पाकिस्तान का क्रिकेट को अपने घर में फिर से बहाल करने का सपना बुरी तरह बिखर गया है

पाकिस्तान इंग्लैंड दौरे पर ट्वीट

जो देश खरबों डॉलर के कर्जों के बोझ तले दबा हो, जहां महंगाई आसमान छू रही हो, और जहां मृत्यु हर कोने में मंडरा रही हो, वहाँ क्रिकेट एक ऐसा मध्यम है जो कई पाकिस्तानियों को एकजुट रख रहा है;  लेकिन वर्तमान पाकिस्तानी प्रशासन की हठधर्मिता के कारण से अब पाकिस्तान से ये इकलौता सुख भी जल्द ही छिनने वाला है। हाल ही में पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड ने न्यूज़ीलैंड (New Zealand) को पाकिस्तान दौरे पर आने का निमंत्रण देकर पाकिस्तान में क्रिकेट बहाल करने का प्रयास किया था। यही दांव ऐसा उल्टा पड़ा कि न्यूज़ीलैंड तो छोड़िए, अब इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया तक अपने प्रस्तावित पाकिस्तान दौरे रद्द करने पर विचार कर रहे हैं।

न्यूज़ीलैंड की भांति इंग्लैंड की पुरुष टीम T20 विश्व कप से पहले पाकिस्तान दौरे पर रावलपिंडी दो T20 मैच खेलने वाली थी, और साथ ही महिला टीम 3 वनडे मैचों के लिए भी रुकने वाली थी। इसी भांति ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम फरवरी से मार्च 2022 के बीच 2 टेस्ट, 3 वनडे और 3 T20 मैचों की शृंखला के लिए पाकिस्तान का दौरा प्रस्तावित था।

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हालांकि, न्यूज़ीलैंड का वर्तमान दौरा रद्द होने के पश्चात अब ये टीमें भी अपने वर्तमान दौरे पर पुनर्विचार करने को विवश होंगी। न्यूज़ीलैंड क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष डेविड व्हाइट ने इसी विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा था, “मैं जानता हूँ कि यह PCB के लिए किसी झटके से कम नहीं होगा, परंतु हमारे लिए खिलाड़ियों की सुरक्षा सर्वोपरि है, और हम यहाँ पर गैर जिम्मेदार नहीं दिख सकते”।

असल में डेविड व्हाइट ने बिना नाम लिए पाकिस्तान के वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों की ओर निशाना साधा था। पाकिस्तानी प्रशासन किस प्रकार से आतंकियों को खुलेआम संरक्षण दे रहा है और कैसे अफगानिस्तान में तालिबान को खुलेआम समर्थन दे रहा है, ये किसी से नहीं छुपा है। ऐसे में यदि 2009 में श्रीलंकाई टीम पर हुए आतंकी हमले की तरह न्यूज़ीलैंड की टीम के साथ कुछ होता, तो क्या पाकिस्तान उसकी जिम्मेदारी उठाता?

पूर्व इंग्लिश कमेंटेटर माइकल आथर्टन ने इंग्लैंड दौरे पर संशय जताते हुए द टाइम्स के लिए अपने लेख में लिखा, “हम यही आशा कर सकते हैं कि ECB का रुख न्यूज़ीलैंड से अलग हो। पाकिस्तान ने कोविड के कारण पहले ही इंग्लैंड के दोयम दर्जे की टीम का सामना करना पड़ा है। अगर ऐसा कुछ हो सकता है, तो शायद फिर से पाकिस्तान को इंग्लैंड अपने ‘B या C लेवल की टीम भेजेगा।”

इंग्लैंड का रुख न्यूज़ीलैंड से अलग होने की संभावना उतनी ही अलग है, जितना कि चीन का निकट भविष्य में लोकतंत्र को गले लगाना। जिस प्रकार से पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है, उसे देखकर इंग्लैंड अपने पुरुष और महिला टीम को ऐसी खतरनाक जगह भेजने का जोखिम तो बिल्कुल नहीं उठाना चाहेगा, जिसकी ओर पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने भी अप्रत्यक्ष रूप से इशारा किया।

जब पाकिस्तान ने इमरान खान जैसे प्रभावशाली क्रिकेटर को अपने प्रधानमंत्री के रूप में चुना था, तो कहीं न कहीं उन्हें आशा थी कि कुछ नहीं तो खेलों के क्षेत्र में उनके दिन फिर से बहुरेंगे;  लेकिन उन्हें  क्या पता था कि उनके ‘वजीर ए आजम’ तो आतंक के ऐसे प्रेमी हैं कि उसके लिए वे अपने मुल्क पाकिस्तान की बलि भी चढ़ा सकते हैं, तो फिर क्रिकेट क्या चीज है?

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