जिस प्रकार से चीन के इशारे पर नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने भारत के साथ अपने संबंध बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी, उसे सभी परिचित हैं। परंतु जब से शेर बहादुर देउबा नेपाल के प्रधानमंत्री है, स्थिति में एक सकारात्मक बदलाव आ रहा है। हाल ही में कम्युनिस्ट छात्र संघों के भारत विरोधी प्रदर्शनों को देखते हुए नेपाल सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय के अंतर्गत भारत विरोधी प्रदर्शनों, विशेषकर पीएम मोदी विरोधी प्रदर्शन को आपराधिक सिद्ध किया है।
जी हाँ, आपने ठीक सुना। अब नेपाल में पीएम मोदी के विरोधी प्रदर्शन करने पर आपको जेल की हवा खानी पड़ेगी। नेपाल के गृह मंत्रालय के दिशानिर्देश के अनुसार, जो भी भारत का विरोध करेगा या फिर पीएम मोदी के पुतले जलाएगा, वह सीधा जेल जाएगा। नेपाल के गृह मंत्रालय के बयान के अनुसार भारत और नेपाल के बीच यदि कोई भी विवाद उत्पन्न होता है, तो उसका हल कूटनीति और बातचीत के अलावा कुछ नहीं है।
यह ऐतिहासिक निर्णय हाल ही में कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा भारत सरकार का विरोध करने और पीएम मोदी का पुतला जलाए जाने के पश्चात लिया गया है। नेपाल गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया, “नेपाल अपनी भूमि पर किसी भी हालत में अपने मित्र राष्ट्र के विरोध में प्रयोग नहीं होने देने के लिए प्रतिबद्ध है। पड़ोसी देश के स्वाभिमान और सम्मान को आंच पहुंचे इस तरह की किसी भी हरकत को माफ नहीं किया जा सकता है।”
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यहाँ पर नेपाली प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के भारत समर्थक रुख की छाप स्पष्ट दिखती है, जो किसी भी स्थिति में अपने देश को भारत के विरोध के लिए लॉन्चपैड में परिवर्तित होते नहीं देखना चाहते।
हाल ही में नेपाल बॉर्डर पर चीनी अतिक्रमण को नियंत्रित करने की दिशा में नए प्रधानमंत्री ने एक अहम कदम उठाते हुए एक कमेटी का गठन किया गया है, जो नेपाल बॉर्डर पर चीनी अतिक्रमण की जांच भी करेगी और इस समस्या से निपटने के लिए नेपाली प्रशासन को सुझाव भी देगी। सरकार के इस निर्णय के बाद नेपाल में सत्तारूढ़ माओवादी और एकीकृत समाजवादी पार्टी के छात्र संगठनों ने पुरानी बातें निकाल कर भारत विरोधी प्रदर्शन शुरू करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पुतला जलाया था जिसके बाद नेपाल सरकार ने यह कदम उठाया। कम्युनिस्टों तथा छात्र संगठनों द्वारा इस तरह से पाड़ोसी देश के खिलाफ प्रदर्शन करना और प्रधानमंत्री का पुतला जालना जनता में एक नकारात्मक भावना को बढ़ावा देता है। इससे दोनों देशों के रिश्ते भी बिगड़ सकते हैं और शेर बहादुर देउबा इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं।
नए प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों की भांति न तो भारत विरोधी हैं, और न ही चीन की जी हुज़ूरी करने में विश्वास रखते हैं। वे न केवल एक प्रखर राष्ट्रवादी नेता हैं, अपितु एक हिंदूवादी नेता भी हैं। जब तत्कालीन कम्युनिस्ट सरकार नेपाल के संविधान में सेक्युलरिज्म शब्द जोड़ने पर आमादा थी, तो शेर बहादुर देउबा ने आक्रोश जताया था। उनके अनुसार नेपाल एक हिन्दू राष्ट्र है और उसे हिन्दू राष्ट्र ही बनाए रखना चाहिए। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार शेर बहादुर देउबा ने साल 2015 में नई दिल्ली में कहा था कि वो नेपाल के संविधान से secularism शब्द को निकलवाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं।
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पहले चीनी अतिक्रमण पर बॉर्डर कमेटी का गठन करना, और फिर भारत विरोधी प्रदर्शनों को आपराधिक घोषित करके शेर बहादुर देउबा ने स्पष्ट कर दिया है कि उनके नेपाल के साथ साथ भारत के हित भी बहुत महत्वपूर्ण है। एक अच्छे पड़ोसी होने के नाते उनका सर्वप्रथम कर्तव्य यही है कि वह अपने भूमि पे किसी भी ऐसे तत्व को न पनपने दे, जो आगे चलकर अपने पड़ोसियों और स्वयं के लिए हानिकारक हो, और वर्तमान निर्णय के मध्यम से पीएम देउबा ने इसी दिशा में सार्थक प्रयास किया है।