किसी भी चीज़ की अति हानिकारक होती है, और न्यूज़ीलैंड के मामले में ये बात एक बार पुनः सिद्ध होती है। न्यूज़ीलैंड में अल्पसंख्यक तुष्टीकरण को प्रधानमंत्री जेसिन्डा आर्डर्न के नेतृत्व में इस हद तक बढ़ावा दिया जा रहा है कि अब वहाँ पर आईएसआईएस समर्थक तत्व तक पनपने लगे हैं। हाल ही में औकलैंड में एक सुपरमार्केट में एक व्यक्ति ने कई लोगों पर चाकू से आईएसआईएस की शैली में हमला किया, जिसमें छह लोग घायल हुए। इस व्यक्ति को न्यूज़ीलैंड के सुरक्षाकर्मियों द्वारा अंतत: गोलियों से भून दिया गया।
परंतु, इसके बाद न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री ने जो इंटरव्यू दिया, उससे स्पष्ट पता चलता है कि ‘कीवी लैंड क्यों ‘जिहादी लैंड’ में परिवर्तित हो सकता है। पीएम जेसिन्डा आर्डर्न के अनुसार, “एक हिंसक अतिवादी ने एक आतंकी हमले को अंजाम दिया। ये उस व्यक्ति ने किया, जो न्यूज़ीलैंड के लिए एक स्पष्ट खतरा था। वह निरंतर निगरानी में था। ये व्यक्ति कथित तौर पर आईएसआईएस का समर्थक था। इस पर हमारे एजेंसियों की कड़ी निगरानी थी, और मुझे बताया गया है कि हमले के 60 सेकेंडों में ही इसे धाराशायी कर दिया गया।”
Ardern: "It was undertaken by an individual who was a known threat to New Zealand. The individual was under constant monitoring."https://t.co/1UWXhpWSD2
— The Spinoff (@TheSpinoffTV) September 3, 2021
जी हाँ, आपने ठीक पढ़ा। न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री एक आईएसआईएस आतंकी के बारे में इस प्रकार से बयान दे रही थी, मानो वह कोई आतंकी नहीं, अपितु किसी इंटेलिजेंस ऑपरेशन में मारा गया देश का जासूस हो। इसके अलावा उन्हीं के बयान में इतना विरोधाभास भरा हुआ था जिसके कारण उनकी जमकर आलोचना की गई। पीएम आर्डर्न के अनुसार, जो आईएसआईएस आतंकी मारा गया, उस पर सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी निगरानी थी। यदि ऐसा था, वह छह लोगों पर चाकू से हमला करने में कैसे सफल रहा? क्या खुफिया एजेंसी उसके हमले करने की प्रतीक्षा कर रही थी?
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यह नहीं भूलना चाहिए कि ये वो ही न्यूज़ीलैंड है, जो एक अतिवादी के हमले के कारण लगभग अल्पसंख्यकों के हवाले किया जा चुका है। कुछ वर्षों पहले 2019 में क्राइस्टचर्च में एक सनकी अतिवादी ने एक मस्जिद पर धावा बोलते हुए कई मुस्लिमों को मार गिराया। यह एक कायराना हमला था, जिसे अंजाम देने वाले की मानसिक अवस्था भी ठीक नहीं थी। इसके बावजूद पीएम जेसिन्डा आर्डर्न ने न केवल सर पर ‘हिजाब’ लगा कर मुस्लिमों से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी, अपितु न्यूज़ीलैंड को ‘अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित बनाने हेतु’ हरसंभव प्रयास करने का आश्वासन भी दिया।
जिस काम के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारत की विश्व भर में नाक कटवाई, उसी अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के लिए जेसिन्डा आर्डर्न न्यूज़ीलैंड के लोगों की बलि चढ़ाने को तैयार है। एक तरफ न्यूज़ीलैंड का ही पड़ोसी ऑस्ट्रेलिया आतंकियों की विचारधारा से पहले ही सतर्क हो चुका है, परंतु न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री अपनी गलतियों से कोई सबक लेने को तैयार नहीं है। जिस प्रकार से वह श्रीलंकाई मूल के आईएसआईएस हमलावर को बचाने का प्रयास कर रही थी, उससे स्पष्ट होता है – देश गया तेल लेने, सेक्युलरिज्म सर्वोपरि होना चाहिए। जिन गलतियों के पीछे स्वीडन विश्व का ‘रेप कैपिटल’ बना है, जिस तुष्टीकरण नीति के पीछे फ्रांस और जर्मनी समेत आधे से अधिक यूरोप को कट्टरपंथी मुसलमानों के अत्याचार सहने पड़ रहे हैं, लगता है अब वो अनुभव जेसिन्डा जेसिन्डा आर्डर्न न्यूज़ीलैंड को देना चाहती है।