हाल ही में पाकिस्तान में न्यूजीलैंड द्वारा सुरक्षा कारणों से अपना दौरा रद्द करने के तुरंत बाद इंग्लिश क्रिकेट बोर्ड ने भी सुरक्षा कारणों से अक्टूबर में प्रस्तावित पुरुष और महिला टीम के दौरे को सुरक्षा कारणों से रद्द कर दिया है। अपने खिलाड़ियों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखने के लिए न्यूजीलैंड के बाद अब इंग्लैंड को सराहा जा रहा है। हालांकि, कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें इंग्लैंड द्वारा पाकिस्तान दौरा रद्द करने से गहरा दुख हो रहा है जो शायद स्वयं पाकिस्तान के खिलाड़ियों और उसके क्रिकेट बोर्ड (PCB) को भी नहीं होगा। इन्हीं में से एक हैं पूर्व भारतीय क्रिकेटर वसीम जाफर, जो पाकिस्तान के प्रति कुछ ज्यादा ही चिंतित हैं।
इंग्लैंड द्वारा सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान का दौरा रद्द करने पर वसीम जाफ़र ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अपनी भड़ास निकालते हुए कहा है कि “पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को ECB से अपनी नाराजगी नि:संदेह जतानी चाहिए। जब वैक्सीन नहीं निकली थी, तब भी कोरोना के कहर के बीच पाकिस्तान और वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड का दौरा किया था। कम से कम बदले में इंग्लैंड एक अच्छी सीरीज का उपहार तो दे ही सकता है। क्रिकेट रद्द करने पर कोई विजेता नहीं होता।”
The @TheRealPCB have every reason to be disappointed with the ECB. Pak and WI toured England last year during pandemic before vaccines. England owes so much to both Pak and WI. Least ECB could do is not cancel the reciprocal tours. There are no winners when cricket is cancelled.
— Wasim Jaffer (@WasimJaffer14) September 20, 2021
वाह, अद्भुत! वसीम मियां, कृपया अपने ‘सर्वगुणसंपन्न’ मुख से ऐसे सदवचन निकालने की चेष्टा न करें तो आपके मस्तिष्क और आपकी प्रतिष्ठा के लिए उत्तम होगा। सर्वप्रथम तो इंग्लैंड की टीम पाकिस्तान में कोई पिकनिक मनाने नहीं गई थी जिसे रद्द करने पर आप इतने उद्वेलित हो रहे हैं। पाकिस्तान जैसे देश ने जिस तरह से आतंकवाद को बढ़ावा दिया है और जिस प्रकार से वर्तमान प्रशासन ने तालिबान जैसे संगठन को अफगानिस्तान में बढ़ावा दिया है, उसे देखते हुए न्यूज़ीलैंड ((New Zealand)) और इंग्लैंड का वर्तमान निर्णय न केवल उचित है, अपितु काफी प्रशंसनीय भी।
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जाफर के लिए मजहब पहले और देश बाद में…
दूसरी बात, एक भारतीय होकर वसीम जाफर पाकिस्तान के लिए इतना चिंतित क्यों हो रहे हैं? शायद आपने इनके प्रोफाइल पर ध्यान नहीं दिया है। वसीम जाफर केवल नाम के भारतीय क्रिकेटर हैं, क्योंकि आज भी इनके लिए मजहब पहले आता है और देश बाद में! इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण उत्तराखंड की रणजी टीम ने भी देखा था।
असल में उत्तराखंड के कोच के तौर पर वसीम जाफर को नियुक्त किया गया, परंतु जल्द ही उन्हें निष्कासित भी कर दिया गया। वसीम ने महिम वर्मा और रिजवान शमशाद पर दखलंदाज़ी का आरोप लगाया, लेकिन जल्द ही वसीम की पोल खुल गई, जब महिम वर्मा और रिजवान शमशाद दोनों ने वसीम के आरोपों पर उन्हें आड़े हाथों लिया। रिजवान शमशाद ने जहां वसीम के आरोपों को निराधार बताया, वहीं, महिम ने वसीम पर धर्मांधता फैलाने का आरोप लगाया।
राम भक्त हनुमान की जयकारे से है जाफर को दिक्कत
मुसलमानों को प्राथमिकता देने के अलावा महिम वर्मा ने जाफर पर कई बड़े आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “टीम के सहयोगी स्टाफ बताते हैं कि वसीम ट्रेनिंग कैंप में अपने साथ जुमे की नमाज़ अदा कराने मौलवी लाया करते थे। यही नहीं, पिछले वर्ष से उत्तराखंड की टीम ‘रामभक्त हनुमान की जय’ का जयकारा लगाकर मैदान में उतरती थी। इसे यह कहकर जाफर ने बदलवा दिया कि उत्तराखंड की टीम से सभी लोग खेलते हैं। तो हमने विकल्प के तौर पर उत्तराखंड की जय का नारा दिया, परंतु जाफ़र को उससे भी तकलीफ थी”।
अब ऐसा व्यक्ति जब पाकिस्तान की पैरवी करने लगे, तो आप समझ जाइए कि उसकी प्राथमिकताएँ क्या हैं और उसकी निष्ठा किसके प्रति अधिक हैं। जो व्यक्ति एक राष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट टूर्नामेंट में धर्मांधता को बढ़ावा दे और ट्रेनिंग कैंप में नमाज़ कराए, उससे आप शिष्ट व्यवहार की आशा तो कतई नहीं कर सकते।