किसान आंदोलन के नाम पर मोदी सरकार के विरुद्ध विपक्ष ने देशव्यापी आक्रोश को जन्म देने की तैयारी की थी, लेकिन अब ये आंदोलन एक भस्मासुर का रूप ले चुका है, जिसके चलते कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है। टीएफआई ने पहले ही बताया था कि ये कथित किसान आंदोलन पंजाब की कांग्रेस सरकार द्वारा प्रायोजित हैं, किन्तु तब लोगों ने भी इस मुद्दे को ज्यादा अहमियत नहीं दी। वहीं अब मोदी सरकार के लिए खोदा गया कथित किसान आंदोलन का ये गड्ढा कांग्रेस के लिए ही मुसीबत बन रहा है। सुरक्षा के मुद्दे पर कांग्रेस आलाकमान से अलग राय रखने वाले सीएम अमरिंदर सिंह स्वयं बोलते थे कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक खतरा है, किन्तु अब उन्होंने कहा है कि किसान आंदोलन की वजह से पंजाब को नुकसान हो रहा है, इसलिए किसान हरियाणा और दिल्ली जाएं। उनका ये बयान किसानों से उनकी नाराजगी दिखाता है। वहीं, अब कैप्टन के विधायक (राजकुमार वेरका) भी ये स्वीकारने लगे हैं कि किसान आंदोलन मोदी सरकार के विरुद्ध कांग्रेस द्वारा प्रायोजित एक एजेंडा है।
हमने प्रयोजित किया आंदोलन
कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए सबसे बड़ी परेशानी ये है कि उनके अपने विधायक तक किसानों का समर्थन करने की और आंदोलन को प्रायोजित करने की बात स्वीकारने लगे हैं। कांग्रेस विधायक राजकुमार वेरका ने कहा, “हरियाणा के किसानों द्वारा दिल्ली के बॉर्डर पर किया जा रहा आंदोलन सभी विपक्षी पार्टियों द्वारा प्रायोजित करवाया जा रहा आंदोलन है, यह बीजेपी के खिलाफ किया जा रहा आंदोलन है। इसमें क्या शक है कि कांग्रेस किसानों के साथ है, ये हमारी साजिश है, इसमें क्या परेशानी है। मैं खुलकर कहता हूं हम किसानों के साथ हैं।”
#Breaking 1st on TIMES NOW | #Congress MLA Raj Kumar Verka admits ‘Cong sponsored farmers protest’. Verka says ‘this is a fight against #BJP’. pic.twitter.com/2ZxcuH7u4f
— TIMES NOW (@TimesNow) September 14, 2021
कांग्रेस विधायक राजकुमार वेरका की इस स्वीकृती के बाद कांग्रेस का ढोल फट गया है, क्योंकि अभी तक इस आंदोलन के संबंध से कांग्रेस हमेशा ही ये कहती रही है कि वो केवल आंदोलन में किसानों के साथ है, शेष उसका कोई लेना देना नहीं है। इसके विपरीत अब कांग्रेस विधायक द्वारा स्वीकारना ये दिखाता है कि कांग्रेस ने विपक्षी दलों के साथ मिलकर एक षडयंत्र रचा था, जिसका मुख्य उद्देश्य देश को अस्थिर कर मोदी सरकार की छवि धूमिल करने का था, किन्तु अब कांग्रेस का ये ढोल फट गया है। इससे राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक लाभ लेने के प्रयास करने वाली कांग्रेस पार्टी को एक बड़ा झटका लग सकता है। वहीं, पंजाब के विधानसभा चुनावों में भी पंजाब को अस्थिर कर राज्य की छवि को हिंसक दिखाकर बदनाम करने का नुकसान भी कांग्रेस को ही होगा।
अराजकता की हदें पार
मोदी सरकार ने जब तीन कृषि कानून से संबंधित बिल लोकसभा एवं राज्यसभा के पटल पर रखे थे, उसके साथ ही ये तय हो गया था कि विपक्ष इस मुद्दे को बेवजह तूल देने वाला है। इन कृषि कानूनों के विरुद्ध पंजाब से कथित किसान आंदोलन शुरु हुआ, जिसको लेकर पहले ही ये कहा गया था कि ये प्रायोजित आंदोलन है। दिल्ली की सीमाओं को बाधित करने से लेकर रेल मार्ग में व्यवधान उत्पन्न किए गए। टिकरी, सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे कथित किसानों ने अराजकता की हदें पार कर दी, फिर भी इन्हें किसान और अन्नदाता की संज्ञाएं दी जा रही थीं।
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कैप्टन की चिंता
कांग्रेस अपनी राष्ट्रीय राजनीति के हित के लिए किसी भी कीमत पर पंजाब से इस किसान आंदोलन को प्रायोजित कर रही थी। राज्य के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले तैयार नहीं थे, लेकिन कांग्रेस आलाकमान के चक्कर में उन्होंने भी किसानों को प्रोत्साहित करना शुरु कर दिया। नतीजा ये कि कांग्रेस और विपक्ष द्वारा पोषित ये किसान आंदोलन पंजाब की आर्थिक स्थिति के लिए मुसीबत बन गया था। वहीं, 26 जनवरी की हिंसा से लेकर टिकरी, गाजीपुर एवं सिंघु बॉर्डर पर महिलाओं के साथ अभद्रता के चलते कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले ही इस आंदोलन को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बता चुके हैं। इसके विपरीत अब पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हालत को लेकर भी कैप्टन अमरिंदर सिंह हताश हैं।
ऐसे में उन्होंने इस कथित किसान आंदोलन को ही कोसना शुरु कर दिया है। उन्होंने इन अराजकतावादी कथित किसानों के संबंध में कहा कि इन्हें अपने आंदोलन को पंजाब से दूर रखते हुए मोदी सरकार के विरुद्ध दिल्ली और हरियाणा की ओर जाना चाहिए क्योंकि उनके इस आंदोलन की वजह से पंजाब को आर्थिक नुकसान हो रहा है। साफ था कि कैप्टन अमरिंदर सिंह अब किसान आंदोलन से परेशान हो चुके हैं। इसके विपरीत उनके लिए नई मुसीबत कांग्रेस विधायक राजकुमार वेरका ने खड़ी कर दी है।
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कैप्टन के आक्रोश के बाद कांग्रेस विधायक राजकुमार वेरका का किसान आंदोलन पर स्वीकृति पार्टी के लिए मुसीबतों की झड़ी लगा सकता है, तो दूसरी ओर राजनीति से प्रेरित किसान आंदोलन के कथित किसानों की अराजकता पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जा सकती है।