सोमवार को सुनील भारती मित्तल की कम्पनी भारती एयरटेल के शेयर की कीमत रिकार्ड ऊंचाइयों पर पहुंच गई है। उसके एक शेयर की कीमत ₹719.60 रुपये तक चला गया है जो कि तीन प्रतिशत का उछाल है। अन्य टेलीकॉम कंपनियों के शेयर भी उछाल दर्ज किए हैं। मार्किट में यह तेजी तब आई है जब देश में टेलीकॉम मिनिस्ट्री द्वारा बैठक होने वाली थी। कैबिनेट ने टेलीकॉम कारोबार से सम्बंधित दो अहम फैसला लिया जो इंडस्ट्री के हालात बदल सकते हैं।
जैसा कि अंदेशा जताया जा रहा है, अब भारतीय बाजार में मात्र जिओ और एयरटेल के ही रहने की संभावना है। अगर ऐसी स्थिति बनती है तब जरूरी है कि भारतीय टेलिकॉम के लीजेंड सुनील भारती मित्तल के भी बारे में जान लिया जाए। भारत में जियो फैक्टर की बात होती है, अम्बानी द्वारा सूचना क्रांति की बात होती है, लेकिन कभी-कभार ही टेलीकॉम सेक्टर के बादशाह सुनील भारती मित्तल की बात होती है।
सुनील भारती मित्तल का जन्म एक पंजाबी अग्रवाल परिवार में हुआ था। उनके पिता सतपाल मित्तल, लुधियाना, पंजाब से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से राज्यसभा सांसद सदस्य रहे हैं। वे पंजाब से दो बार (1976 और 1982) से चुनाव जीते थे और एक बार (1988) राज्यसभा के लिए भी नामांकित हुए थे। सुनील भारती मित्तल ने पहले मसूरी के विनबर्ग एलन स्कूल में दाखिला लिया, लेकिन बाद में ग्वालियर के सिंधिया स्कूल में दाखिला लिया और उन्होंने 1976 में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से कला और विज्ञान के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त किया। उनके पिता की हृदय गति रुकने से 1992 में मृत्यु हो गई थी।
पहली पीढ़ी के उद्यमी, सुनील भारती मित्तल ने अप्रैल 1976 में 18 साल की उम्र में अपने पिता से उधार लिए गए ₹20,000 (US$280) के पूंजी निवेश के साथ अपना पहला व्यवसाय शुरू किया। उनका पहला व्यवसाय स्थानीय साइकिल निर्माताओं के लिए क्रैंकशाफ्ट बनाना था। वह फिर धागे और रेशम के व्यापार में भी आगे आये। उस धंधे में विफलता के बाद वो जेनसेट के व्यापार में आये जहां उनकी कमाई हुई।
1983 में सरकार ने जेनसेट के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया। भारती मित्तल इस झटके के कारण व्यापार से ही बाहर हो गए। एक बार वह ताइवान में थे, तब उन्होंने बटन वाला फोन देखा, उस समय तक भारत में रोटरी डायल वाले फोन का चलन था। सुनील भारती मित्तल ने तब Beetel नामक कम्पनी खोलकर व्यापार किया और उनका नाम और ब्रांड बुलंदियों पर पहुंच गया। 1992 में जब आर्थिक बदलाव हुए तो 4 टेलिकॉम ऑपरेटर में एक कम्पनी सुनील भारती मित्तल का भी था और यही से शुरू हुआ एयरटेल का ब्रांड।
ऐसा नहीं है कि कम्पनी खुलने के बाद उनका सफर आसान था, वो बहुत बार समस्याओं से भी गुजरे और कई बार गंभीर प्रतियोगिता का भी सामना करना पड़ा। उनके सामने टाटा डोकोमो, यूनिनॉर, एयरसेल, MTNL जैसी तमाम कम्पनियां आकर चली गई लेकिन एयरटेल फिर भी बाजार में बना रहा। इसके बारे में सुनील मित्तल बताते है कि उनके लिए हमेशा ग्राहक ही हर नीति, अविष्कार का केंद्र रहा है।
भारती एयरटेल को अफ्रीकी कारोबार में भी बढ़त हासिल है। अफ्रीका के 14 देशों में एयरटेल अफ्रीका एक बड़ा नाम है। इस साल के आंकड़ो की माने तो वहां एयरटेल ने 152 मिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया है। अफ्रीका में काम करना आसान नहीं है। वहां प्रतिस्पर्धा ज्यादा है, फिर भी एयरटेल समूह ने अपने नीतियों के बदौलत अपने लिए बढ़िया स्थान बनाया है।
भारत में लालफीताशाही सामान्य सी बात है। यहां पर इतना आसान नहीं है कि कोई किसी प्रकार का व्यापार करे। हालांकि वर्तमान सरकार चीजों को आसान करने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है लेकिन एक समय पर नियमावली के दलदल में कई कम्पनियां फंसकर मर जाती थी, उस बुरे भ्रष्टाचार भरे दौर को पार करके यहां तक आना, सुनील भारती मित्तल के कौशल का प्रमाण है।
आज भारती एयरटेल समूह की दुनिया की सबसे बड़ी टेलिकॉम कम्पनियों में से एक है और भारत की दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी है, जिसका परिचालन एशिया और अफ्रीका के 18 देशों में है। इस कंपनी का ग्राहक आधार 399 मिलियन से अधिक है। सुनील भारती मित्तल भारती फाउंडेशन के जरिये नेक सामाजिक कार्य भी करते हैं। सत्या भारती स्कूल प्रोग्राम के तहत मुफ्त स्कूली कपड़े, स्कूली कॉपी किताब और मिड डे मिल उपलब्ध कराया जाता है। इस तरह से 6 राज्यों में 45,000 छात्र लाभ पा रहे हैं। 2017 में सत्या भारती विश्वविद्यालय बनाने की बात की गई जिसकी कुल लागत 7000 करोड़ रुपये होगी।