पड़ोसी देश पाकिस्तान एक तरफ जहां अपनी आतंक समर्थक छवि का विस्तार तालिबान के माध्यम से अफगानिस्तान में करना शुरु कर चुका है, तो दूसरी ओर उसे आर्थिक स्तर पर दिन प्रतिदिन नई मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। इस बार तालिबान के साथ आतंक की नई धारा बहाने की योजना बना रहे पाकिस्तान को तगड़ा झटका यूरोपीय यूनियन देने वाला है।
दरअसल, रिपोर्ट्स के अनुसार यूरोपीय यूनियन अब पाकिस्तान के साथ अपने 2014 से शुरु हुई ट्रेड के स्पेशल GSP+ यानी Generalised Scheme of Preferences (GSP) दर्जे का पुनर्मूल्यांकन करने वाला है। इस संघ का कहना है कि पाकिस्तान में मानवाधिकारों के होते उल्लंघन के चलते इस व्यापारिक मूल्यांकन की विशेष आवश्यकता है। EU पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। ऐसे में यदि यूरोपीय यूनियन के साथ भी पाकिस्तान के आर्थिक रिश्ते प्रभावित हुए तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की कमर टूट जाएगी।
यूरोपियन यूनियन के पाकिस्तान से आर्थिक रिश्तों की बात करें तो पाकिस्तान का कुल व्यापार इनके साथ करीब 14 प्रतिशत का है। वहीं पाकिस्तान का करीब 28 प्रतिशत सामान यूरोपीय देशों में जाता है। ऐसे में ये कहना सही होगा कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए यूरोपीय यूनियन रीढ़ की हड्डी के समान ही है। यानी अब पाकिस्तान की हरकतों के कारण अब उसे नुकसान हो सकता है। खबरों के मुताबिक यूरोरपीय यूनियन पाकिस्तान के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों का पुनर्मूल्यांकन कर सकता है। यूरोपियन यूनियन को एक उदार छवि वाला माना जाता है, जिसके चलते ही उसने विकासशील देशों के आयात पर किसी भी तरह का इंपोर्ट टैक्स नहीं लगाया है। इस छुट के तहत ही GSP+ देशों का दर्जा दिया गया है, लेकिन अब पाकिस्तान को मिला यह दर्जा खतरे में पड़ चुका है।
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यूरोपीय यूनियन के नियमों का पाकिस्तान ने खूब फायदा उठाया है। यही कारण है कि पाकिस्तान से ईयू में सामान का निर्यात 4.538 बिलियन डॉलर्स से बढ़कर 7.492 डॉलर का हो गया है। मुख्य तौर पर पाकिस्तान से कपड़ों का निर्यात यूरोपीय देशों में सर्वाधिक होता है। इसके विपरीत यूरोपियन यूनियन लगातार पाकिस्तान में मानवाधिकार के उल्लंघनों का मूल्यांकन भी कर रहा है, जिसमें पाकिस्तान EU की शर्तों पर खरा उतरता नहीं दिख रहा है। अपने मूल्यांकनों में यूरोपियन यूनियन ने पाया कि कैसे पाकिस्तान में लगातार लोगों को ईशनिंदा का दोषी ठहराए जाने के साथ ही महिलाओं एवं बच्चों के साथ क्रूरता की जा रही है। वहीं खबरें ये भी हैं कि ईशनिंदा के कानून से बरी होने के बावजूद भी लोगों की मृत्यु हुई है। हाल में जिस तरह से एक 8 साल के बच्चे तक को ईशनिंदा का दोषी बताया गया था, वो पाकिस्तान की क्रूरता का प्रतीक है।
इतना ही नहीं, अफगानिस्तान में काबुल पर कब्जा करने के साथ ही अशरफ गनी की अफगानी सरकार गिराकर तालिबान का भी समर्थन किया है जो अफगानिस्तान पर अपना हिंसा एवं आतंकवाद का तांडव मचा रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के चीफ से लेकर विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पर अफगानिस्तान की मदद करने के आरोप लगाए जाते हैं। वहीं इस मामले में अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सलेह भी इस्लामिक कट्टरता फैला रहे तालिबान के साथ पाकिस्तान की साठ-गांठ खुलासा कर चुके हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ईयू की इस कार्रवाई का संबंध पाकिस्तान के तालिबानियों से संपर्कों से भी है।
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पाकिस्तान की वर्तमान आर्थिक स्थिति की बात करें तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चीन के रहमो-करम पर ही चल रही है। आतंक के पोषण के कारण IMF की ब्लैक लिस्ट में जाने की तलवार लटक रही है। इन सबके बीच यदि मानवाधिकार के मुद्दे पर यूरोपीय यूनियन भी पाकिस्तान के विरुद्ध कार्रवाई करता है कि तो ये पाकिस्तान के लिए अब तक का सबसे बड़ा झटका होगा।