पत्नी की संपत्ति में पति का कोई हक नहीं- सुप्रीम कोर्ट
26 April 2024
जो दर्द भारत ने झेला अब अमेरिका झेला रहा है।
26 April 2024
जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है, परंतु जब नाश सुनिश्चित ही हो तो उसको रोक पाना विकट हो जाता है। घोर वामपंथी विचारधारा सदैव ही मति भ्रष्ट कर देती है। ऐसा ही कुछ हिन्दू होते हुए हिन्दू धर्म को घृणा का पात्र बनाने वाली भारतीय ...
जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है। अब जब स्वयं का बंटाधार करने का ठेका कोई खुद ही ले लेता है तो उसकी अकल कहाँ चल पाती है, यही हाल आजकल राहुल गांधी का है जो खुद तो गर्त में जा ही रहे हैं, साथ में ...
जलियांवाला बाग स्मारक ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को सदस्य के तौर पर हटाने वाला बिल शुक्रवार को लोकसभा में पास हो गया। इस दौरान कांग्रेस ने इस बिल का जमकर विरोध किया और विरोधस्वरूप सदन से वॉक आउट भी किया। बाद में इस संशोधन बिल को ध्वनिमत से पारित कर ...
Jallianwala bagh kahan hai : जालियांवाला बाग़ कहाँ है हत्याकांड एवं स्मारक स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Jallianwala bagh kahan hai साथ ही इससे जुड़े हत्याकांड एवं स्मारक के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर ...
शिवसेना ने कुर्सी की लालच में जिस तरह से कांग्रेस और एनसीपी का दामन थामा है उससे अब साफ सिद्ध हो गया है कि बाला साहेब ठाकरे की विरासत पर दावा करने का अधिकार उनके पास नहीं बचा है। अपने राजनीतिक जीवन के 5 दशकों में बालासाहेब ठाकरे ने हमेशा ...
"कैनेडियन कुमार" से लेकर "फ्लॉप स्टार" का टैग झेलने तक, अक्षय कुमार ने विगत कुछ समय से उतार चढाव भरे करियर का अनुभव किया है। 2010 के बाद से उनके करियर के सबसे चुनौतीपूर्ण चरणों में से एक का सामना करते हुए, अक्षय कुमार को लगातार छह बॉक्स ऑफिस फ्लॉप ...
कभी सोचा है कि फर्जी एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ अनेक साक्ष्यों के बाद भी जेल जाते जाते रह जाती है? आइए तीस्ता सीतलवाड़ के परिवार के इतिहास का विश्लेषण करें, और जानिये क्यों इनका भारतीय ईकोसिस्टम पर अलग ही प्रभाव है। इतिहास और वंशवाद का अजीबोगरीब संगम Ambashankar Setalvad (1782–1853): सीतलवाड ...
कुछ समय पूर्व, सीबीआई द्वारा सम्मन भेजे जाने पर आम आदमी पार्टी का हर एक नेता क्रोध से तमतमा रहा था। कुछ अति उत्साही समर्थक तो इतना भावुक हो गए कि केजरीवाल की तुलना बैरिस्टर मोहनदास करमचंद गांधी से करने लगे। परंतु अनजाने में ही सही, उन्होंने बड़ा नेक कार्य ...
वर्ष था 1920। असहयोग आंदोलन जोर पकड़ रहा था। अंग्रेज़ भारतीयों के इस बढ़ते रोष से आश्चर्यचकित थे। ऐसे में उन्होंने अपनी “क्रोधित प्रजा” को शांत कराने के लिए कुछ सुधारों की घोषणा की, परंतु जनता के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगी। इसके अतिरिक्त ब्रिटिश प्रशासन के कुख्यात सेल्युलर ...
“सिर्फ गांधी ही एक रास्ता नहीं है। अवाम अपने आप में इतनी ताकतवर है कि यदि उसे सही दिशा दी जाए, तो वह बड़ी से बड़ी सत्ता को उखाड़कर फेंक सकता है” इसी विचार को मन में लिए कुछ मतवाले युवाओं ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए एक अनोखा ...
पांचों उँगलियाँ कभी एक समान नहीं हो सकती। ठीक इसी भांति सभी एक विषय पर एकमत हों, ऐसा शायद ही कभी हो सकता है। परंतु किसी वस्तु या विषय से असहमति एक बात है, और अपनी कुंठा में उस वस्तु को निरंतर अपमानित करना दूसरी। RRR से कुछ लोगों को ...
1974। दिल्ली एयरपोर्ट पर कई सरकारी उच्चाधिकारी और इंदिरा गांधी के नेतृत्व में केन्द्रीय प्रशासन कुछ लोगों की प्रतीक्षा कर रहे थे। आखिरकार हवाई जहाज़ एयरपोर्ट पर उतरा, और उक्त हस्तियों में से एक निकले। परंतु ये कोई जीवित व्यक्ति नहीं थे, ये मृत शरीर के अवशेष थे, जिनमें से ...