स्वामी अग्निवेश, देवदत्त पटनायक और यति नरसिंहानंद सरस्वती में समान बात बता सकते हैं? ये सब मीडिया / सोशल मीडिया के अनुसार हिन्दू धर्म के बहुत बड़े ज्ञाता हैं और इनके ही कारण सनातन धर्म की महिमा चारों ओर फैली थी। परंतु वास्तविकता में ये अपने स्वभाव और अपने कार्यों से सनातन धर्म को अपमानित करने पर तुले हुए हैं, और अब इसी सूची में नाम जुड़ा है सर जेम्स मेलिन्सन नामक शोधकर्ता का।
लेकिन ये सर जेम्स मेलिन्सन हैं कौन? ये सनातन धर्म को बर्बाद करने की दिशा में कैसे योगदान दे रहे हैं?
दरअसल, हाल ही में, अमेरिका में घोर हिन्दू विरोधी कॉन्फ्रेंस ‘Dismantling Global Hindutva’ को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसे विश्व में 40 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों द्वारा मान्यता मिली है।यह कार्यक्रम हिन्दुत्व के विरोध में किया जा रहा है l धर्मशास्त्र पर शोध कर रही ट्विटर यूजर सारा एल गेट्स के अनुसार,
“भारत ने सर जेम्स मेलिन्सन को महंत बना दिया। जहां भी गए, उनका स्वागत फूल मालाओं और प्रेम से हुआ। यूरोपीय संघ से हठ योग का मूल स्त्रोत निकालने के लिए उन्हे 5 मिलियन डॉलर भी मिले, और उन्होंने भारत को बदले में क्या दिया? Dismantling Global Hindutva Conference के समर्थन में अपना हस्ताक्षर?” –
https://twitter.com/SarahLGates1/status/1435626125728751630?s=20

लेकिन बात यहीं पर नहीं रुकती। सर जेम्स मेलिन्सन यहाँ तक दावा करते हैं कि योग सनातनी शास्त्र है ही नहीं, इस पर बौद्ध धर्म और यहाँ तक कि इस्लाम का भी बराबर का हक है। 2017 में मार्क सिंगलटन के साथ मिलकर रचे गए पुस्तक ‘Roots of Yoga’ में महोदय कहते हैं,
“ब्राह्मणवादी धर्म को मान्यता देने के लिए भगवद गीता योग को उसके मूल स्त्रोतों से ही दूर ले जा रहा है। पतंजलि के योग शास्त्र एक योग के मूल बौद्धिक स्त्रोत से उसे दूर ले जाने की एक ब्राह्मणवादी साजिश है।”
जी हाँ, आपने ठीक सुना। इन वामपंथियों के अनुसार बौद्ध धर्म भगवद गीता से भी प्राचीन है, और पतंजलि के योग शास्त्र एवं भगवद गीता योग को उसके ‘मूल स्त्रोतों’ से अलग करने की ‘ब्राह्मणवादी साजिश’ है। कर्म, योग, प्राणायाम इत्यादि, ये सब बौद्ध और जैन ऋषियों की देन थे, लेकिन ब्राह्मणवादी आक्रान्ताओं ने इनके शास्त्रों पर आधिपत्य जमाते हुए इन्हे अपना बना लिया। अब ये परम ज्ञानी इतिहासकार कृपया ये बताने का कष्ट करेंगे कि यह बौद्ध और जैन धर्म की उत्पत्ति कहाँ से हुई थी?
सर जेम्स मेलिन्सन जैसे लोग अब सनातन धर्म के लिए नए नियम और आदर्श स्थापित करना चाहते हैं, और सर जेम्स मेलिन्सन को यूरोपीय यूनियन ने हठ योग का मूल स्त्रोत ढूँढने के लिए 5 मिलियन डॉलर का अनुदान भी दिया था। अब इन महोदय के अनुसार बौद्ध धर्म भगवद गीता से भी प्राचीन है। कल को यह भी कहा जा सकता है यूनानी आक्रांता सिकंदर के आक्रमण से पहले इस्लाम की स्थापना हो चुकी थी, और इन वामपंथियों के अति उत्साह को देखते इस बात को नाकारा भी नहीं जा सकता। जो काम मैक्स मुलर और मैकाउले से भी न हो पाया, वो अब ये महान हस्तियाँ पूरा करना चाहते हैं।
लेकिन जिन पाश्चात्य इतिहासकारों को संस्कृत का एक श्लोक स्मरण करने में पसीने छूट जाते हों, जिन्हे ये भी न ज्ञात हो कि करोड़ और कोटी में अंतर क्या होता है, उनसे हम ऐसे क्षेत्रों में ज्ञान की आशा कर भी कैसे सकते हैं?



























