बिहार का किशनगंज क्षेत्र इन दिनों काफी सुर्खियों में है। बिहार के सीमांचल क्षेत्र में स्थित यह जिला न केवल मुस्लिम बाहुल्य है, अपितु इस क्षेत्र में घुसपैठियों की भी भरमार है। अब वहाँ के DM ने घुसपैठियों की पहचान पर त्वरित कार्रवाई के लिए निर्देश दे दिया है और साथ ही जनता से भी ऐसे लोगों की पहचान बताने के लिए कहा है। वर्तमान जिलाधिकारी के निर्णय ने न सिर्फ इस समस्या पर नियंत्रण लगाने का काम किया है, अपितु किशनगंज को उम्मीद की एक नई किरण भी दिखाई है।
हाल ही में बिहार के किशनगंज के वर्तमान जिलाधिकारी ने घुसपैठियों को लेकर एक सार्वजनिक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने संदिग्ध विदेशी नागरिकों, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की पहचान के संबंध में एक आदेश दिया था जिसके पीछे काफी AIMIM काफी हो हल्ला मचा रही है। जिलाधिकारी आदित्य प्रकाश के अनुसार, “पटना हाई कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए घुसपैठियों की पहचान करनी आवश्यक है, ताकि जिले में उन लोगों की पहचान हो सके, जो वास्तव में किशनगंज के निवासी हैं, और उन लोगों की भी, जो अवैध तरीके से बिहार के किशनगंज में बॉर्डर के जरिए प्रवेश कर रहे हैं।” इतना ही नहीं DM आदित्य प्रकाश ने ये भी कहा कि यदि अवैध प्रवासियों के बारे में कोई भी सूचना मिलती है, तो जनता प्रशासन को निस्संकोच सूचित करे।
डीएम के पत्र में हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है, “वास्तव में, हमारा विचार है कि लोगों को संवेदनशील बनाने की ऐसी प्रक्रिया, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में, इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया दोनों के माध्यम से सख्ती से की जानी चाहिए। अवैध प्रवासियों के निर्वासन के लिए जन-उत्साही व्यक्तियों / गैर सरकारी संगठनों का आगे आना सर्वोपरि और राष्ट्रीय हित में है।”
बता दें कि पटना हाई कोर्ट ने 18 अगस्त को दिए अपने आदेश में बिहार सरकार से अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर जागरूकता लाने के लिए कहा था। अपने आदेश में हाई कोर्ट ने बिहार सरकार को स्थायी हिरासत केंद्र बनाने की योजना पेश करने के लिए भी कहा है। हाई कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह हिरासत केंद्र बनाए जाने की समयसीमा और स्थान की जानकारी दे।
असल में बिहार के किशनगंज अंतर्राष्ट्रीय सीमा से अधिक दूर नहीं है, और ऐसे में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की आवाजाही इस जिले के लिए कोई अस्वाभाविक बात नहीं है। इसके अलावा सीमांचल एक ऐसा क्षेत्र है, जो बॉर्डर के निकट होने के अलावा मुस्लिम बाहुल्य भी है, जहां कई जिलों में मुस्लिम आबादी 40 प्रतिशत से 70 प्रतिशत तक उपस्थित है। यही कारण है कि बिहार के किशनगंज में AIMIM यानि ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन का प्रभाव काफी ज्यादा है, और पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव में उसने 5 सीटें भी प्राप्त की थी। इसी को लेकर ओवैसी ने भी ट्वीट किया था। एक ट्वीट में ओवैसी ने कहा, “अधिकारी आम लोगों से कह रहे हैं कि वो आस-पास रहने वाले ‘विदेशी नागरिक’ और ‘अवैध प्रवासियो’ की सूचना नज़दीकी पुलिस स्टेशन को दें। असम में भी ऐसे ही क़ानूनी कार्रवाई का दुरूपयोग बड़े पैमाने पर हुआ है।”
बिहार सरकार चोर-दरवाज़े से बिहार में NRC लागू कर रही है।
अधिकारी आम लोगों से कह रहे हैं कि वो आस-पास रहने वाले 'विदेशी नागरिक' और “अवैध प्रवासियो” की सूचना नज़दीकी पुलिस स्टेशन को दें।असम में भी ऐसे ही क़ानूनी कार्रवाई का दुरूपयोग बड़े पैमाने पर हुए हैं 1/ pic.twitter.com/roQ3j2qcx4
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) September 7, 2021
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यही कारण है कि जब बिहार के किशनगंज के जिलाधिकारी ने अवैध प्रवासियों को चिन्हित करने के लिए अपना ब्लूप्रिंट जारी किया, तो विवाद उठना स्वाभाविक था। हालांकि, खबर यह भी है कि जल्द ही किशनगंज में पंचायत चुनाव आयोजित किये जाने है। इससे भी यह आदेश महत्वपूर्ण हो जाता है।
सीमांचल में अधिकतम विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पर मुस्लिम जनसंख्या बहुमत में है। बिहार के सीमांचल के जिले खासकर कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया बारूद की ढेर पर हैं। घुसपैठियों के कारण एक वर्ग विशेष की बढ़ी आबादी ने यहां जनसंख्या का संतुलन बिगाड़ दिया है। आम बोलचाल की भाषा में इन क्षेत्रों को मिनी पाकिस्तान कहा जाने लगा है।
यहाँ पर या तो कांग्रेस या फिर आरजेडी का ही वर्चस्व रहा है। इनके वर्चस्व को अभी तक कोई भी पार्टी ढंग से चुनौती नहीं दे पाई है, और इसीलिए बिहार में इन्हें इस क्षेत्र में सबसे अधिक लाभ प्राप्त हुआ है। अब इस तरह से घुसपैठियों की पहचान से इन राजनीतिक पार्टियों को सबसे अधिक नुकसान होने जा रहा है। साथ ही AIMIM के लिए भी मुसीबत खड़ी हो जाएगी।
यदि घुसपैठियों पर नियंत्रण प्रारंभ हो जाएगा, तो फिर कांग्रेस या फिर आरजेडी या AIMIM के पास मतदाता के नाम पर बचेगा ही क्या? ऐसे में अपना मत आधार खिसकता देख वे घबराने लगे हैं और घबराहट में DM को बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। परंतु वे भूल गए हैं कि जल्दी का काम शैतान का होता है, और अपनी हड़बड़ी में AIMIM अपने हाथों से ही बिहार के किशनगंज को ‘मिनी पाकिस्तान’ बनाने की योजना पर पानी फेर रहे हैं, बल्कि अपने ही जनाधार को बर्बाद भी करवा रहे हैं।