अभिनेता सोनू सूद इन दिनों काफी चर्चा में रहते हैं। कोविड की पहली लहर के दौरान जब उन्होंने अपने खर्चे पर कई प्रवासी मजदूरों को वापस भेजा था, तो सोनू सूद अपने कथित ‘दान कर्म’ के लिए सोशल मीडिया के ‘सुपरस्टार’ बन गए थेl किसी के लिए वे देवतुल्य, तो किसी के लिए वे एक सच्चे मानव बन गए। परंतु हर चमकती चीज सोना नहीं होती, और ऐसा लगता है कि सोनू सूद के चमकते हुए व्यक्तित्व का ‘आवरण’ जल्द ही उतरने वाला है। ऐसा प्रतीत होता है कि सोनू सूद कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए ‘दान’ करने का ढोंग कर रहे थे, क्योंकि आयकर का मामला एकमात्र मामला नहीं है।
सोनू सूद के आय के स्त्रोतों को लेकर आयकर विभाग ने सोनू से संबंधित कंपनियों की 6 लोकेशनों का हाल ही में सर्वे किया है। यदि सोनू सूद के आय से संबंधित जानकारी में वित्तीय अनियमितताएँ सिद्ध हुई, तो आगे आयकर द्वारा कार्रवाई भी संभव है। सूत्रों के अनुसार इनकम टैक्स विभाग की टीम ने अभिनेता सोनू सूद के मुंबई स्थित दफ्तर एवं मुंबई और लखनऊ शहरों की छह प्रॉपर्टीज पर आयकर विभाग ने बुधवार को सर्वे किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, आईटी विभाग ने सोनू की संपत्ति का इसलिए सर्वे किया है, क्योंकि कथित तौर पर उनसे से संबंधित अकाउंट्स से छेड़छाड़ की गई थी। लेकिन ऐसा नहीं है कि उनपर यह पहला ऐसा आरोप है। इससे पहले भी सोनू सूद कई बार कानूनी एजेंसियों के शिकंजे में आते आते रह गए हैं।
पिछले कई महीनों से सोनू सूद BMC से भी अनेकों विवादों के पीछे कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। इनमें से एक विवाद ये भी है कि उन्होंने कथित तौर पर एक छह मंजिला रिहायशी बिल्डिंग को एक होटल में परिवर्तित करा दिया। जब इस मुकदमे को रद्द करने की याचिका लेकर सोनू सूद बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचे, तो BMC ने उलटे उन्ही की पोल पट्टी खोलने का दावा करते हुए कहा कि सोनू सूद का यह पहला ऐसा मामला नहीं है, और इसके लिए वे काफी बदनाम रहे हैं।
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यूं तो BMC भी कोई दूध की धुली नहीं है, परंतु उन्होंने सोनू सूद का एकदम सटीक विश्लेषण किया है, क्योंकि और कुछ हो न हो, वे कम से कम क्रेडिट चोरी में तो दोषी पाए ही गए हैं। अपने ‘दान कर्म’ के कारण प्रसिद्ध हुए सोनू सूद कोविड की दूसरी लहर के दौरान भी मुंबई से ही लोगों को सुविध प्रदान करने का दावा कर रहे थे। हालांकि उनकी चोरी एक जगह बुरी तरह पकड़ी गई।
ओड़ीशा के गंजम शहर में एक मरीज़ को कथित तौर पर कोविड अस्पताल में बिस्तर की आवश्यकता थी, और सोनू सूद ने तुरंत उसे ‘बेड दिलाने’ का दावा करते हुए श्रेय लूटने का प्रयास किया। हालांकि, उस मरीज़ के बारे में जानकारी साझा करते हुए गंजम शहर के DM ने बताया कि वह तो होम आइसोलेशन में था, और उसे बिस्तर की कोई आवश्यकता ही नहीं थी –
ऐसे में अब प्रश्न उठना स्वाभाविक है – क्या सोनू सूद कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए ‘दान कर्म’ का नाटक करते थे? ऐसा हो सकता है, क्योंकि सोनू सूद के अधिकतर दान जिन भी लोगों को होते थे, वे या तो फर्जी लोगों को होते थे, या फिर वे सही लोगों तक पहुंचते ही नहीं थे। शायद अपने कालेधन को सफेद करने के लिए उन्होंने ‘परमार्थ’ को अपनी ढाल बना लिया था, परंतु वे अपने काले करतूत शायद छुपाना भूल गए।