23 सितंबर को पीएम मोदी ने अमेरिका पहुँचकर अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से बातचीत की। कमला हैरिस ने इस मौके पर स्वयं ही पाकिस्तान का मुद्दा उठाया और साथ ही साथ पाकिस्तान को आतंक का केंद्र भी घोषित कर दिया।
नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद जिस प्रकार पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग किया है, उसने पाकिस्तान के प्रशंसक माने जाने वाले डेमोक्रेट्स को भी उनके खिलाफ लाकर खड़ा कर दिया है।
अमेरिकी सरकार ने पीएम मोदी के दबाव में भारत के सामने सरेंडर कर पाकिस्तान को उसकी जगह दिखाने का काम किया है।
अफ़गानिस्तान में पाकिस्तान के हाथों करारी हार का मुंह देखने के बाद अब अमेरिकी प्रशासन आखिरकार इस्लामाबाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाता दिखाई दे रहा है। कई अमेरिकी सांसद पाकिस्तान के दोगले रवैये के कारण उससे बेहद नाराज़ हैं और वे लगातार अमेरिकी सरकार पर पाकिस्तान के विरुद्ध कड़ा एक्शन लेने की मांग कर रहे हैं।
इसी महीने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने गुस्साये सांसदों को आश्वासन दिया था कि अमेरिकी सरकार तालिबान के संदर्भ में पिछले 20 सालों के दौरान पाकिस्तानी सरकार की भूमिका की गहनता से जांच करेगी। अब जब पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर हैं, तो अमेरिकी प्रशासन स्वयं ही पाकिस्तान को दंडित करने के लिए आतुर दिखाई दे रहा है।
कमला हैरिस ने खुद उठाया पाकिस्तान मुद्दा
23 सितंबर को पीएम मोदी ने अमेरिका पहुँचकर अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से बातचीत की। कमला हैरिस ने इस मौके पर स्वयं ही पाकिस्तान का मुद्दा उठाया और साथ ही साथ पाकिस्तान को आतंक का केंद्र भी घोषित कर दिया। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के अनुसार, “उन्होंने (हैरिस ने) पाकिस्तान से कार्रवाई करने के लिए कहा जिससे अमेरिकी और भारत की सुरक्षा प्रभावित न हो। वह सीमा पार आतंकवाद के तथ्य को लेकर प्रधानमंत्री से सहमत थीं और यह तथ्य है कि भारत कई दशकों से आतंकवाद का शिकार रहा है और आतंकवादी समूहों के समर्थक के लिए पाकिस्तान पर नियंत्रण और बारीक निगाह रखने की जरूरत है।”
अमेरिका पर काम कर गया पीएम मोदी का दबाव
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और अमेरिका के डेमोक्रेट्स को आमतौर पर पाकिस्तान का प्रशंसक माना जाता है। अफ़गानिस्तान में तालिबान की वापसी में पाकिस्तान की भरपूर भूमिका होने के बावजूद बाइडन ने अब तक पाकिस्तान के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला है। ओबामा प्रशासन के दौरान उपराष्ट्रपति का पद संभाल चुके जो बाइडन पाकिस्तान के इतने बड़े समर्थक हैं कि एक बार उन्होंने पाकिस्तान को अफ़गानिस्तान से 50 गुना अहम देश बताया था। अब ऐसा क्या हुआ कि आज उन्हीं जो बाइडन की सरकार में उपराष्ट्रपति के पद पर तैनात कमला हैरिस न सिर्फ पाकिस्तान को आतंक का ठिकाना बता रही हैं बल्कि पीएम मोदी के साथ मिलकर पाकिस्तान को आतंक के खिलाफ सख्त कदम उठाने के निर्देश भी दे रही हैं।
इस सवाल का उत्तर है- नरेंद्र मोदी। नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद जिस प्रकार पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग किया है, उसने पाकिस्तान के प्रशंसक माने जाने वाले डेमोक्रेट्स को भी उनके खिलाफ लाकर खड़ा कर दिया है। भारत शुरू से ही पाकिस्तान को आतंक का जननी मानता आया है और अब अफ़गानिस्तान में पाकिस्तान के बिछाये बारूदी जाल में अपने हाथ जलाकर अमेरिका को भी यह अहसास हो गया है।
तालिबान के उदय से भारत में चिंता
तालिबान के उदय के बाद भारत की पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा स्थिति बिगड़ने के अनुमान बढ़ गए हैं। माना जा रहा है कि पाकिस्तान अब तालिबान के जिहादियों को कश्मीर में भेजने की रणनीति पर काम कर सकता है। जम्मू-कश्मीर में हाल ही में भारतीय सेना ने एलओसी पर उरी के पास रामपुर सेक्टर में तीन आतंकियों को ढेर किया है जो पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से भारतीय सीमा में आए थे। यह दिखाता है कि भारत पर अब आतंकी हमलों का खतरा कई गुना बढ़ गया है और अगर चीन, पाकिस्तान और तालिबान एक साथ मिलकर भारत के खिलाफ कोई बड़ी रणनीति बनाते हैं तो इससे भारत में चिंताएँ बढ़ना लाज़मी है।
ऐसे में अब अमेरिकी सरकार ने पीएम मोदी के दबाव में भारत के सामने सरेंडर कर पाकिस्तान को उसकी जगह दिखाने का काम किया है। इससे ना सिर्फ पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और अलग-थलग होगा बल्कि इससे भारत को पाकिस्तान के खिलाफ बालाकोट जैसे और अधिक ऑपेरेशन्स को अंजाम देने की भी वजह हासिल होगी।