100 करोड़ रुपए की राशि से 100 सुसाइड ड्रोन
भारतीय सेना ने इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट के तहत मिली सुविधा का प्रयोग करते हुए इजरायल से तत्काल 100 से अधिक सुसाइड ड्रोन खरीदने का फैसला किया है। पिछले वर्ष चीन के साथ हुए टकराव के बाद मोदी सरकार ने जुलाई में भारतीय सेनाओं को आपातकालीन स्थिति में 500 करोड़ रुपए तक की तत्काल रक्षा खरीद करने का अधिकार दिया था। इसी अधिकार का प्रयोग करते हुए भारतीय सेना ने लगभग 100 करोड़ रुपए की राशि से 100 स्काई स्ट्राइकर्स ड्रोन खरीदने का फैसला किया है। यह सभी ड्रोन बेंगलुरु स्थित एक भारतीय कंपनी के प्लांट पर बनाए जाएंगे। इन ड्रोन की खरीद के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसे अभियान करने में भारतीय सेनाओं को न्यूनतम खतरों का सामना करना पड़ेगा।
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बेंगलुरु स्थित भारतीय कंपनी अल्फा डिजाइन और इजरायल की कंपनी Elbit के ज्वाइंट वेंचर के तहत यह सुसाइड ड्रोन भारत में ही बनाए जाएंगे। इस जॉइंट वेंचर में अल्फा डिजाइन की हिस्सेदारी 51% है। ड्रोन बनाने के पहले भी इन दोनों कंपनियों ने भारत के MI17 हेलीकॉप्टर के अपग्रेडेशन प्रोजेक्ट पर काम किया है। साथ ही दोनों कंपनी ने भारतीय वायुसेना के हाई फ्रिकवेंसी रडार बनाने का समझौता अपने नाम किया है। यही नहीं दोनों कंपनियां मिलकर कम्युनिकेशन डिवाइस टैंक अपग्रेडेशन सहित कई अन्य प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं।
सुसाइड ड्रोन क्या है?
सुसाइड ड्रोन ऐसे ड्रोन होते हैं जो लक्ष्य पर गिरकर वहां धमाका कर देते हैं। यह ड्रोन साधारण सर्विलांस ड्रोन या हथियारों से लैस ड्रोन की तरह नहीं होते हैं। सर्विलांस ड्रोन केवल रेकी कर सकते हैं जबकि आर्म्ड ड्रोन किसी एयरक्राफ्ट की तरह जमीन पर हमला करने में सक्षम होते हैं। इनके विपरीत सुसाइड ड्रोन या स्काई स्ट्राइकर ड्रोन किसी मिसाइल की तरह काम करते हैं।
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हालांकि, एक मिसाइल और स्काई स्ट्राइकर में भी बड़ा अंतर होता है। मिसाइल को एक बार लक्ष्य की ओर दाग दिया गया तो उसे वापस नहीं बुलाया जा सकता, जबकि सुसाइडड्रोन को सेटेलाइट, रडार आदि के माध्यम से लगातार नियंत्रित व दिशा निर्देशित किया जाता है। ऐसे में धमाके के कुछ सेकंड पहले भी सुसाइड ड्रोन हमला रोका जा सकता है।
ऐसे ड्रोन का दूसरा लाभ यह होता है कि यह ड्रोन लंबे समय तक अपने लक्ष्य के ऊपर मंडरा सकते हैं। फाइटर जेट से एयरस्ट्राइक करते समय एयर स्ट्राइक की टाइमिंग बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। एक बार एयरक्राफ्ट ने रनवे से उड़ान भर ली और दुश्मन की सीमा में प्रवेश कर गया तो उसे जल्द हमला करके वापस आना पड़ता है। जबकि सुसाइड ड्रोन लॉन्च होने के बाद लंबे समय तक हवा में रह सकते हैं और उपयुक्त समय पर अपने लक्ष्य को निशाना बना उड़ा सकते हैं।
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इन ड्रोन की मारक क्षमता
भारत जिस सुसाइड ड्रोन की खरीद कर रहा है, उस पर 5 किलो तक के विस्फोटक लगाए जा सकते हैं। हमले का स्थान ड्रोन के उड़ने के पहले ही उसमें फीड कर दिया जाता है। इसके बाद ड्रोन को लांच किया जाता है और वह अपने टारगेट के ऊपर उड़ता रहता है, जब तक उसे हमले का आदेश नहीं दिया जाता। एक बार लक्ष्य निर्धारित करने के बाद भी उसे बदला जा सकता है, भले ही ड्रोन उस समय हवा में हो। इस ड्रोन के आ जाने से भारतीय सेना की बालाकोट जैसे एयरस्ट्राइक के समय लक्ष्य भेदन में सुनिश्चितता और बढ़ जाएगी।
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आज के समय में अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद भारत कश्मीर की सुरक्षा के लिए चिंतित है। मीडिया रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान FATF के प्रतिबंधों से बचने के लिए अपने आतंकी कैंप अफगानिस्तान में स्थानांतरित कर रहा है। तालिबान की मदद से पाकिस्तान आतंकियों को बड़ी संख्या में कश्मीर की ओर भेज सकता है। ऐसे में भारत इन आतंकियों को उनके लॉन्चिंग पैड पर ही मार सकता है, जैसा कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के समय हुआ था। भारत के ऐसे किसी भी सैन्य अभियान के लिए स्काई स्ट्राइकर ड्रोन सबसे अधिक उपयोगी सिद्ध होंगे। यही कारण है कि सेना ने आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करके इन सुसाइड ड्रोन की तत्काल खरीद का निर्णय लिया है।