उत्तर प्रदेश के उद्योग में चीनी मिलों की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका होती है, क्योंकि इसका सीधा जुड़ाव गन्ना किसानों से भी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों की रकम का मिलना भी एक अहम मुद्दा रहता थ। अखिलेश सरकार के कार्यकाल में एक ऐसा दौर भी था कि चीनी मिलों के बंद होने की नौबत आ गई थी। चीनी मिलों से संबंधित व्यापर से सीधे किसान व्यापारी मजदूर जुड़े हुए हैं, किन्तु अखिलेश सरकार का ध्यान इस तरफ था ही नहीं। नतीजा ये कि अधिकतर मिले बंद हो गईं। इसके विपरीत योगी सरकार के पिछले पांच वर्षों के कार्यकाल में चीनी मिलों का कायाकल्प हो गया है, तथा सारी मिलें सहजता के साथ चल रही हैं। गन्ना किसानों का समय पर भुगतान और समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी से लेकर चीनी मिलों की समस्याओं को हल करने में योगी सरकार ने उच्च स्तरीय काम किया है, जिसके चलते उत्तर प्रदेश की सभी चीनी मिलें सहजता से काम करते हुए औद्योगिक सोना उगल रही हैं।
चीनी स्टॉक यूपी में अपने निचले स्तर पर जा चुका था
सबसे पहले बात योगी सरकार के पहली की स्थितियों की करनी चाहिए, तो बिजनेस स्टैंडर्ड की एक पुरानी रिपोर्ट बताती है, कि कैसे प्रदेश में गन्ना किसानों का भुगतान सही समय पर हो ही नहीं पाता था। वहीं राजनीतिक और कानून व्यवस्था के माहौल समेत व्यापार के प्रति उदासीनता के चलते इंजीनियर से लेकर टेक्नीशियन काम करने को तैयार नहीं थे। नतीजा ये है कि कंपनियों के निदेशकों को भी यूपी से बाहर जाना पड़ रहा था। वहीं एक बड़ी दिक्कत ये भी थी कि खराब वातावरण के चलते भी उद्योगपति चीनी मिले अपनी मर्जी से बंद भी नहीं कर सकते थे। इन परिस्थितियों के चलते ही चीनी स्टॉक यूपी में अपने निचले स्तर पर जा चुका था।
और पढ़ें- उत्तर प्रदेश बन रहा है भारत का सबसे बड़ा निर्यात केंद्र, योगी राज में चमक रही है प्रदेश की छवि
बंद हो रहे थे चीनी मिल
एक तरफ चीनी स्टॉक अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर चुका था तो दूसरी ओर कोई उनका खरीदार तक नहीं था, और ऐसे ही उद्योग के लिए पूरे यूपी में नकारात्मक धारणा बन गई थी। राजनीतिक फायदों के कुछ खास इलाकों पर ही विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वहीं गन्ने की फसल की खरीद की अनियमितता के कारण गन्ना मिलों को नुकसान हो रहा था। इतना सब कुछ होते हुए भी पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस पूरे उद्योग की बर्बादी को देखते रहे, किन्तु उनके उठाए गए कदम नाकाफी ही थे। वहीं अखिलेश के जाने के बाद उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों के साथ ही गन्ना किसानों के लिए सकारात्मक रुख सामने आया है।
योगी सरकार में हो रहा कायाकल्प
चीनी मिलों के दिन योगी सरकार के आते ही बदलने लगे, और इस क्षेत्र की समस्याओं को सुनने के लिए गन्ना मंत्रालय का एक अलग ही विभाग बनाया गया। वहीं उद्योगों को भी सहयोग दिया जाने लगा। इसे इस बात से ही समझा जा सकता है कि योगी सरकार ने आते ही गन्ना किसानों के समर्थन मूल्यों मे 10 रुपए की बढ़ोतरी की थी। सरकार बनते ही हुई इस बढ़ोतरी ने योगी सरकार की छवि किसानों से लेकर उद्योगपतियों के बीच सकारात्मक की। वहीं अब योगी सरकार इस समर्थन मूल्य को 325 से बढ़ाकर 350 रुपए कर चुकी है, अर्थात एक झटके में 25 रुपए की बढ़ोतरी, जो कि किसानों के लिए एक राहत का सबब होने वाली है।
कोरोना के समय भी चल रहीं थी UP की चीनी मिल
ये सत्य है कि पिछली सरकारों के दौरान 15-20 चीनी मिले बंद हुई थीं, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा है कि अब ये सारी मिलें चल रही हैं। योगी सरकार के कार्यों का ही नतीजा ये था कि कोरोनाकाल में कर्नाटक महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में चीनी मिले बंद हो गई थीं तो उस दौरान भी उत्तर प्रदेश की सभी मिलें चल रही थीं, जिससे आर्थिक तौर पर मिल से जुड़े मजदूरों को भी फायदा ही हो रहा था। बुरे आर्थिक दौर से गुजरने के बावजूद उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों में काम निर्बाध जारी था। यही कारण है कि 2020 में भारत के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था। उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 122.28 लाख टन हो चुका है जो अब तक का सबसे उंचा स्तर है। इससे पहले उत्तर प्रदेश में 2017-18 के दौरान चीनी का उत्पादन 120.45 लाख टन हुआ था।
और पढ़ें- पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट-मुस्लिम एकता? योगी के खिलाफ वामपंथी मीडिया का एक और प्रपंच
वर्तमान स्थिति की बात करें तो योगी सरकार ने 85 प्रतिशत से भी अधिक गन्ना किसानों का बकाया चुका दिया है, जो कि चीनी मिलों द्वारा अब तक का सर्वाधिक बेहतरीन प्रदर्शन है। योगी सरकार की प्रतिबद्धता और चीनी मिलों के साथ समन्वयता ही कारण है कि न गन्ना किसानों के मन में सरकार के प्रति नाराजगी दिखती है, और न ही चीनी मिलों में। ये सारी स्थिति जो बदली है, वो योगी सरकार के कार्यकाल में ही बदली है।
ऐसे में ये कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में पिछले 10-15 वर्षों में प्रदेश के चीनी मिलों के वो उद्योग जो हाशिए पर चले गए थे, उन्हें वापस पटरी पर लाने के लिए योगी सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। इसमें गन्ना किसानों को दिया गया बढ़ा समर्थन मूल्य भी है, और चीनी मिलों के संचालन में सहजता लाने के प्रयास भी… जिससे किसानों मजदूरों और उद्योगपतियों सभी वर्ग के लोगों का लाभ हो रहा है।