जम्मू कश्मीर प्रशासन ने आतंकवाद विरोधी गतिविधियों को ध्यान में रखकर एक बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश में सरकारी पदों पर बहुत से लोग ऐसे थे जो जनता के लिए काम ना करके आतंकी संगठनों से जुड़े हुए थे। ऐसे लोग डेटा, सूचना से लेकर सॉफ्ट सिम्पेथाइजर की तरह सक्रिय थे। वो सरकारी ताकतों का इस्तेमाल अपने राष्ट्रहित के खिलाफ जाने के लिए करते थे। अप्रैल 2021 से लेकर अब तक कुल 20 ऐसे लोगों को चिन्हित किया गया और उन्हें निष्कासित भी कर दिया गया है। इसी उद्देश्य से कार्रवाई करते हुए 6 और अन्य अफसरों को हटा दिया गया है, जो सरकारी पदों पर बैठकर अपने आतंकी आकाओं की सेवा में लगे हुए थे।
सरकार द्वारा निलंबित किए गए कर्मचारियों में बिजबेहरा, अनंतनाग के सरकारी स्कूल शिक्षक अब्दुल हामिद वानी, किश्तवाड़ के कांस्टेबल जफर हुसैन बट्ट, किश्तवाड़ के सड़क और निर्माण विभाग में एक सहायक अधिकारी मोहम्मद रफी बट्ट, बारामुला के स्कूली शिक्षक लियाकत अली काकरु, पूंछ वन विभाग के रेंज अधिकारी तारिक महमूद कोहली और बडगाम के एक पुलिस कांस्टेबल शौकत अहमद खान शामिल है।
अब्दुल हमीद वानी
सरकारी शिक्षक के रुप में काम कर रहा अब्दुल हमीद वानी अनंतनाग का निवासी है। वह पहले आतंकी संगठन अल्लाह टाइगर्स के लिए काम कर चुका है। उसका अपने क्षेत्र में अलगाववाद और अलगाववादी विचारधारा को आगे बढ़ाने का लंबा इतिहास रहा है। वह स्थानीय मस्जिदों और नागरिकों के शोक (तैज़ियात) सभाओं के दौरान शुक्रवार के उपदेश में भाग लेते हुए आतंकवाद और अलगाववाद की अपनी विचारधारा का खुले तौर पर प्रचार करता है। मौजूदा समय में वह अपने पुराने संगठन अल्लाह टाइगर्स का सक्रिय आतंकवादी (जिला कमांडर) बन गया था।
जफर हुसैन बट्ट
पुलिस कांस्टेबल के रुप में काम कर रहे जफर हुसैन ने 8 मार्च 2019 को हिजबुल मुजाहिद्दीन (एचएम) के हथियारबंद आतंकवादियों की मदद की थी। उसकी निगरानी में ही आतंकवादी हेड कांस्टेबल दलीप सिंह के घर से एके-47 सर्विस राइफल, 03 मैगजीन और 90 जिंदा कारतूस ले गए।
मोहम्मद रफी बट्ट
अप्रैल 2019 में हुए एक हमले में मोहम्मद रफी बट्ट ने न केवल हिजबुल आतंकवादियों को भोजन और आश्रय प्रदान किया, बल्कि उन्हें किश्तवाड़ में आतंकी योजनाओं को अंजाम देने के लिए एक सुरक्षित वातावरण भी प्रदान किया। NIA की जांच से पता चला है कि आरएसएस नेता और उनके पीएसओ पर हमले को हिजबुल के तीन आतंकवादियों ओसामा बिन जावेद, हारून अब्बास वानी और जाहिद हुसैन ने मोहम्मद रफी बट के टोही के बाद ही अंजाम दिया था।
लियाकत अली काकरु
लियाकत अली काकरु बतौर शिक्षक सेवा में रहने के बाद भी हिजबुल का स्थानीय प्रशिक्षित आतंकवादी बना रहा। दिसंबर 2001 में उसकी गिरफ्तारी के बाद स्थानीय रूप से प्रशिक्षित हिजबुल मुजाहिदीन आतंकवादी के रूप में उसका असली चेहरा सामने आया। 17 दिसंबर 2001 को बीएसएफ की 34वीं बटालियन ने श्रीनगर के चान मोहल्ला चट्टाबल में घात लगाकर हमला किया था। अली को दो हथगोले और दो किलो वजनी 20 डीई-3ए विस्फोटक के साथ गिरफ्तार किया गया था।
तारिक महमूद कोहली
रेंज ऑफिसर तारिक महमूद कोहली पुंछ में एक आतंकवादी सिंडिकेट के हिस्से के रूप में पाकिस्तान से अवैध हथियार, गोला-बारूद, विस्फोटकों समेत हार्ड ड्रग्स और नकली भारतीय नोटों की तस्करी में शामिल था। पाकिस्तानी खुफिया विभाग ने तारिक महमूद को पाकिस्तानी सिम कार्ड के माध्यम से संचार सुविधा प्रदान की थी, जिसका उपयोग वो सीमा पार तस्करी की योजना बनाने और क्रियान्वित करने में करता था।
शौकत अहमद खान
शौकत अहमद खान एक कुख्यात कट्टरपंथी होने के साथ-साथ लश्कर-ए-तैयबा का ओवर ग्राउंड वर्कर है, जिसने अलगाववादी एजेंडे को अंजाम देने के लिए एक पुलिस अधिकारी के रूप में अपने पद का बेशर्मी से इस्तेमाल किया। वह गुप्त रूप से राज्य की सुरक्षा के लिए आपराधिक गतिविधियों में शामिल पाया गया है।
सरकार ने कर दिया सरकारी नौकरियों से बर्खास्त
इनके निष्कासन का आदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग के आयुक्त सचिव को दिया गया है। इनकी गतिविधियों की जांच हेतु भारत के संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत समिति बनाई गयी, जिसमें उग्रवादियों के साथ लिंक पाए जाने पर उन्हें सरकारी सेवाओं से हटाने की बात कही गई थी। अब रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है। प्रदेश सरकार ने कहा है कि वे देश विरोधी गतिविधियों में शामिल थे और उनकी गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने के लिए काफी हैं। इससे पहले जुलाई में भी ऐसे ही 11 कर्मचारियों को हटाया गया था। देश में रहने के बावजूद अपनी मातृभूमि से दगाबाजी करने वालों पर प्रशासन का डंडा चल रहा है और ऐसे लोगों पर सरकार कार्रवाई कर रही है।