71 साल के हुए PM मोदी : एकमात्र वैश्विक नेता जो आने वाले कल को लेकर कभी दुविधा में नहीं रहे

मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ

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देश की राजनीति से लेकर वैश्विक स्तर पर अपनी लोकप्रियता के झंडे गाड़ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज 71वां जन्मदिवस है। उन्होंने गुजरात में भाजपा में संगठन के स्तर से लेकर राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए राष्ट्रीय राजनीति एवं राष्ट्र निर्माण के लिए जो रोडमैप तैयार किया था, वो उसी के अनुसार 2014 से पीएम बनने के बाद अपने निर्णयों से देश के विकास की यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। अपने पहले कार्यकाल में पीएम मोदी ने ऐसे बड़े कदम उठाए थे, जो जनता को सीधे लाभ पहुंचा रहे थे। वहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद जब ये दिखने लगा कि जनता के बीच लोकप्रियता के मुद्दे पर उनके आगे वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कोई नहीं है, तो उन्होंने कड़े एवं ऐतिहासिक फैसले बेहद ही साधारण तरीके से लेने शुरु कर दिए, जो कि राष्ट्रीय सुधार के लिहाज से भी आवश्यक थे। पीएम मोदी के इसी रवैए के चलते ये कहा जा सकता है कि वो कब क्या बड़ा निर्णय कर दें, ये अनुमान लगाना असंभव है।

अभूतपूर्व है ये लोकप्रियता

भाजपा जो 2009 के लोकसभा चुनावों के बाद हाशिए पर चली गई थी, उसे पांच वर्षों में फर्श से अर्श तक लाने में अगर किसी की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका थी, तो वो नरेन्द्र मोदी ही थे। 2009 में जो भाजपा 216 सीटों पर सिमट गई थी, पीएम मोदी की लोकप्रियता के दम पर ही वो 282 सीटों तक पहुंच गई। वहीं पीएम मोदी ने 2014 से 2019 के कार्यकाल के बीच जो निर्णय लिए, उसका असर ये था कि भाजपा 2019 में 303 सीटों तक पहुंच गई। पीएम मोदी की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि ट्विटर से लेकर प्रत्येक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आज उनके जन्मदिन पर वो ट्रेंड कर रहे हैं। वहीं, उनकी कार्यशैली को देखें तो 2014 से लेकर 2019 के बीच जो मोदी थे, वो अब 2019 लोकसभा चुनाव के बाद बदले-बदले नजर आते हैं, और ये ही उनके आक्रामक रवैए को दर्शाता है।

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हासिल की अपार लोकप्रियता

गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए ही नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी, 2002 के गुजरात दंगो के बाद उनकी छवि एक सांप्रदायिक नेता की बनाने की पूरी कोशिश की गई। ऐसे में राष्ट्रीय राजनीति में जाने के लिए पहले उन्होंने गुजरात का विकास कर देश के सामने एक रोडमैप रखा और उसके आधार पर ही 2014 के लोकसभा चुनाव में अभूतपूर्व लोकप्रियता के दम पर भाजपा को एक नए शिखर पर पहुंचाया। अपने पहले कार्यकाल में पीएम मोदी ने जनता के बीच अपनी विश्वसनीयता को मजबूत करने के फैसले लिए और ये सफल भी हुए।

देश के प्रत्येक नागरिक का जनधन योजना के तहत बैंक में खाता खुलवाने से लेकर स्वच्छ भारत मिशन के तहत प्रत्येक गांव में शौचालय का निर्माण पीएम मोदी का सकारात्मक कदम था। वहीं, शत प्रतिशत गांवों में बिजली पहुंचाने की उनकी जिद ने आम जनता के बीच उन्हें लोकप्रिय बना दिया। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत जहां पीएम ने किसानों की दिक्कतों को हल करने के प्रयास किए, तो वहीं उज्जवला रसोई योजना के तहत चूल्हों में अपना जीवन खपाती ग्रामीण ग्रहणियों के दुखों को खत्म करने के प्रयास किए। पीएम के इन फैसलों ने उन्हें जननेता बना दिया था ।

दृढ़ संकल्पित नेता

एक तरफ जहां पीएम मोदी की छवि समाज कल्याण के निर्णयों के कारण एक जननेता की बनीं, तो उन्होंने अपने पहले ही कार्यकाल में कुछ ऐसे निर्णय लिए जिन्होंने उनकी दृढ़ संकल्पवादी एवं राजनीतिक इच्छाशक्ति का उदाहरण पेश किया। साल 2016 में पहले उरी हमले के जवानों की शहादत का बदला लेते हुए पीएम ने भारतीय सेना को पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राईक करने की छूट दी, तो दूसरी ओर  उन्होंने नवंबर 2016 में ही भ्रष्टाचार पर अचूक प्रहार करते हुए 500 एवं 1000 के नोटों को रद्द कर दिया। ये दोनों फैसले पीएम की छवि को एक नया ही आयाम देने वाले थे।

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इसके बाद 2018 में जीएसटी को लागू करने का उनका फैसला भी ऐतिहासिक ही था। वहीं, फरवरी 2019 में पुलवामा का बदला लेते हुए भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में जो धमाकेदार एयर स्ट्राईक की थी, उसके पीछे भी पीएम मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति ही थी। पीएम मोदी ने इन पांच सालों में एक अभूतपूर्व लोकप्रियता हासिल कर ली थी। इसका नतीजा ये कि भाजपा पीएम मोदी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव में 282 से बढ़कर पहली बार ऐतिहासिक सीटें हासिल करते हुए 303 तक पहुंच गई, और भाजपा नीत एनडीए 353 तक।

बदल गई कार्यशैली

लोकसभा चुनाव 2019 में अभूतपूर्व विजय के बाद पीएम मोदी ये समझ गए थे, कि अब राजनीतिक स्तर पर उन्हें परास्त करना विपक्ष के किसी नेता के बस की बात नहीं है। ऐसे में उनके द्वारा लिए गए निर्णय राष्ट्रीय सुधारों से लेकर भाजपा के कोर एजेंडों को हल करने की ओर संकेत देने लगे। ये वो सारे निर्णय थे, जिसका रोडमैप उन्होंने गुजरात के सीएम रहते तैयार किया था। इसकी शुरुआत देश में तीन तलाक के खात्मे से हुई। मोदी 2.0 के एक महीने पूरे होने के बाद ही तीन तलाक के खिलाफ कानून बन गया। इसका टारगेट समाज सुधार तो था ही, साथ ही भाजपा के कोर एजेंडों को पूरा करने का भी था। 5 अगस्त 2019 कौन भूल सकता है, जब राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 एवं 35Aको खत्म कर दिया गया। इस ऐतिहासिक फैसले में दिखी पीएम मोदी की भाजपाई विचारधारा के लिए प्रतिबद्धता एवं राष्ट्र की अखंडता के लिए उनकी सोच।

दो ऐतिहासिक फैसलों के बाद ही पीएम मोदी के नेतृत्व में सीएए कानून भी लागू हो गया, अर्थात पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिमों को त्वरित नागरिकता मिलने का कानून पास कर दिया गया। इन दो बड़े फैसलों के बाद आई वैश्विक महामारी से लड़ने में तो पीएम मोदी आगे रहे ही, साथ ही उन्होंने भाजपा के सबसे बड़े मुद्दे अर्थात् राम मंदिर निर्माण को लेकर भी अपनी कटिबद्धता दिखाई। यद्यपि राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा 9 नवंबर 2019 को आया, किन्तु सरकार के स्तर पर मोदी सरकार कोर्ट की कार्रवाई को ताबड़तोड़ कराने का प्रयास कर रही थी। नतीजा ये कि 5 अगस्त 2020 को पीएम मोदी ने स्वयं अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण की आधार शिला रखी।

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एक तरफ जहां देश कोविड की त्रासदी का डटकर सामना कर रहा है, तो दूसरी ओर वैक्सीनेशन के कार्यों को युद्धस्तर पर गति देने के लिए पीएम ने सभी प्रयास किए हैं। गौ-संरक्षण से संबंधित मुद्दे जिन पर राजनेता कुछ भी बोलने से बचते थे, उस पर पीएम ने अपनी बातों को मुखरता से रखा। वर्तमान में तेजी से हो रहे आर्थिक सुधार पीएम मोदी के राष्ट्र निर्माण की यात्रा को दर्शाते हैं। पीएम को पता है कि राजनीति में उनका पीछा करने वाला कोई नहीं है, तो ऐसे में वो ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ का नाम ‘मेजर ध्यान चंद खेल रत्न’ करने का बड़ा निर्णय भी साधारण ट्वीट के जरिए करने लगे हैं। टेलीकॉम सेक्टर्स में प्रतिस्पर्धा लाने से लेकर अंग्रेजों के जमाने के रेट्रोस्पेक्टिव करों के दकियानूसी कानून का खात्मा भी संसद में बड़ी आसानी से पास हो गया। जलियांवाला बाग के कमेटी के अध्यक्ष जिस पर हर बार किसी कांग्रेसी का कब्जा होता था, उस प्रथा को भी पीएम ने खत्म कर दिया है।

पहले कार्यकाल में हजारों विरोध के बावजूद जहां पीएम मोदी बड़ी आसानी से देश में कराधान का सबसे बड़ा सुधार अर्थात् जीएसटी लागू करने में सफल रहे थे, ठीक उसी तरह अब संभावनाएं है कि दूसरे कार्यकाल में वो पेट्रोल डीजल की कीमतों से परेशान जनता को राहत देते हुए पेट्रोलियम पदार्थों को भी जीएसटी में लाने का ऐतिहासिक फैसला ले सकते हैं। मोपला दंगों के अपराधी जिनका महिमामंडन कांग्रेस शासित सरकारों ने बड़े स्तर पर किया, और उन्हें स्वतंत्रता सेनानी तक का दर्जा दे दिया, उन्हें उनकी असल हैसियत पीएम मोदी ने ही दिखाई और उनको स्वतंत्रता सेनानी मानने से मोदी सरकार ने स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया है। वामपंथ का एजेंडा चला रहे लोकसभा एवं राज्यसभा टीवी की जगह संसद टीवी की लॉन्चिग इसका पर्याय है कि पीएम देश के अंदर घुले वामपंथ के जहर को खत्म करने का प्रत्येक संभव प्रयास कर रहे हैं। वहीं, पिछले साल पारित हुए तीन कृषि कानूनों पर सैकड़ों विवाद होने के बावजूद जिस तरह से मोदी सरकार अपनी अटल नीति दर्शाई हैं, वो पीएम मोदी की सख्त छवि का प्रतीक है। साथ ही ये भी साबित होता है कि पीएम मोदी भारत के लौह पुरुष सरदार पटेल के कितने बड़े  प्रशंसक हैं।

वैश्विक नेता की खूबियां

राष्ट्रीय राजनीति से हटकर देखें तो, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पीएम ने भारत की कूटनीतिक जीत में भी बड़ी भूमिका निभाई है। पीएम के अभियानों का ही असर है कि पाकिस्तान का सगा अमेरिका भी अब भारत से अपने संबंध बेहतर करने के चक्कर में पाकिस्तान को लताड़ता रहता है। कोरोनावायरस का जन्मदाता चीन को मानने वाले पीएम मोदी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर अपनी दृढ़ता का संकेत दिया है। इतना ही नहीं, भारत तिब्बत सीमा के मुद्दे पर जहां पुरानी भारत सरकारों का रवैया ढुलमुल था, वहीं चीनी पीएलए की मनमानी पर रोक लगाते हुए पीएम मोदी के नेतृत्व में ही भारतीय सेना ने चीन की नाक में दम कर रखा है। एक तरफ जहां आत्मनिर्भर भारत अभियान छेड़कर पीएम ने चीन की आर्थिक मोर्चे पर कमर तोड़ी है, तो दूसरी ओर चीनी मोबाइल एप्लिकेशंस को बैन कर भारत की डिजिटल सुरक्षा को भी मजबूत किया है।

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डिजिटल सुरक्षा के मुद्दे पर अमेरिकी बिग टेक कंपनियों से भारत सरकार का टकराव एवं उसके बाद फेसबुक, ट्विटर, इनस्टाग्राम, वाट्सएप समेत गूगल जैसी कंपनियों ने जिस तरह से मोदी सरकार के सामने घुटने टेके; उससे न केवल पीएम मोदी अपितु वैश्विक स्तर पर भारत का कद भी अधिक मजबूत हुआ है।

इस पूरे परिदृश्य को देखने के बाद ये कहा जा सकता है कि पीएम मोदी ने पिछले सात सालों में देश की छवि को वैश्विक स्तर पर मजबूत किया है, तो दूसरी ओर राजनीतिक रूप से भाजपा को अजेय अवस्था में पहुंचा दिया है। देश एवं पार्टी की इस छवि को नया आयाम देने में पीएम मोदी की अपनी लोकप्रियता सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि पहले कार्यकाल में उन्होंने अपनी जो सकारात्मक छवि बनाई उसके आधार पर ही अब वो दूसरे कार्यकाल में ऐतिहासिक फैसले आक्रमकता के साथ ले रहे हैं।

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