान्य लोगों से इतर जाति धर्म से विपरीत सोच रखते हुए संविधान के आधार पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे, किन्तु तब क्या हो, जब अधिकारी ही एक धर्म विशेष का विस्तार करने के लिए काम करने के लिए काम करने लगे। उत्तर प्रदेश के कानपुर में कार्यरत एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन (Mohammad Iftikharuddin) ने कुछ ऐसी ही किया है, जिसके निजी आवास पर ही धर्मांतरण का खेल हो रहा था, और अब जब इस अधिकारी की काली करतूतें सोशल मीडिया पर वायरल हुई, तो इसकी मुश्किलें बढ़ गईं हैं। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अधिकारी समेत सभी लोगों के खिलाफ केस दर्ज करते हुए एसआईटी के गठन का आदेश दे दिया है। ये कार्रवाई तो आवश्यक थी ही पर सवाल ये उठता है कि क्या ये प्रशासनिक जिहाद नहीं है, और ये तो केवल एक अधिकारी था, ऐसे न जाने कितने छिप कर धर्मांतरण का धंधा चला रहे हैं।
#Kanpur: Controversial video of Senior IAS Iftikharuddin went viral. In the video, during the posting of the purported divisional commissioner, Muslim fundamentalists are called to the government residence and are promoting conversion @Uppolice pic.twitter.com/uQCC0J27H7
— Sarvesh Tiwari #हर_ब्राह्मण_मेरा_परिवार (@Sarvesh_2018) September 28, 2021
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
किसी अधिकारी के घर से ही धर्मांतरण का खेल होने लगे तो आप आम वर्ग से, और कानपुर में रहने वाले वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के घर पर धर्मांतरण का एक ऐसा ही कारोबार हो रहा था। उनके काले कारनामों का खुलासा एक वायरल वीडियो से हुआ है, जिसमें लोगों को इस्लाम कबूल करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। ये वीडियो स्पष्ट करता है कि इस अधिकारी के घर में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण का काम एक प्रायोजित ढंग से किया जा रहा था, लेकिन इस शख्स की मुसीबत वीडियो वायरल होने के बाद बढ़ गई है। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार आईएएस मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन अपने सरकारी आवास में एक धर्मगुरु के साथ कुछ लोगों के सामने इस्लाम धर्म अपनाने के लाभ गिना रहे हैं।
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#कानपुर : सीनियर आईएएस इफ्तिखारुद्दीन की विवादित वीडियो हुआ वायरल। वीडियो में कथित मंडलायुक्त पद पर तैनाती के दौरान सरकारी आवास में मुस्लिम कट्टरपंथियों को बुलाकर धर्म परिवर्तन को बढ़ावा और इस्लाम की कट्टरता का पाठ पढ़ा रहे है @Uppolice pic.twitter.com/WgxLmU00DA
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) September 27, 2021
हिन्दू संस्कृति के प्रति जहर
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक इस वीडियो में स्पष्ट ये दिख रहा है कि आईएएस अधिकारी की मौजूदगी में इस्लामिक धर्मगुरु दावा करता है कि पिछले दिनों पंजाब के एक व्यक्ति ने धर्म परिवर्तन कर इस्लाम अपनाया। उन्होंने इस्लाम कबूल किया तो मैंने उनसे कहा कि ‘इस्लाम कबूल क्यों किया तुमने? इस पर उसने बताया कि बहन की मौत के कारण इस्लाम कबूल किया है, क्योंकि, जब मरने के बाद उसे जलाया गया तो कपड़े जल गए और वो निर्वस्त्र हो गई, वो स्थिति बहुत शर्मनाक थी’। इस इस्लामिक धर्मगुरु का बयान इस ओर संकेत देता है कि हिन्दुत्व संस्कृति के प्रति उसमें नफरत भरी हुई है, जिसका विस्तार वो एक आईएएस अधिकारी के घर में बैठकर ही कर रहा है।
वहीं एक दूसरे वीडियो में आईएएस मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन कुर्सी पर बैठकर तकरीरें पढ़ते हुए कह रहे हैं, ‘ऐलान करो, दुनिया के इंसानों से कि अल्लाह कि बादशाहत और निजामियत पूरी दुनिया में कायम करनी है।’ हालांकि, TFI ऑनलाइन वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है, ये अभी जांच का विषय है।
सख्त योगी सरकार की पुलिस
इस मामले का खुलासा होने के बाद योगी सरकार एक्शन में आ गई है। एक तरफ जहां कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने मामले की जांच के लिए एडीसीपी पूर्वी सोमेंद्र मीणा को सौंप दी है, तो दूसरी तरफ योगी सरकार ने इस मुद्दे पर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन कर दिया है। मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया है कि एसआईटी की अध्यक्षता डीजी सीबीसीआईडी जीएल मीणा करेंगे जिसमें अन्य सदस्यों में एडीजी ज़ोन भानु भास्कर होंगे। खास बात ये है कि एसआईटी इस मामले में अपनी रिपोर्ट 7 दिन में प्रशासन के सामने पेश कर देगी, जो कि मुख्यमंत्री के सख्त कदम को दर्शाता है।
कानपुर के आईएएस इफ्तखारुद्दीन के मामले में शासन द्वारा एसआईटी से जांच के आदेश दिए गए हैं। एसआईटी के अध्यक्ष डीजी सीबीसीआईडी जीएल मीणा होंगे एवं सदस्य एडीजी ज़ोन भानु भास्कर होंगे। एसआईटी अपनी रिपोर्ट 7 दिन में शासन को प्रेषित करेगा: उत्तर प्रदेश सरकार
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 28, 2021
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बता दें कि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारूद्दीन (Mohammad Iftikharuddin) 14 फरवरी 2014 से 22 अप्रैल 2017 तक कानपुर के मंडलायुक्त रह चुके हैं। इफ्तिखारूद्दीन ने श्रमायुक्त का पदभार भी संभाला है। फिलहाल, वह यूपी राज्य परिवहन निगम (रोजवेज) के चेयरमैन पद पर हैं, ऐसे में जिस तरह से ये अधिकारी अपने पद का दुरूपयोग कर रहा है वो सरकार के लिए चिंता का विषय है । सरकार को चाहिए कि वो सराकारी कर्मचारियों की गतिविधियों पर भी पैनी नजर रखे जो सरकारी तंत्र पर धब्बा हैं।
हालांकि, इस मामले में सख्त कार्रवाई का ऐलान तो संतोषजनक प्रतीत होता है किन्तु एक बार फिर ये शक पैदा कर दिया है कि मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन की भांति न जाने कितने ऐसे अधिकारी होंगे, जो कि मुख्य़धारा में रहकर हिन्दुत्व के खिलाफ एजेंडा चलाते हुए धर्मांतरण का व्यापार कर रहे होंगे। ध्यान देने वाली बात ये भी है कि पिछले 6 महीनों में कानपुर से लव जिहाद की अनेकों खबरें आईं हैं, जो चिंता का विषय है। इसके विपरीत जब प्रदेश में लव जिहाद के विरुद्ध कानून बन गया है, तो विशेष धर्म के अधिकारी ही अपने मूल कार्यों को छोड़ प्रशासनिक जिहाद के जरिए इस्लाम के विस्तार में जुट गए हैं।