ममता ने हिन्दी दिवस पर हिंदी को बढ़ावा दिया, कहीं एक तीर से दो निशाने तो नहीं लगा रहीं ममता?

ममता के समर्थकों ने ही उन्हें घेरा

ममता बनर्जी हिन्दी दिवस ट्वीट

Lokmat News Hindi

ममता बनर्जी के सामने भवानीपुर के साथ राष्ट्रीय राजनीति में भी अपनी छाप छोड़ने की चुनौती है। यही कारण है कि अब ममता बनर्टी बंगाली कार्ड छोड़कर हिंदी को भी महत्व देते हुए दिखाई दे रही हैं। ममता बनर्जी के लिए भवानीपुर उपचुनाव काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि बहुमत प्राप्त सत्ता की हारी हुई नेता हैं। नंदीग्राम के राजनीतिक युद्ध में उन्हें सुवेन्दू अधिकारी ने हरा दिया था। अब उनके मुख्यमंत्री बने रहने के लिए आवश्यक है कि वह उपचुनाव में विजय प्राप्त करें और इसीलिए उन्होंने भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उनके सामने भारतीय जनता पार्टी ने प्रियंका टिबरवाल को उतारा है। प्रियंका टिबरवाल पेशे से वकील हैं और मूलतः मारवाड़ी है। इन्होंने ही बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा के खिलाफ कोर्ट में केस दाखिल किया था, जिसके बाद कोलकाता हाईकोर्ट ने CBI जांच के आदेश दिये थे। वहीं राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री करने की ममता बनर्जी की योजना के लिहाज से भी हिन्दी दिवस के अवसर पर उनके ट्वीट को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

कहा तो ये जा रहा है कि हिन्दी दिवस के अवसर पर हिंदी भाषा में ट्वीट करके ममता बनर्जी शायद अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की महत्वाकांक्षा पर दे रहीं हैं। गौरतलब है कि विपक्षी दलों में प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के लिए कुछ ही नाम सामने आते हैं जिसमें ममता बनर्जी एक है। इस राजनीतिक घटनाक्रम में खुद की स्थिति मजबूत करने की कोशिश में शायद वह हिंदी दिवस मनाना चाहती थीं, लेकिन राज्य की जनता ने खेला होबे कर दिया है।

ममता बनर्जी का  ने ट्वीट किया था, “हिन्दी दिवस के अवसर पर सभी देशवासियों एवं हिन्दी भाषा के विकास में अपना योगदान दे रहे सभी भाषाविदों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।”

इस ट्वीट के सामने आते ही बंगला स्वाभिमान के आधार पर जी रहे भद्रलोक नाराज हो गए। ममता बनर्जी का हिंदी भाषा में ट्वीट करना, उन्हीं पर भारी पड़ गया।

 

एक ट्विटर यूजर विश्वरूप बनर्जी ने ममता बनर्जी से हिंदी की जगह उर्दू की मांग की। उन्होंने लिखा- ‘हिंदी नहीं चलेगी, मुझे बंगाली में उर्दू चाहिए क्योंकि उसके बाद वही असली भाषा होगी’।

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एक अन्य यूजर ने ममता बनर्जी पर हिन्दी दिवस के अवसर पर हिंदी भाषा में ट्वीट को हिंदी वोट बैंक को खुश करने का आरोप लगाया है। निल मुखर्जी नाम से एकाउंट द्वारा ममता के ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा गया- “मुझे जमीनी स्तर पर राजनीतिक दोहरापन दिखाई दे रहा है। एक तरफ बंगाल की संस्कृति को संभालने की राजनीति और दूसरी तरफ हिंदी भाषियों को खुश करने की कोशिश हो रही है। यह वास्तव में तुष्टिकरण को दूसरे स्तर पर ले गया है।”

 

एक अन्य यूजर दीपमाल्या ने लिखा- ”आप बंगाल की मुख्यमंत्री हैं। आप हिंदी दिवस की बात कर रही हैं! बांग्ला दिवस के बारे में किसी ने कभी नहीं सुना है क्या!

 

ममता बनर्जी का हिन्दी दिवस के अवसर पर हिंदी में यह ट्वीट राजनीति से प्रेरित है क्योंकि वह करो या मरो वाले उपचुनाव में भवानीपुर से चुनाव लड़ रही हैं। गौर करें तो भवानीपुर सीट पर चुनाव लड़ने के लिए ममता बनर्जी ने भले ही हामी भर दी है लेकिन शायद राजनीतिक लाभ प्राप्त के लिए हिंदी मतदाताओं को खुश करने के चक्कर में कल ट्विटर पर हिंदी दिवस की बधाई दी है।

तृणमूल कांग्रेस ने 2020 के चुनाव में बेहद आक्रामक अभियान चलाया था। उन्होंने चुनावों को बंगाली बनाम बाहरी लोगों के बीच में बांट दिया था, जहां भाजपा नेताओं को बाहरी माना जाता था। अल्पसंख्यक तुष्टीकरण करने वाली टीएमसी दल ने चुनाव के बाद में तालिबान स्तर की हिंसा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। बीजेपी, आरएसएस कैडर से जुड़े लोगों को मार दिया गया था और उनके शवों को खुले में लटका दिया गया ताकि लोग लोकतांत्रिक समाज में आवाज उठाने का नतीजा देख सकें।

ममता के शासन ने हर किसी को पूरी ताकत प्राप्त है जो बंगाल का इस्लामीकरण करना चाहता है और बंगाल में हिंदुओं और हिंदी को अप्रासंगिक बनाना चाहता है। कल ही कलाकार सनातन डिंडा ने हिजाब में माँ दुर्गा की पेंटिंग बनाकर हिंदू देवी का इस्लामीकरण करने की कोशिश की थी।

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