चीन पर भारतीय टेलीकॉम सेक्टर की निर्भरता सर्वविदित है, 4G से लेकर प्रतीक्षारत 5G टेक्नोलॉजी के विस्तार के लिए संभावनाएं थीं कि भारत चीन पर ही निर्भर रहता… किंतु सारा पासा पलट गया है। चीन के साथ बढ़ते गतिरोध के चलते भारतीय टेलीकॉम जायंट रिलायंस ने ऐलान किया था, कि वो चीन की हुवावे और जेडटीई जैसी कंपनियों से 4G और 5G संबंधी इक्विपमेंट नहीं खरीदेगा। वहीं अब भारती एयरटेल ने रिलायंस से भी आगे बढ़कर एक भारतीय कंपनी तेजस नेटवर्क (Tejas Network) को (Optical Fiber) ऑप्टिकल फाइबर विस्तार का कॉन्ट्रैक्ट दिया है, जो कि भारतीय टेलीकॉम सेक्टर के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है।
खास बात ये है कि तेजस नेटवर्क (Tejas Network) पूरी तरह से भारतीय कंपनी है, जिसमें टाटा समूह (Tata Group) की हिस्सेदारी भी है। इसकी नेटवर्क संबंधित एडवांस टेक्नोलॉजी के कारण इसकी तुलना चीन की हुवावे और जेडटीई जैसी कंपनियों से की जाने लगी है।
एयरटेल तेजस नेटवर्क कॉन्ट्रैक्ट
भारतीय टेलीकॉम मार्केट की य़दि कोई दो बड़ी कंपनियां हैं, तो निश्चित ही वो रिलायंस और भारती एयरटेल ही हैं। रिलायंस अपने जियो नेटवर्क को 5G की ओर ले जाने में जुटा हुआ है, तो कुछ वैसी ही रेस में एयरटेल भी है। ऐसे में अब एयरटेल ने एक ऐसा क़रार किया है, जो भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में क्रांतिकारी हो सकता है, तो दूसरी ओर चीन के लिए झटका भी है। खबरों के मुताबिक कंपनी ने तेजस नेटवर्क भारतीय कंपनी को प्रमुख महानगरीय बाजारों में ऑप्टिकल नेटवर्क क्षमता बढ़ाने के लिए चुना है, और कॉन्ट्रैक्ट साइन कर लिया है। इस करार के तहत कंपनी एयरटेल को ऑप्टिकल ट्रांसमिशन उत्पादों की आपूर्ति, स्थापना और अन्य सहायता भी देगी।
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इस ऐतिहासिक क़रार को लेकर तेजस नेटवर्क के प्रबंध निदेशक और सीईओ संजय नायक ने कहा, “हमें एयरटेल के साथ अपनी साझेदारी का विस्तार करते हुए खुशी हो रही है। इस नए अनुबंध के तहत हम एयरटेल की मेट्रो नेटवर्क क्षमता को बढ़ाने के लिए अपने मल्टी टेराबिट टीजे1600 डीडब्ल्यूडीएम/ ओटीएन उत्पाद उपलब्ध कराएंगे।” गौरतलब है कि इस समय जियो से 5G नेटवर्क संबंधी प्रतिस्पर्धा के लिए एयरटेल अपनी तैयारी के तहत मेट्रो नेटवर्क क्षमता का विस्तार करने और बढ़ी हुई बैंडविड्थ खपत को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण निवेश कर रही है।
स्वदेशी है तेजस नेटवर्क
तेजस नेटवर्क की बात करें तो ये पूर्णतः एक स्वदेशी कंपनी है, जो कि भारत में ही इक्विपमेंट्स का उत्पादन करती है। इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती है कि तेजस नेटवर्क भारत की हुवावे जैसी कंपनी बनने की क्षमता रखती है, और 150 अरब डॉलर के वैश्विक नेटवर्क गियर बाजार में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर सकता है। तेजस नेटवर्क 5G और फाइबर आधारित ब्रॉडबैंड रोलआउट में निवेश के नए चक्र के साथ भारत और वैश्विक बाजार के दूरसंचार क्षेत्र में एक बहुत बड़ा अवसर तलाश रहा है, ऐसे में एयरटेल का क़रार तेजस नेटवर्क के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
वहीं रिपोर्ट्स ये भी बताती हैं कि तेजस अपने उत्पाद पोर्टफोलियो का 100% स्थानीय रूप से डिजाइन और भारत में वायरलाइन और 4 जी/5 जी वायरलेस नेटवर्क गियर के पूर्ण स्टैक का निर्माण करेगा। इसके लिए कंपनी आर एंड डी क्षमता को बढ़ाएगी और मौजूदा दूरसंचार संपत्तियों का भी मूल्यांकन करेगी। ये भारत के टेलीकॉम सेक्टर में एक बड़ा सकारात्मक कदम हो सकता है। इसके अलावा एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि टाटा समूह ने हाल ही में 1,890 करोड़ रुपये में तेजस में नियंत्रण हिस्सेदारी हासिल की है, जो कंपनी के प्रति एक विश्वास को भी दर्शाता है।
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चीन को लगेगा झटका
भारतीय टेलीकॉम सेक्टर के लिए एयरटेल का तेजस नेटवर्क से ये करार एक बड़ा फायदा बन सकता है, क्योंकि इससे चीन पर सेक्टर की निर्भरता खत्म हो सकती है। रिलायंस जियो पहले ही जेडटीई से अपने कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर 5G इक्विपमेंट खुद बनाने की ओर बढ़ चला है। ऐसे में नया झटका चीन को भारती एयरटेल से मिला है। वहीं संभावनाएं तो यह भी है कि तेजस नेटवर्क भारत सरकार की पीएलआई स्कीम का भी फायदा उठा सकती है, जिससे भारत के आत्मनिर्भर होने की योजना को भी बल मिलेगा।