भारतीय संस्कृति में गाय को माता का स्थान दिया गया है और वो सदैव पूजनीय रही हैं। आज भारत सरकार गौ रक्षा के लिए कटिबद्ध है। यही कारण है जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में बढ़ रही गौ हत्या के मामलों पर पैनी नज़र बनाते हुए किसी पर भी कार्रवाई करने से चूक नहीं रहे हैं। फिर चाहे वो शासन-प्रशासन के किसी भी विभाग का कोई अधिकारी ही क्यों न हो। हाल ही में, उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में ग्रामीणों की शिकायत के बाद, एक गौ-हत्या के आरोपी को बचाने की कोशिश करने के लिए दो दरोगा समेत चार को निलंबित कर दिया गया है तथा इंस्पेक्टर के खिलाफ जांच बैठाई गयी है। दरअसल, पौली गांव में बीते गुरुवार की रात एक इमारत में गौकशी की सूचना पर पहुंची थाना पुलिस ने आरोपी हैदर को गिरफ्तार किया था और जबकि बाकि आरोपी मौके से फरार को गए थे। कार्रवाई के पश्चात् पुलिस ने शुक्रवार को पकड़े गए आरोपी हैदर को तमंचे के साथ गिरफ्तार करने का दावा किया और गौकशी की घटना को छुपा दिया।
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इसके बाद क्षेत्रीय लोगों ने पुलिस द्वारा की गई अप्रिय और झूठी कार्रवाई तथा सच को छुपाने की शिकायत एसपी राजेश कुमार सिंह से की। एसपी द्वारा सीओ (सिटी) संजय सिंह को मौके पर जांच के लिए भेज दिया गया। सीओ की रिपोर्ट अनुसार आरोपियों को बचाने में उपनिरीक्षक शमी अशरफ शेख, उपनिरीक्षक अनीश कुमार सिंह, हेड कांस्टेबल मनोज कुमार व कांस्टेबल राजीव तिवारी संलिप्त पाए गए और इन सभी को तत्काल निलंबित करके उनके विरुद्ध विभागीय जांच के आदेश दिए। रिपोर्ट के अनुसार खखरेरू थाना प्रभारी दीपनारायण सरोज के खिलाफ जांच बैठाई गई है। एसपी राजेश कुमार सिंह ने बताया प्रकरण में एक दलाल के भी शामिल होने की बात सामने आई है। इसके साथ ही गौमांस बरामद कर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
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जिस प्रकार इस घटना पर पुलिस विभाग के उच्चतम अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को समझते हुए, शिकायतकर्ताओं की बात पर भरोसा जताते हुए, अपने ही विभाग के पुलिस अफसरों और सिपाहियों पर जांच बैठाने और कार्रवाई करने जैसे कदम उठाये, वो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अब उत्तर प्रदेश की पुलिस कितनी सजग है। इसका कारण और कोई नहीं बल्कि राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। जिस प्रकार राज्य में गौकशी की घटनाओं में गिरावट आई है, उसका सीधा श्रेय योगी सरकार द्वारा की गयी त्वरित कार्रवाई को जाता है। फतेहपुर में गौकशी से जुड़ी किसी भी घटना पर ढिलाई बरतने वालों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई इसका प्रमाण है।
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सौ बात की एक बात, चाहे मामला धर्मांतरण से जुड़ा हो, या गौकशी जैसी घटनाओं से योगी सरकार का संदेश स्पष्ट है कि ऐसे अपराधियों और उन्हें बचाने की कोशिश करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, फिर चाहे कोई भी अधिकारी ही क्यों न हो।